Hasanpur Depot Corruption Details in Hindi – नंद नगरी बस डिपो पर कुछ महीने पहले CBI ने कार्रवाई की थी और डिपो मैनेजर अभिषेक जैन समेत कई लोगों पर गाज गिरी थी. कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी लेकिन वही कुछ लोगों का ट्रांसफर जोन से बाहर कर दिया गया था. अब कुछ ऐसा ही मामला दिल्ली के हसनपुर डिपो से निकल कर सामने आ रहा है.
दरअसल, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने DTC बसों में सिक्योरिटी गार्डों को बतौर मार्शल तैनात किया था और यह कदम बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाया गया था. जहाँ महिला सुरक्षा के लिए पुरुष और महिला मार्शल तैनात किए गए थे लेकिन स्थिति अब ऐसी हो गई है कि यहाँ पर मार्शल भी सुरक्षित नहीं हैं. दरअसल, DTC बसों में काम करने वाली एक महिला मार्शल ने एक पत्र लिखकर शिकायत की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि बस डिपो (Hasanpur Depot) में उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है. साथ ही एक शख्स ने डिपो में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से इस मामले में शिकायत भी की है.
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महिला मार्शल ने की दुर्व्यवहार की शिकायत
जानकारी के अनुसार, जिस महिला ने पत्र लिखकर शिकायत की है उनका नाम प्रियंका (बदला हुआ नाम) है. ये महिला मार्शल के रूप में हसनपुर डिपो में कार्यरत थी लेकिन शिकायत के बाद उन पर एक्शन हो गया. इस महिला ने बताया कि प्रदीप कुमार (टोकन नंबर – 79053), जो कंट्रोल रूप में कार्यरत है वह काफी समय से उनके पीछे पड़ा हुआ है और उन्हें परेशान कर रहा है. वह समय से पहले ही उनकी अनुपस्थिति (Absent) लगा देता है साथ ही उन्हें लेट ड्यूटी करने के लिए मजबूर करता है.
ऐसा वो इसलिए करता हैं ताकि महिला उसकी बात मनाकर उससे दोस्ती कर ले (यानी वह उस महिला का शोषण कर सकें). वहीं, महिला ने जब इस बात की सूचना अपने प्रबंधक महोदय को दी तब उन्होंने प्रदीप कुमार को लाइन ऑफ़ हाजिरी करने के आदेश दे दिए थे लेकिन इसके बाद भी उसे किसी न किसी सीट पर लगाया जा रहा है. ध्यान देने वाली बात है कि यह वही प्रदीप कुमार हैं, जिन्होंने वरुण सागर की फर्जी हाजरी लगाई थी और उसी दिन विजलेंस की टीम ने छापा मारा था. उसके बाद विजलेंस ने कार्रवाई की.
विजलेंस की कार्रवाई के बाद डिपो मैनेजर को प्रदीप कुमार पर एक्शन लेना था लेकिन डिपो मैनेजर ने कुछ नहीं किया और उल्टे में उसका साथ तक दे रहे हैं. डिपो मैनेजर पुष्पेंद्र सिंह के देखरेख में ये सारी चीजें हो रही हैं. आपको बता दें कि प्रदीप कुमार और वरुण सागर के ट्रांसफर के ऑर्डर काफी पहले आ चुके थे लेकिन अभी तक वरुण सागर को रिलीव नहीं किया गया है. जबकि प्रदीप कुमार को हाल ही में राजघाट डिपो में ट्रांसफर किया गया है.
