चीता को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार…
74 साल बाद देश में शेर यानि कि देश के प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) चीता ले आये जिसके उन्हें श्रेय भी मिला उन्होंने फोटोग्राफी भी करी और दिन भर सुर्खियों भी बटोरी. पीएम मोदी का Birthday था इस मौके पर पीएम ने देश को चीता गिफ्ट किया लेकिन क्या इस बात की कोई सुध लेना वाला है देश में हज़ारों गायें दम तोड़ रही हैं.
दरअसल, देश की गौ-माता की जिनकी मौत एक वायरस की वजह से हो रही है और इस वायरस की वजह से अभी तक 50 हज़ार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है और इसका कारण नाकाम सरकार है जो सरकार गौ रक्षा के नाम पर वोट मांगती है जो सरकार गाय के नाम पर जनता को भावुक कर करती है उसके लिए गाय को मौत को लेकर कोई पीड़ा नहीं है.
दम तोडती सरकार की व्यवस्था
इस समय देश में फैले लम्पी वायरस (lumpy virus) से गायों की मौत हो रही है और ये आकंडा लाख तक पहुंचने वाला है और इसी तरह गायों का इस वायरस से संक्रमित होने का आकंडा भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. वहीं जब नगर निगम में इस वायरस से संक्रमित गायों के बीमार होने की शिकायत की जाती है तो कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गाय के दम तोडऩे के 12 से 14 घंटे में निगम की टीम पहुंचती है जिसके कारण वायरस के संक्रमण का खतरा और बढ़ता ही जा रहा है.
वहीं देश में आवारा पशुओं को उठाने का ठेका जिस संवेदक को दिया है, उनसे ही लम्पी से पीड़ित गायें उठाई जा रही हैं। ऐसे में आम तौर पर ठेकेदार बीमार गाय को उठाने में मना कर रहे हैं और समय पर इलाज ने मिलने के कारण पीड़ित गाय दम तोड़ रही है. वहीं कई गायें लम्पी त्वचा रोग से ग्रसित होकर घूम रहीं थीं। इनकी वजह से संक्रमण फैलने का भी खतरा है।
गौ-प्रेम के नाम पर भ्रष्टाचार
गोउ प्रेमी कहे जाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गौ-प्रेम के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है. सरकार गौशालाओं में गायों की सेवा के लिए बड़ा बजट दे रही है, ताकि उन्हें भूसा, हरा चारा और गुड़ चना खिलाया जा सके. लेकिन इससे गायों की सेवा न करते हुए शासन से आने वाले पैसे की चोरी की जा रही है. पशु डॉक्टर नगर पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा नहीं करते और इसके साथ ही अगर गौशाला में कोई जानवर मर जाए तो उसे उठाया नहीं जाता है. जबकि गौशाला के रखरखाव के लिए लोगों को वेतन भी दिया जाता है.
गौशालाओं की हालत खराब
उत्तर प्रदेश में गौशालाओं केंद्रों में गायों की मौत हो रही है और इसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई भी नहीं है. वहीं अगर कोई गाय मर जाती है तो उनका शव उठा कर कोई दफन करने वाला भी नहीं है और गाय का शव पड़े-पड़े सड़ जाते है. वहीं कई गौशाला के अंदर गाय हाड़ मांस के ढांचे के रूप में दिखाई दे रही है जिसको देखकर लगता है कि शासन से अच्छा बजट आने के बाद गौशाला मे भोजन नहीं दिया जाता है।
इसके अलावा संरक्षण केंद्र के अलग-अलग हिस्सों में भी गाय मरी पड़ी हैं। जिसे कर्मचारियों ने दफन करने की भी जरूरत नहीं समझते हैं. वहीं गौशाला की और इस मामले पर ये सफाई दी जाती है कि मवेशी ज्यादातर गौशाला मे बीमार हैं। इसके चलते भी रोज 3-4 मवेशी मौत का शिकार हो रहे हैं।
सरकार का गायों को लेकर झूठे प्रेम
जिस देश में सरकार गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की बात कर रही है जिस देश के 29 राज्यों में से 24 में गो हत्या पर प्रतिबंध है। जिस देश के सनातन धर्म में गायों को पूजने की परंपरा है और जिस देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री को गौ भक्त कहा जाता है और राज्य में गाय को पालने के लिए कई सारी योजना शुरू करी है उस राज्य की गौ-शाला में भी गायों की मौत हो रही है. सोशल मीडिया पर जहाँ देश की गाय को बचाने के लिए कई सारी पोस्ट आती है उसी सोशल मीडिया सरकार का गायों का झूठे प्रेम भी देखा जा सकता है. जिसमे सिर्फ गायों की लाशे ही लाशे हैं.
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