तमिलनाडु छोड़ अपने घर लौट रहे हैं बिहारी मजदूर
तमिलनाडु (Tamil Nadu) इस समय चर्चा का विषय बना है और ये चर्चा बिहारी मजदूरों (Bihari laborers) की वजह से है. दरअसल, यहाँ पर बिहारी मजदूर अब राज्य छोड़कर वापस अपने घर लौट रहे हैं और इसकी वजह से भाषा है क्योंकि भाषा के कारण यहाँ पर कई बिहारी मजदूरों के साथ मार-पीट के मामले सामने आए हैं. इसी के साथ इस मामले को लेकर राजनीती भी शरू हो गयी है लेकिन समाधान नहीं निकलने पर तमिलनाडु में रहने वाले बिहारी मजदूर अपने घर लौट रहे हैं.
भाषा बनी बिहारी मजदूर की दुश्मन
जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु में लगभग 10 लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं और इन लोगों के लिए भाषा (tamil language) दुश्मन बन गई है क्योंकि भाषा के कारण तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले के कई सारे मामले सामने आये हैं जिसमें बिहारी मजदूरों की पिटाई हो रही है. वहीं इस मामले को लेकर कई बिहारी मजदूर ये कहते नजर आए कि “वे लोग हिंदी बोलते ही पिटाई शुरू कर देते हैं. वहां के लोग बिहारी मजदूरों की जगह अपने स्थानीय लोगों को रोजगार में तरजीह देने की बात कर रहे हैं.
आधार कार्ड दिखाकर मजदूरों के साथ हुई मारपीट
इसी के साथ कई मजदूरों ने बताया कि हमसे पहले अपना आधार कार्ड दिखाने को कहा जाता है. फिर हमारी पिटाई शुरू कर दी जाती है. मजदूरों ने ये भी कहा कि जो वहां की भाषा जानता है उसे कुछ नहीं हो रहा है. वहीं हिंदी भाषी प्रवासी श्रमिकों का दावा है कि तमिलनाडु से भागते समय ट्रेनों में भी उनके साथ मारपीट की जा रही है. एक मार्च को झारखंड के रांची के रहने वाले कुछ मजदूर भी तमिलनाडु से अपने वतन लौटे थे. उनका कहना था कि दक्षिण भारतीय राज्य में पिछले 20 दिनों से माहौल खराब है. “वहां के स्थानीय लोग किसी से भी ये पूछते हैं कि तुम कहाँ से आए है, अगर वे हिंदी भाषी राज्य से बताते हैं, तो उन्हें तमिल में गाली दी जाती है और पीटा जाता है.
इस मामले पर शुरू हुई राजनीती
जहाँ इस मामले को लेकर तमिल सरकार (tamil goverment) ने हिंदी भाषी लोगों पर हमला किए जाने के वीडियो को खारिज किया है. तो वहीं बिहार सरकार (bihar goverment) ने तमिलनाडु में एक टीम भेज कर मामले की जांच करने की बात कही. वहीं इस मुद्दे पर बिहार विधानसभा में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने जमकर हंगामा किया और बाद में वॉकआउट कर दिया. आपको बता दें, 2008 में महाराष्ट्र में भी उत्तर प्रदेश और बिहारी प्रवासियों मजदूरों पर हमले किए गए थे. तब राज ठाकरे ने बिहारियों के लोकप्रिय छठ पूजा की भी निंदा की थी.
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