फार्म हाउस को ध्वस्त करने वाली Noida Authority इन सवालों से कैसे बचेगी?

Noida Authority Farmhouse case Details in Hindi
Source- Nedrick News

Noida Authority Farmhouse case Details in Hindi – काफी लंबे समय से यह प्रचारित किया जा रहा है कि देश में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है…भ्रष्ट अधिकारियों पर जमकर कार्रवाई हुई है…मोदी सरकार के राज में भ्रष्टाचारियों की खैर नहीं है. कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि मोदी से भी बेहतर काम योगी जी कर रहे हैं और योगी राज में भी जीरो टॉलरेंस की नीति है. भ्रष्टाचार का दीमक सरकार में लगा ही नहीं है. लेकिन कहीं न कहीं ये सारी बातें फर्जी प्रतीत होती हैं, जब सरकार के भीतर की तमाम इकाईयों के बीच से भ्रष्टाचार जैसे मामले निकल कर सामने आते हैं और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों की गिरफ्त के कारण आम आदमी खूंटी से टंगा नजर आता है. इसके बाद भी अधिकारियों पर कहीं से कोई कार्रवाई होती नहीं दिखती.

हम बात कर रहे हैं नोएडा विकास प्राधिकरण की, जिसके कारण आज यमुना तटीय क्षेत्र के किसान अपनी जमीन का उपयोग भी अपने तरीके से नहीं कर पा रहे हैं. दरअसल, तटीय क्षेत्र में किसान अपनी पुश्तैनी जमीन पर पहले खेती करते थे…समय के साथ साथ वे आगे बढ़े और अपना घर बनाया…फिर फार्म हाउस तैयार किया…अपनी पूरी पूंजी लगा दी और उसके बाद अब प्राधिकरण की ओर से उनकी इस ‘पूंजी’ पर बुलडोजर चलाने की तैयारी की जा रही है.

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जानिए क्या है पूरा मामला?

नोएडा में यह मामला काफी लंबे समय से चलता आ रहा है. साल 2022 में भी नोएडा प्राधिकरण की कार्रवाई हमें देखने को मिली थी, जब एक साथ प्रशासन ने 100 से ज्यादा फार्म हाउस पर बुलडोजर चला दिया था. अथॉरिटी ने तब तीन क्लब और 124 फार्म हाउस ध्वस्त किए थे. अपने एक सर्वे के आधार पर अथॉरिटी ने तब 1000 फार्म हाउस को चिह्नित कर उसे अवैध घोषित कर दिया था, जिसके बाद फार्म हाउस के मालिकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

कोर्ट की ओर से कहा गया कि फार्म हाउस के मालिक, प्राधिकरण के सामने अपनी लिखिति आपत्ति जमा करा सकते हैं, जिसके बाद प्राधिकरण इसकी जांच करेगा. कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि नियम के मुताबिक प्राधिकरण इसमें कार्रवाई भी कर सकता है. अब ऐसी खबरें सामने आ रही है कि प्राधिकरण ने सभी आपत्तियों का निस्तारण कर लिया है और जिनके खिलाफ भी सबूत मिले हैं…उन पर एक्शन लेने की तैयारी में है. वहीं, नवंबर 2022 में प्राधिकरण ने 30 फार्म हाउसों को ध्वस्त किया था, अब तक कुल 150 फार्म हाउस तोड़े जा चुके है.

Noida Authority Farmhouse case – इसके अलावा 11 जून 2022 को सेक्टर 135 के एक फार्म हाउस में हुई तोड़फोड़ को लेकर भी काफी बवाल मचा था. यह मामला भी इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंचा था, जिसके बाद कोर्ट ने सेक्टर 135 में जमींदोज किए गए एक फार्म हाउस को लेकर नोएडा विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार से जवाब मांगा था.

हालांकि, अब एक बार फिर से ऐसी खबर सामने आ रही है कि नोएडा विकास प्राधिकरण डूब क्षेत्र के अवैध फार्म हाउस को तोड़ने की तैयारी में लगा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राधिकरण सेक्टर- 150, सेक्टर 160, सेक्टर 168, सेक्टर 135 के साथ ही उस क्षेत्र में बनें अवैध फार्म हाउस को ध्वस्त करने वाला है. मजे की बात तो यह है कि इस ध्वस्तीकरण में जो भी खर्च आएगा, उसकी भरपाई भी फार्म हाउस संचालकों से की जाएगी. फार्म हाउस के मालिकों को सार्वजनिक नोटिस जारी किया जा चुका है.

प्राधिकरण से पहला सवाल

ये तो रही पूरी ख़बर, अब मुद्दे पर आते हैं. दरअसल, प्राधिकरण (Noida Authority Farmhouse case details) के पास उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाली पूरी जमीन को लेकर पूरा ब्योरा होता है कि आने वाले अगले 50 सालों तक उसका उपयोग किस हिसाब से हो सकता है. प्राधिकरण का मुख्य काम, नोएडा की भूमि के उपयोग को लेकर मास्टर प्लान तैयार करना है, क्षेत्र के विभिन्न स्थलों का सीमांकन और विकास करना है, नोएडा में भवन के निर्माण और उद्योगों की स्थापना के लिए प्लान्स तैयार करने का है. अब जिन फार्म हाउस को जमींदोज करने की बात कही जा रही है या जिन पर एक्शन हुआ है, उसकी जमीन किसानों की पुश्तैनी है, जो 1976 में हुए नोएडा के गठन के पूर्व से ही उनके पास है.

