मानसून सत्र के आखरी दिन, गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ब्रिटिश के जमाने के तीन कानूनों में संशोधन करने का विधेयक पेश किया है और इस विधेयक के अनुसार, इंडियन पीनल कोर्ट (IPC), CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट में बदलाव हो जायेगा. दरअसल, संशोधन के बाद IPC की जगह ‘भारतीय न्याय सहिंता 2023’, CrPC की जगह ‘नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023, एविडेंस एक्ट की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023’ कानून लाए जाएंगे. वहीं इन तीनों कानूनों में संशोधन करने के बाद कई सारे नियम और कानूनों में कई सारे बदलाव होंगे.
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गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में यह तीन विधेयक पेश करते हुए कहा कि “मैं सदन को आश्वस्त करता हु कि यह बिल हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल कर रख देगा पहले बस सजा दी जाती थी अब न्याय दिया जायेगा, हम गुलामी की निशानी मिटा कर न्याय दिलाएंगे ” और साथ ही कहा कि ‘IPC धारा की जगह लेने वाले भारतीय न्याय सहिंता 2023 ’ में राजद्रोह के प्रावधानों को खत्म कर दिया जायेगा.
कौन से तीन कानूनों में होगा बदलाव और क्या
भारत में अभी अपराधो को लेकर तीन तरह के कानून चलते है जो IPC, CrPC, और एविडेंस एक्ट थे और ये 150 सालों से भी पुराने कानून है. केंद्र सरकार अब इन कानूनों को बदलने के लिए तीन बिल लेकर आई है इसमें भारतीय न्याय सहिंता 2023, नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 और भारतीय साक्ष्य बिल 2023 है, यह तीनो बिल इंडियन पीनल कोड 1860 (IPC) , कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1898 (CrPC) और एविडेंस की जगह लेंगे. IPC में 533 धारा कम हो जाएंगी, 133 और नई धारा जोड़ी जाएंगी, 9 धारा को बदला जायेगा.
इस नए बिल में रेप के लिए अधिकतम 20 साल की कैद और पहली बार छोटे छोटे अपराधो के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया तो वहीं इस नए बिल में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है साथ ही मॉब लीचिंग और नाबालिकों के साथ यौन अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है.
IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट हुए अपडेटेड
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे देश में देशद्रोह कानून रद्द कर दिया जायेगा क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहा सबको अपनी बात रखने की पूरी आजादी है पर इसके साथ ही, अब इसकी जगह धारा 150 के तहत देश की सम्प्रभुता, एकता-अखंडता को खतरे में डालने वाला आपतिजनक वाक्य, लेख, ऑडियो- विडियो या किसी भी अलग तरह से अलगाववाद भड़काना इस धारा में शामिल है इसमें 3 साल से सजा बढ़ाकर 7 साल या उम्रकैद का प्रावधान किया गया है साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा.
‘आतंकवादी’ शब्द किया गया परिभाषित
भारतीय न्याय संहिता में पहली बार ‘आतंकवादी’ शब्द को परिभाषित किया गया है. अमित शाह ने कहा कि IPC में ‘आतंकवादी’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया था ऐसा पहली बार हुआ है कि ‘आतंकवाद’ शब्द को परिभाषित किया जा रहा है और धारा 111 के तहत अब भगोड़ो को भी सजा मिलेगी और उन्हें आतंकवाद श्रेणी में गिना जायेगा.
नाबालिक से यौन अपराध पर होगी मौत की सजा
गृह मंत्री ने बताया कि नये काननों में हमने महिलाओं और बच्चियों के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं को खत्म करने के लिए सजा को ओर अधिक कठोर करने का प्रावधान किया गया है इस अपराधों को धारा 63 से 97 तक रखा गया है इसमें 16 साल से कम नाबालिक के साथ दुष्कर्म करने पर नया कानून बनाया गया है जिसके तहत सजा बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है नाबालिक से सामूहिक दुष्कर्म में मौत की सजा, 12 साल की नाबालिक के साथ दुष्कर्म पर कम से कम 20 साल की सजा या फांसी और दुष्कर्म के बाद अगर पीड़िता की मौत हो जाती है तो 20 साल की सजा या उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है अब तक नाबालिक के साथ दुष्कर्म करने पर 7 साल की सजा होती है.
मॉब लीचिंग में सजा का प्रावधान
नए कानून के तहत मॉब लीचिंग को हत्या से जोड़ा गया है इसमें 5 या 5 से अधिक लोग का समूह एक साथ मिलकर लिंग, नस्ल, जाति, जन्म स्थान, भाषा और व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर हत्या करते है तो उन्हें मौत या उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है इसमें कम से कम 7 साल की सजा और अधिक से अधिक आजीवन कारावास या मौत की सजा दी जा सकती है
पहचान बदलकर महिलाओ से संबंध बनाना है अपराध
नए विधेयक के अनुसार, अगर कोई अपनी गलत पहचान बताकर किसी महिला से यौन संबंध बनता है तो उस पर भारत में पहली बार नई दंड सहिंता के तहत मुकदमा दर्ज करवा सकते है पहली बार शादी, पदोन्नति, रोजगार या झूटी पहचान बताकर किसी महिला से संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में आता है. नए कानून में कहना गया है कि अगर कोई पुरुष किसी महिला के साथ धोखेबाजी करके या झूठ बोलकर यौन संबंध बनता है तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है. धारा 69 के तहत अगर कोई धोखे से या किसी महिला से बिना इरादे के शादी का वादा करता है और यौन संबंध बनाता है तब यौन संबंध रेप के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.
