केंद्रीय जांच एजेंसियों को लेकर काफी पहले से ही विपक्षी पार्टियों की ओर से तरह तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं. मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इन एजेंसियों को फ्री-हैंड दिया गया और उसके बाद कार्रवाई और तेजी से बढ़ी. काफी नेताओं पर भी हमें कार्रवाई देखने को मिली, जिसे लेकर यह भी कहा गया कि सबकुछ मोदी सरकार ही करा रही है. वहीं, ED चीफ संजय कुमार मिश्रा के लगातार बढ़ाए गए कार्यकाल से विपक्षी पार्टियों के इन आरोपों को बल मिला.
हालांकि, ED ने हाल ही में जारी अपने रिपोर्ट कार्ड में यह स्पष्ट किया कि ED की कुल कार्रवाई में, नेताओं पर होने वाली कार्रवाई के मामले 3 फीसदी से भी नीचे हैं. इसी बीच ईडी चीफ के एक्सटेंशन (Extension of ED Chief) को लेकर बवाल मचा हुआ है और अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र ने भी स्पष्ट रुप से कहा है कि ईडी के डायरेक्टर का कार्यकाल बढ़ाना अवैध है.
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मिश्रा के कार्यकाल को अवैध घोषित करने की मांग
दरअसल, ED चीफ के एक्सटेंशन को लेकर एमिकस क्यूरी केवी विश्वनाथन (KV Viswanathan) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संजय कुमार मिश्रा को दिया गया सेवा विस्तार अवैध है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में संशोधन, जिससे केंद्र सरकार को ईडी के निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने की शक्ति प्रदान की, वह भी अवैध था।
सुनवाई के दौरान उन्होंने हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह मुद्दा एक व्यक्ति का यानी एस के मिश्रा का न होकर, सिद्धांत के बारे में है. एमिकस क्यूरी के अनुसार, केंद्र ने जवाब दिया था कि उसने सीवीसी अधिनियम में संशोधन किया है और मिश्रा के कार्यकाल 17 नवंबर, 2021 को विस्तार दिया गया है.
उन्होंने कहा, मेरा निवेदन है कि विनीत नारायण और कॉमनकॉज आदि की याचिकाओं को ध्यान में रखते हुए मिश्रा के सेवा विस्तार अवैध घोषित करे. यह किसी पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति के बारे में बिल्कुल नहीं है बल्कि सिद्धांतों के बारे में है, एक महत्वपूर्ण सिद्धांत जिसे आगे ले जाना होगा.
केवी विश्वनाथन (KV Viswanathan) ने आगे कहा कि ईडी प्रमुख को नवंबर 2021 से आगे का विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए था क्योंकि फैसले में की गई विशिष्ट टिप्पणी थी कि विस्तार केवल असाधारण परिस्थितियों में दिया जाना चाहिए. उन्होंने अदालत से ‘कार्यपालिका के प्रभाव से बचने के व्यापक सिद्धांत’ पर विचार करने का आग्रह किया. ध्यान देने योग्य है कि ईडी चीफ के एक्सटेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर की गई थी.
सरकार ने 3 बार बढ़ाया है कार्यकाल
दरअसल, मिश्रा (62) को 19 नवंबर, 2018 को दो साल की अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय का निदेशक नियुक्त किया गया था. इसके बाद 13 नवंबर 2020 के आदेश में सरकार की ओर से नियुक्ति पत्र में संशोधन किया गया और उनके दो साल के कार्यकाल को तीन साल का कर दिया गया था. उसके बाद सरकार एक अध्यादेश के साथ आई, जिसमें अनुमति दी गई थी कि ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. इस अध्यादेश के बाद केंद्र ने 17 नवंबर, 2021 को फिर से ईडी प्रमुख का कार्यकाल एक साल बढ़ाकर 18 नवंबर, 2022 तक कर दिया था. हालांकि, नवंबर 2022 में सरकार ने तीसरी बार संजय मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाकर 18 नवंबर 2023 तक कर दिया, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है.
पहले 2 वर्षों का होता था कार्यकाल
आपको बताते चलें कि ईडी के चीफ का कार्यकाल 2 वर्षों का होता था और 2020 में संजय मिश्रा का कार्यकाल पूरा हो रहा था लेकिन उससे पहले ही सरकार ने उन्हें 1 वर्ष का एक्सटेंशन दे दिया. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसने विस्तार के आदेश को बरकरार रखा लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि मिश्रा और और एक्सटेंशन नहीं दिया जा सकता है. उसके बाद वर्ष 2021 में सरकार ने दो अध्यादेश जारी कर दिए, जिसने ईडी और सीबीआई के निदेशकों के कार्यकाल को 2 अनिवार्य कार्यकाल के अलावा 3 वर्षों तक बढ़ाने का अधिकार दे दिया. मामला यही है, जिसे लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
वहीं, अगर हम एमिकस क्यूरी को आम भाषा में न्याय मित्र कहा जाता है, जो किसी भी पक्ष का प्रतिनिधित्व नहीं करता. एमिकस क्यूरी का काम सुप्रीम कोर्ट को सलाह देना होता है. अब उन्होंने ईडी चीफ के बार-बार बढ़ाए जा रहे कार्यकाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखी है और उसे पूरी तरह से अवैध बताया है. अब आने वाले समय में स्थिति क्या होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.
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