जनसंख्या नियंत्रण पर बिहार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री आमने सामने, जानें क्या है मामला?

जनसंख्या नियंत्रण पर बिहार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री आमने सामने, जानें क्या है मामला?

बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू कर दिया है। जिसके बाद देश के अन्य राज्यों में भी इसे लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। एनडीए शासित बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते दिनों जनसंख्या नियंत्रण पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं का शिक्षित होना जरुरी है। लेकिन इस मसले पर बिहार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने अपना अलह ही राग अलापा है। उनका कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों को अधिक जागरुक होने की जरुरत है।

जानें नीतीश कुमार ने क्या कहा था?

बीते सोमवार को सीएम नीतीश कुमार ने कहा, ‘अगर आप सिर्फ कानून बनाकर उसका उपाए करना चाहेंगे तो यह मुमकिन नहीं है। चीन का मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी मुल्क को देख लें, क्या हालात है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के शिक्षित होने से समाज के हर वर्ग पर असर होगा। यह सबसे बड़ी चीज है कि महिलाएं पढ़ी-लिखी रहेंगी तो इतनी जागृति आती है कि प्रजनन दर अपने आप कम होती है।‘

रेणु देवी का बयान

दूसरी ओर बिहार की उपमुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक रेणु देवी ने भी इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनकी प्रतिक्रिया नीतीश कुमार के बयानों से बिल्कुल भी मेल खाती नहीं दिख रही है। उन्होंने एक लिखित बयान जारी कर कहा, फेटरनिटी रेट को कम करने के लिए पुरुषों को ज्यादा जागरुक होने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि पुरुषों की समझदारी से ही बढ़ती आबादी को कम किया जा सकता है। बीजेपी नेता ने कहा कि बिहार के कई जिलों में नसबंदी को लेकर पुरुषों में काफी डर है। कई जिलों में सिर्फ 1 फीसदी लोग ही नसंबदी कराते हैं।

ससुराल वाले ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए बनाते हैं दबाव

उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने आगे कहा कि पति और ससुराल वाले महिलाओं पर ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए दबाव बनाते हैं। इसी वजह से परिवार बहुत बड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए महिलाओं और पुरुषों के बीच के भेदभाव को खत्म किए जाने की जरूरत है।

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