ऐसे रची गयी थी राजीव के हत्या की साजिश
देश के राज्य तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में 21 मई 1991 को राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की रैली थी और इसी रैली में उनकी हत्या कर दी गयी. वहीं आज करीब 31 साल बाद भारत के पूर्व प्रधानमंत्री (PM) राजीव गांधी हत्याकांड फिर से सुर्ख़ियों में हैं और इस हत्याकांड की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि 11 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के सभी दोषियों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.
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राजीव गाँधी हत्याकांड में शामिल ये आरोपी हुए रिहा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिन लोगों को जेल से रिहा करने के आदेश हुए वे हैं-नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस है। जबकि इससे पहले मई में सुप्रीम कोर्ट पेरारिवलन को पहले ही रिहा कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि इन दोषियों पर कोई दूसरा मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए.
जानिए कैसे हुई थी राजीव गाँधी की हत्या
12 मई 1991 को राजीव गाँधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में एक रैली को संबोधित करने गये थे. वहीं राजीव गांधी जैसे ही रैली वाली जगह पर आए, वैसे ही सुसाइड बॉम्बर बनी धनु उनके पास पहुंच गई धनु ने राजीव को मामला पहनाई और उसके बाद पैर छूने के लिए झुकी और जोर का धमाका हो गया. इस धमाके में राजीव गांधी समेत 18 लोगों की मौत हो गई. धनु के साथ ही इस षड़यंत्र में शामिल हरि बाबू की भी मौके पर ही मौत हो गई.
राजीव गांधी की हत्या के पीछे आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी लिट्टे था. हत्या की साजिश रची लिट्टे के मुखिया वेलुपिल्लई प्रभाकरण, लिट्टे की खुफिया इकाई का मुखिया पोट्टू ओम्मान, महिला इकाई की मुखिया अकीला और शिवरासन का नाम भी शामिल था.
कैसे हुई आरोपियों की गिरफ्तारी
राजीव गांधी की हत्या के तीन दिन बाद इस मामले की सीबीआई को दे दी गयी और सीबीआई ने इस मामले की जाँच करते हुए सबसे पहले नलिनी और मुरुगन गिरफ्तार किया और इसके बाद इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था. 12 लोगों की मौत हो चुकी थी. तीन फरार हो गए थे. बाकी 26 आरोपी पकड़े गए थे. आरोपियों पर टाडा कानून के तहत मुकदमा चला. वहीं सात साल तक चली कानूनी कार्रवाई के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट का फैसला आया. अदालत ने सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.
जानिए इस हत्याकांड में रिहा हुए आरोपियों का क्या था रोल
इस हत्याकांड के आरोप मुरुगन लिट्टे का खुफिया था वहीँ नलिन मुरुगन की पत्नी है और श्रीपेरंबुदुर तक हमलावर दस्ते के साथ रही थी. वहीं संथन हमलावर दस्ते का प्रमुख सदस्य था और श्रीपेरंबुदुर में कांग्रेस कार्यकर्ता बनकर छिपा रहा था और जयकुमार और रॉबर्ट पयास लिट्टे के अहम लड़ाके थे. इन्हें साजिश में मदद करने के लिए तमिलनाडु भेजा गया था. वहीं एजी पेरारिवलनः लिट्टे के लिए काम करता था. इसी ने बेल्ट बम के लिए बैटरी खरीदी थी
बदल दी गयी सजा
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया. वहीं बाकी सात दोषियों में से तीन- रविचंद्रन, जयकुमार और रॉबर्ट पयास की फांसी की सजा को बदलकर आजीवन कारावास में बदल दिया. जबकि नलिनी, मुरुगन, संथन और एजी पेरारिवलन की फांसी की सजा को बरकरार रखी. वहीं साल 2000 में नलिनी की फांसी की सजा को भी माफ कर दिया गया. बचे तीन दोषियों ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई, जिसे खारिज कर दिया गया. फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अब तीनों को फांसी देना सही नहीं है, क्योंकि तीनों की दया याचिका 11 साल तक अटकी रही. आखिरकार तीनों की फांसी की सजा को भी आजीवन कारावास में बदल दिया गया. और अब इन सभी को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करना का आदेश दे दिया है.
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