Hasanpur Depot में हो रहा है भ्रष्टाचार
इसी के साथ दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को पत्र लिखकर एक शख्स ने शिकायत की है कि हसनपुर डिपो में काफी समय से भ्रष्टाचार चल रहा है. इस शख्स ने बताया कि डिपो में शेड्युल सेक्शन में काम करने वाले ड्यूटी इनचार्ज रंजीत (टोकन नं0 73889) हर महीने पैसे लेकर संवाहकों, चालकों और मार्शलों…जिनका नाम चालक जगतराम, प्रमेन्द्र, श्रवण कुमार, सतेन्द्र आदि हैं, संवाहक- नित्या, सोनिया, कमल, अनुज, कपिल पांचाल और मार्शल – लोकेश, सोनू, गुलशन, पंकज आदि है, उन्हें मनचाही ड्यूटी दे देता है. ऐसे में अगर पिछले 3 सालों का एलोकेशन के साथ SAR से चेक हो जाए, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
वहीं, इस शख्स ने यह भी खुलासा किया है कि हर तीन महीने में ड्यूटी ऐलोकेशन चेंज होती है लेकिन यहां पर हर महीने पैसे के आधार पर ड्यूटी (Hasanpur Depot Corruption Details) तय होती है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में रंजीत एलोकेटर का काम कर रहा है. इस पद को लेकर चीजें ऐसी हैं कि कोई भी ज्यादा से ज्यादा इस पद 3 साल रह सकता है, उसके बाद डिपो से ही उसका ट्रांसफर हो जाता है. लेकिन रंजीत के केस में ऐसा नहीं है. रंजीत पिछले 7 सालों से उस पद पर बना हुआ है. ऊपर के अधिकारियों की छत्रछाया में वह काम कर रहा है, उनका मुंह मीठा करा रहा है और पद पर बना हुआ है.
पैसों के आधार पर तय होती है ड्यूटी
रंजीत के बाद अब आते हैं एक्सीडेंट सेल में काम करने वाले हरीश (टोकन नं0 76804) पर. ये महाशय बस एक्सीडेंट और चालान वाले मसलों को देखते हैं. ड्राइवरों से लेन देन कर यह मामले का निपटारा करते हैं. खबर यह भी है कि इनके कमरे पर भ्रष्ट या यूं कहें कि पूरे ‘मिलीभगत गिरोह’ की पार्टी भी होती है, जिसकी शिकायत पहले भी कई बार की जा चुकी है परन्तु इस मामले में भी डिपो प्रबन्धक के द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. डिपो में होने वाले लड़ाई झगड़े में भी हरीश और एलोकेटर रंजीत का नाम टॉप पर है. इनकी रंगदारी से पूरे डिपो में काम करने वाले लोग त्रस्त हैं.
अगर हम एक्सीडेंट सेल में काम करने वाले हरीश के पोस्ट की बात करें तो उस पोस्ट पर कोई भी आदमी केवल 1 साल काम कर सकता है. उसके बाद उस शख्स का या तो ट्रांसफर हो सकता है या फिर रोटेशन के तहत किसी अन्य पोस्ट पर भेजा जा सकता है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि हरीश इस पोस्ट पर करीब 5 सालों से बना हुआ है. सवाल यह है कि क्या डिपो मैनेजर को इसकी खबर नहीं है या खुद डिपो मैनेजर ही अपनी जेब भरने के लिए ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं?
Hasanpur Depot में होता है लड़ाई-झगडा
इसी के साथ कई महिला संवाहको की ड्यूटी अटेंडेंस उनके आने से पहले ही वरूण सागर लगवा देता है और इस बात की खबर पूर्व डिपो प्रबंधक अनिरूद्ध जी को भी थी, जिन्होंने वरुण सागर और प्रदीप को सीटों से हटाकर लाईन की ड्यूटियों पर लगवा दिया था. लेकिन डिपो प्रबंधक पुष्पेन्द्र जी के आने के बाद इन्हें टेबल ड्यूटी पर लगा दिया गया. इसी के साथ प्रदीप तथा वरूण सागर अब शराब पीकर हरीश (टोकन नं0 76804) एवं रंजीत ( टोकन नं0 73889) के कहने पर डिपो में लडाई, झगडे करते है, वसूली करते हैं और पैसों को ऊपर तक पहुंचाते हैं. जिनकी शिकायत डिपो के साथ-साथ आर.एम.(ईस्ट) में भी की जा चुकी है परन्तु इन चारों के खिलाफ अभी तक कोई भी करवाई नहीं की गयी है.
