बदायूं के जमा मस्जिद का क्या है पूरा मामला ?
अभी वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था उससे पहले हीं बदायूं के जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव के मंदिर होने का दावा किया गया है। ऐसे तो ईश्वर सब जगह है पर यूं अदालत का दरवाजा खटखटा कर इसका सबूत देना कितना जायज है ? सिविल कोर्ट ने शुक्रवार, 3 सितम्बर को अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के इस मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। जिसमे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने यह दावा किया था की बदायूं के जामा मस्जिद परिसर में नीलकंठ महादेव का एक प्राचीन मंदिर है। आपको बता दें की बदायूं के ‘मौलवी टोला इलाका’ में स्थित यह जामा मस्जिद देश की सबसे बड़ी और पुरानी मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद में एक साथ 23,000 से ज़्यादा लोग इकट्ठा हो सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने क्या किया दावा ?
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि जिस जगह पर बदायूं में जमा मस्जिद है असल में वहां पर पहले एक हिन्दू राजा का किला था। किले के अंदर नीलकंठ (शिव जी) का मंदिर था। उसी प्राचीन मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई है। सिविल कोर्ट ने अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की याचिका के सुनवाई के बाद तुरंत ही मामला दर्ज करने का आदेश दे दिया। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के जिला अध्यक्ष मुकेश सिंह पटेल ने कहा है कि हमें पता है की पहले वहां पर मंदिर था। इसके सबूत भी हैं। हम जानते हैं कि मंदिर के बारे में जो लेख लिखे गए हैं या फिर इस मंदिर का जिक्र जिस भी लेख में किया गया है उन सब दस्तावेजों को मस्जिद के अंदर एक कमरे में बहुत लम्बे समय से बंद रखा गया है। याचिकाकर्ताओं में से एक का कहना है कि इस मस्जिद को शमसुद्दीन इल्तुतमिशो ने 1222 ईसवी में बनाया था और यह जानकारी इतिहास के किताबों में भी दर्ज है।
ALSO READ : ज्ञानवापी केस: वीडियोग्राफी सर्वे का आदेश देने वाले जज को मिला धमकी भरा लेटर
याचिकाकर्ता समूह के वकील वेद प्रकाश गुप्ता ने बताया है कि हमने अदालत और सिविल जज विनय कुमार गुप्ता के सामने किले, मंदिर तथा मजीद से जुड़ी सभी जानकारियां रख दी हैं। अब अदालत के ऊपर इस फैसले की जिम्मेदारी है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है की इस मामले में जल्द से जल्द केस दर्ज कर सर्वे का आदेश दे ताकि सच्च सब के सामने आ सके।
अदालत ने क्या कहा?
सिविल कोर्ट ने जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी, यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड, यूपी पुरातत्व विभाग (UP Archaeology Department), यूनियन ऑफ इंडिया, यूपी सरकार से बदायूं के जिलाधिकारी और राज्य के मुख्य सचिव से भी इस मामले पर अपना जवाब माँगा है। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 15 सितम्बर को रखी है। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने 8 अगस्त को सिविल कोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी। सिविल कोर्ट ने इस पर मामला दर्ज करने का भी आदेश दिया है।