पुरुषों को यौन उत्पीडन से बचाने का अब खत्म कानून
धारा 377, (अप्राकृतिक यौन अपराध) अब पूरी तरह समाप्त कर दी गई है इसका मतलब अब पुरुषो को यौन उत्पीडन से बचाने के लिए कोई कानून नहीं है.
रेप उत्पीडन की पहचान उजागर करने पर होगी सजा
नए कानून में रेप पीडिता की पहचान बताने वाले के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 72, में जो कोई भी नाम या किसी भी मामले को प्रकाशित करता है जिसमे किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान हो सकती है जिसके खिलाफ धारा 63, 64, 65, 66, 67, 68 के तहत अपराध लगाया गया, पाया गया या अपराध किया गया हो ऐसे अपराधी को किसी भी अवधि के कारावास की सजा दी जा सकती है जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है. बलात्कार के मामले में यह बोला गया है कि अगर पीडिता ने कुछ विरोध नहीं किया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी सहमति है.
हेट स्पीच और भड़काऊ भाषणों पर भी मिलेगी सजा
नए कानून के अनुसार, हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ भाषणों को अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाएगा. इसमें हेट स्पीच के खिलाफ 3 साल कि सजा और धार्मिक भड़काऊ भाषण देने पर 5 साल की सज़ा का प्रावधान किया गया है ताकि धर्म के नाम पर देश में दंगे का हो. इसे धारा 112 से 125 तक रखा गया है इस कानून के तरह अब भीड़ को भी शक्ल देकर सजा मिलेगी.
जज को देना होगा 30 दिन में फैसला
नए कानूनों में अब 3 साल से कम सजा वाले अपराधो का समरी ट्रायल होगा, ट्रायल के बाद पुलिस को 90 दिन के अन्दर चार्जशीट पेश करनी पड़ेगी और जज को फैसला 30 दिन के अन्दर सुनना पड़ेगा. अब पहले की तरह तारीख पर तारीख से बचाने के लिए यह प्रावधान किया गया है. गृह मंत्री ने कहा कि जल्दी न्याय प्रदान करने और लोगों की समकालीन जरूरतों या आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, अब सबको 3 साल के अंदर न्याय मिलेंगे.
5 साल में सभी कोर्ट होंगे डिजिटलाईज
नए प्रावधान के अनुसार अब सब कुछ ऑनलाइन होगा, FIR से लेकर जजमेंट तक सब होगा ऑनलाइन. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि 2027 तक सभी कोर्ट डिजिटलाईज हो जाएंगे , फिर आप कहीं से भी ऑनलाइन जीरो ऍफ़आईआर (zero FIR ) करवा सकते हो. अगर किसी को गिरफ्तार किया जाता है तो तुरंत उसके परिवार को बताया सूचित किया जाएगा, अब 180 दिन के अन्दर ट्रायल और चार्टशीट पेश करना अनिवार्य होगा.
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किया गया नया अपराधिक कानून बिल हमारे कानून वयवस्था को नया रूप देगा और 150 सालों पुराने नियमो को बदलकर एक नई न्याय की उम्मीद लायेगा, यह कानून सजा नहीं न्याय दिलाएगा.
बदल जाएगा न्याय की ये प्रकिया
- भारतीय दंड सहिंता 1860 की जगह भारतीय न्याय सहिंता 2023 होगी.
- दंड सहिंता प्रक्रिया 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 होगी.
- भारतीय साक्ष्य सहिंता 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 होगा.
- अब छोटे मामलो में समरी ट्रायल होगा और 30 दिन के अन्दर जज को फैसला देना होगा.
- किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के तुरंत बाद उसके परिवार को सूचित किया जायेगा.
- अपराध की कमाई वाली सम्पतियों के जब्ती होगी.
- थाने में पड़ी सम्पत्तियों से मिलेगा छुटकारा, फोटो/वीडियो बनाने के 30 दिन में सम्पति के निपटान, नष्ट करने, जब्ती या वितरण का आदेश दिया जायेगा.
- गुलामी की निशानी वाले 224 शब्द हटाये जाएंगे जिसे पार्लियामेंट ऑफ यूनाइटेड किंगडम, प्रिवोशियल एक्ट, लंदन गैजेट, जूरी, लाहौर गवर्नमेंट, कॉमनवेल्थ आदि
- अगर कोई सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज है तो 120 दिन केस चलाने की अनुमति है.
- मानहानि और नशे में दुर्व्यवहार जैसे छोटे अपराधो में अब सामुदायिक सेवा करनी पड़ेगी.
- सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी करने से रोकने के लिए भी अब सामुदायिक सेवा करनी पड़ेगी
- ई-मेल और स्मार्ट फ़ोन तक सब सबूत माने जायेगा.
- FIR से जजमेंट तक सब ऑनलाइन होगा.
- बच्चो पर अपराध करने पर न्यूनतम 7 साल सजा.
- लापरवाही से मौत हो जाने पर अब 10 साल की सजा.
- हिट एंड रन केस में 10 की सजा.
- राजद्रोह कानून होगा खत्म, भीड़ को भी मिलेगी शक्ल
- अब कही से भी होगी ऑनलाइन जीरो FIR
- सजा माफ़ी की सिफ़ारिश में अब सियासी इस्तेमाल होंगे सीमित
- अपराधी की तलाशी के दौरान विडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होंगी.
- गलत पहचान बताकर युवती से शादी करना अपराध की श्रेणी में आएगा.
- मॉब लोचिंग और नाबालिक यौन शोषण में अब फांसी की सजा.
- हत्या के लिए 302 ही नहीं अब होगी धारा 99.
- आत्महत्या की धारा अब 309 से बदल कर धारा 224 कर दी गयी है.
- हत्या के प्रयास के लिए अब धारा 309 से होगी 107.
- धोखाधड़ी के लिए अब धारा 420 नहीं 316 होगी.
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