महिला मार्शलो ने की शिकायत
Hasanpur Depot Corruption Details – आपको बता दें कि विजिलेंस टीम के द्वारा वरूण सागर को अपनी फर्जी हाजरी लगाने के लिये भी पकड़ा जा चुका है लेकिन इस मामले में भी उस पर कोई कार्रवाई नही हुई. वहीं, प्रदीप और वरुण सागर के खिलाफ कई महिला मार्शलों ने शिकायत की है. इसमें वर्तमान में मार्शल प्रियंका (बदला हुआ नाम) का नाम भी शामिल है, जिसने इनकी शिकायत आर. एम.(ईस्ट) तथा डिपो प्रबन्धक तथा उच्चाधिकारियों के पास की है परन्तु इस पर भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से शिकायत करके इस हसनपुर डिपो में टीम भेजकर इस मामले की जाँच कराने की गुजारिश की है. साथ ही गुजारिश की है कि इन सभी लोगों को ट्रान्सफर जोन से बाहर किया जाए.
ट्रान्सफर होने के बाद भी कर रहे हैं काम
इसी के साथ इस मामले में ये भी खुलासा हुआ है कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, उनमें से प्रदीप का ट्रांसफर राजघाट वाले डीटीसी बस डिपो में कर दिया गया लेकिन वो वहां काम पर नहीं जा रहा है और हसनपुर डिपो में ही काम कर रहा है. इसके साथ ही एक और शख्स ने भी है जो ट्रांसफर के बाद भी वहीं पर कार्यरत है.
नंद नगरी डिपो में हुआ है भ्रष्टाचार
वहीं, ऐसा ही एक मामला दिल्ली के नंद नगरी डिपो में सामने आया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, करीब 2 महीने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नंद नगरी डिपो में तैनात एक डीटीसी बस कंडक्टर को नंद नगरी डिपो रिश्वत लेते हुए पकड़ा था. जिस शख्स को पकड़ा था उसका नाम राहुल था और इस शख्स को बस कंडक्टर को एक कर्मचारी से उसका निलंबन रद्द कराने के लिए कथित रूप से 50,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसमें बलराज सिंह और नंद नगरी डिपो मैनेजर अभिषेक जैन का नाम भी समाने आया था. इस घटना के बाद बलराज सिंह और नंद नगरी डिपो मैनेजर ने अपने आप को बचाने के लिए वसूली करने वाले अपने लोगों का ट्रांसफर जोन से बाहर कर दिया.
CGM बलराज है ईस्ट दिल्ली के सभी डिपो का मालिक
आपको बता दें कि बलराज CGM की पोस्ट पर हैं और पूरे ईस्ट दिल्ली के सभी डिपो इनके अंतर्गत आते हैं. वहीं, अब बलराज सिंह के रिटाएर होने में महज 20 दिन का समय रह गया है. बताया जा रहा है कि रिटायर होने के बाद वैसे लोगों को कंसलटेंट बनाकर वापस बुला लिया जाता है, जो ऊपर के अधिकारियों को ज्यादा कमा कर देते हैं! खबर है कि बलराज ने रिश्वत के पैसे से ही अपना एक पूरा का पूरा अपार्टमेंट बनवाया है, जिसका नाम परिवहन अपार्टमेंट है. उसमें डीटीसी के ही काफी लोग रहते हैं. बलराज भी सीबीआई के रडार पर है लेकिन मामले को लेकर उतनी सख्ती नहीं दिखाई जा रही है, जिसकी जरुरत है. 20 दिन में वह अपने पद से रिटायर हो जाएगा और उसके बाद शायद ही वह किसी के हाथ लगे. हसनपुर डिपो भी ईस्ट दिल्ली में ही आता है और इस ईस्ट दिल्ली के सभी डिपो पर बलराज की अपनी पकड़ है. ऐसे में अगर जल्द से जल्द मामले में सख्ती नहीं बरती गई और एक्शन नहीं लिया गया तो इस बात की पूरी संभावना है कि बलराज और उसके ‘गुंडे’ सबकुछ मटियामेट कर देंगे!
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