कोविशील्ड वैक्सीन के दूसरी डोज लगाए जाने वाले गैप को बढ़ा दिया गया है। पहली ये गैप 4 हफ्ते, फिर इसे बढ़ाकर 6-8 हफ्ते किया गया और अब 12-16 हफ्तों के बाद ही कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज लोगों को लगाई जाएगी। यानि अब जो लोग कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लगवाएंगे, उनको दूसरी डोज के लिए तीन से 4 महीनों का इंतेजार करना पड़ेगा।
क्यों बढ़ाया गया गैप?
ये फैसला क्यों लिया गया, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं? कई लोग सवाल उठाते हुए ये भी पूछते नजर आ रहे है कि क्या देश में वैक्सीन की कमी होने के चलते ये फैसला लिया गया, या फिर वैज्ञानिकों ने ऐसा करने की सलाह दी? आइए आपको बताते है कि सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले के पीछे की वजह क्या है?
दरअसल, टीकाकरण के लिए बनाई गई राष्ट्रीय तकनीकी सलाहाकर समूह (NTAGI) ने कोविशील्ड वैक्सीन में गैप बढ़ाने की सलाह दी थी, जिसे सरकार ने स्वीकार किया। इस पर नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि ये फैसला वैज्ञानिक तथ्यों और रियल लाइफ एक्सपीरियंस के आधार पर लिया गया।
पहली डोज से मिलती है इतनी सुरक्षा
दरअसल, तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के विश्लेषण में दावा किया गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज 22 दिन बाद असर दिखाना शुरू करती है। यही नहीं पहली डोज से ही 76 फीसदी तक सुरक्षा मिलती है।
एस्ट्रेजेनका की वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक UK, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में किए गए क्लीनिकल ट्रायल में ये पता चला कि पहलला टीका लगने के 22 दिन बार असर दिखने लगता है। ट्रायल के अनुसार पहली डोज लिए जाने के 22 दिनों बाद कोई भी गंभीर मामला या फिर अस्पताल में भर्ती की जाने की स्थिति नहीं बनीं।
गैप बढ़ाने पर ज्यादा असरदार होती है वैक्सीन?
रिजल्ट्स के अनुसार पहली डोज से 76 फीसदी तक सुरक्षा मिल जाती है। फिर 12 सप्ताह या उससे ज्यादा के गैप के बाद अगर दूसरी डोज दी जाती है तो ये 82 फीसदी तक प्रभावी हो जाती है। एस्ट्रेजेनेका ने फरवरी में ही ये बात कह दी थीं कि वैक्सीन की दोनों डोज में 12 सप्ताह का गैप होना चाहिए।
वहीं फेमस मेडिकल जर्नल लैसेंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज के बीच 12 हफ्तों से ज्यादा का गैप रखा जाता है, तो इसका असर बढ़ जाता है।