हालांकि, यमुना के किनारे का यह क्षेत्र पूर्ण रुप से एग्रीकल्चर के लिए है और प्राधिकरण की देखरेख में है. समय के साथ अब वहां किसानों ने अपने फार्म हाउस बना लिए हैं, जिसे जमींदोज करने की बात कही जा रही है. यह भी कहा जा रहा है कि यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है, इसलिए उसे खाली कराया जाना चाहिए. दूसरी ओर लोगों का यह कहना है कि जमीन उनकी है, पुश्तैनी है, वे वहां सालों से हैं लेकिन अभी तक बाढ़ की कोई आशंका ही नहीं हुई और उसकी कोई संभावना ही नहीं है. ऐसे में उनपर कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं उठता. लेकिन इसके बावजूद प्राधिकरण की ओर से हो रही कार्रवाई पच नहीं रही है.

प्राधिकरण से दूसरा सवाल

Noida Authority Farmhouse case Details – अगर बाढ़ की ही बात है तो इसमें दूसरा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के किनारे बने रिवर व्यू रिसॉर्ट और फार्म हाउस का क्या….यह क्षेत्र भी तो पूरी तरह से एग्रीकल्चर के लिए ही है. लेकिन इसके बावजूद वहां धड़ल्ले से रिसॉर्ट और फार्म हाउस बनाए जा रहे हैं, नेताओं के महल बन रहे हैं, रसूखदारों के बार खुल रहे हैं और यूपी प्रशासन की ओर से उस क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन का काम भी काफी वृहद स्तर पर चल रहा है. यह पूरा इलाका ही बाढ़ संभावित क्षेत्र में ही आता है लेकिन उस पर अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई और एक्शन देखने को क्यों नहीं मिला? राज्य की राजधानी में ये सारी चीजें हो रही हैं लेकिन उस पर रोकथाम के लिए कदम क्यों नहीं उठाए जाए जा रहे? आखिर सरकार उस पर एक्शन लेने से बच क्यों रही है, डर क्यों रही है?

प्राधिकरण से तीसरा सवाल

इसमें तीसरा सवाल यह भी है कि अगर प्राधिकरण ने लोगों को एग्रीकल्चर के लिए जमीन मुहैया कराई और वहां पर फार्म हाउस बनकर तैयार हो गया…कुछ साल बीत गए..इतने समय तक प्रशासन सोया क्यों रहा? क्या रातोंरात फार्म हाउस बन गए? क्या रातोंरात ऐसी चीजें हो गईं कि प्रशासन को पता ही नहीं चला? या फिर अधिकारियों के नाक के नीचे ये सब होते रहा, वे नोट दबाते रहे और मामले को चलने दिया. मामले को अगर नजदीक से देखा जाए तो काफी हद तक भ्रष्टाचार ही नजर आता है. क्योंकि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि नोएडा में जमीन या मकान से जुड़ी हर चीज पर प्राधिकरण की नजर बनी रहती है लेकिन 1000 फार्म हाउस तैयार हो गए और प्राधिकरण को पता ही नहीं चला, ये कहना मूर्खता होगी.

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मालिक और अथॉरिटी के बीच चल रहें कुछ सवाल-जवाब

आपत्ति 1: लोगों ने सवाल खड़ा किया कि नंगला नंगली खादर में जो फार्म हाउस बने हैं, वह नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में नहीं आते हैं.

जवाब: इसके जबाव में प्राधिकरण ने कहा कि मास्टर प्लान-2031 के तहत नंगला-नंगली का यमुना नदी से बांध के बीच का क्षेत्र रिवर फ्रंट डेवलेपेमंट जोन के अंतर्गत आता है. इस प्रकार से यह नोएडा प्राधिकरण का अधिसूचित क्षेत्र है.

आपत्ति 2: फार्म मालिकों ने आपत्ति जताया था कि ‘नोएडा प्राधिकरण की ओर से 8 जून 2022 को जारी किया गया सार्वजनिक नोटिस पूर्ण रूप से अवैध था. हमें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया.

जवाब: इस पर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority Farmhouse case details) का जवाब था कि डूब क्षेत्र और बांध रोड पर जगह-जगह नोटिस बोर्ड लगे हुए हैं. उसमें स्पष्ट है कि यहां किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता. प्राधिकरण ने स्पष्ट किया था कि सार्वजनिक सूचना को चेतावनी नोटिस के तौर पर लिया जाना चाहिए.

आपत्ति 3: नोएडा प्राधिकरण का अधिकार क्षेत्र क्या है और फ्लड जोन की परिभाषा के संबंध में क्या आपत्ति है?

जवाब: इस पर नोएडा प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि ‘सिंचाई विभाग के तहत जहां नदी के दोनों ओर मार्जिनल तटबंध निर्मित हैं, ऐसे स्थानों पर दो तटबंध के बीच का क्षेत्र और जहां नदी के दोनों ओर तटबंध निर्मित नहीं हैं, ऐसे स्थानों पर शहरी क्षेत्र में 1.50 बाढ़ आर्वत और ग्रामीण क्षेत्र में 1.25 आर्वत का डूब क्षेत्र होगा. यही वजह है कि नोएडा की 5 हजार हेक्टेयर जमीन को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित किया जाना है, जिसके तहत इसे मास्टर प्लान में शामिल किया गया है.

आपत्ति 4: नोएडा फार्म हाउसों के नक्शों को जिला पंचायत ने पास किया है.

जवाब: इस पर प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि फार्म हाउस डेवलपर की ओर से गलत तरीके से जिला पंचायत से नक्शे पास कराए गए, जिसे बाद इसे निरस्त भी कर दिया गया.

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