देश में होने वाली एक जंग और शहर में होने वाला एक दंगा कैसे आपकी जिंदगी बदल सकता है. बॉलीवुड के मशहूर एक्ट्रेस परवीन बाबी इसकी सबसे बड़ी मिसाल रही हैं. एक्ट्रेस शायद कभी फिल्मों में ना आतीं, अगर उनके साथ वो हादसा ना हुआ होता. और शायद उन्हें वो गंभीर बीमारी भी ना हुई होती, जिसे दुनिया Paranoid Schizophrenia के नाम से जानती हैं. लेकिन इन सबका का जो कनेक्शन है इनके होने की वजह है वो भी अपने आप में एतिहासिक है.
परवीन को सीजोफ्रेनिया था, इस बात से हर कोई वाकिफ है, और उनकी बीमारी के किस्से भी हर किसी ने सुने ही होंगे, लेकिन ये बात शायद ही कोई जानता हो कि एक्ट्रेस को ये बीमारी हुई कैसे थी? दरअसल बात उस वक्त की है जब परवीन 17 साल थीं. देश का माहौल तंग था और शहर में दंगे चल रहे थे. 1971 में हुई भारत-पाक की जंग भले ही 13 दिन चली हो, लेकिन उस जंग का जो असर था वो परवीन की जिन्दगी से कभी नहीं जा पाया. यहीं से उनके दीमाग पर असर पड़ना शुरू हुआ था. बहुत लोग नहीं जानते कि वो अहमदाबाद के सेंट जेवियर कॉलेज में पढ़ा करती थीं.
पड़ोसी पाकिस्तान के पायलट से तय हुआ था रिश्ता
इस बात से हर कोई वाकिफ होता है कि जब दो देशों में युद्ध होता है तो उसकी वजह तत्कालीन नहीं होती, एक जुंग दोनों देशों के बीच कई साल पुराने आपसी तनाव की वजह होती है. ठीक ऐसे ही जमीनी स्तर पर भले ही भारत-पाकिस्तान के बीच जंग 1971 में शुरू हुई हो, लेकिन इसकी जड़ों ने 1969 से ही मजबूती पकड़ ली थी. इसी युद्ध के बीच इस बॉलीवुड एक्ट्रेस का रिश्ता पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के पायलट जमील से तय हुआ था. जमील दिखने में बेहद हैंडसम थे. एक्ट्रेस की मां ने ये रिश्ता तय किया था. लेकिन इस रिश्ते से परवीन बेहद खुश थीं. कॉलेज में सर्दियों की छुट्टी पड़ी थी. छुट्टियों में वह कराची गईं, जहां उनकी सगाई भी हो गई.
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शादी ख़ुशी किसे नहीं होती चाहे वो लड़का हो या लड़की और इसी ख़ुशी में परवीन जिस स्कूल में पढ़ती थी वहां के हॉस्टल में परवीन ने अपनी सगाई की फोटो अपनी सारी सहेलियों को दिखाई. उस लैविश एंगेजमेंट की तस्वीरें देख हर क्लासमेट और दोस्त ने परवीन और जमील की तारीफ की. लेकिन वो कहावत है न कि मिठाई जितनी ज्यादा मीठी होती है उतनी ही ज्यादा जल्दी चीटियां भी उसी पर लगती है. फिर क्या इनकी सगाई को शायद किसी की नज़र लग गयी.
दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे, लेकिन 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान की जंग के बाद परवीन की मां को यह शादी तोड़नी पड़ी. उन्होंने बेटी को इसकी खबर पोस्टकार्ड के जरिए बताई. अहमदाबाद में कॉलेज के हॉस्टल में बैठी परवीन ने जब ये पोस्टकार्ड पढ़ा तो उनका दिल टूट गया.
1969 के दंगों का पड़ा असर
अगर किसी का रिश्ता टूटे और तकलीफ न हो ऐसे लाखों में एक बार ही हो सकता है. और परवीन के मामले में कुछ ऐसे ही था की वो वास्तव में इस खबर से काफी आहत हुई थी. दरअसल 1969 में जब परवीन की सगाई हुई थी, तब गुजरात भी दंगों की चपेट में आया था. इस दंगे में परवीन को भी अपनी जान बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी. वो एक खौफ के साए से निकली थीं. परवीन तब हॉस्टल में थीं जब बाहर गुजरात दंगे की आग में सुलग रहा था. वहां मारकाट मची हुई थी. महिलाओं से बदसलुकी, हर तरफ हत्या, घरों-दुकानों की लूटपाट का तांडव मचा हुआ था. हॉस्टल में लड़कियों की रखरखाव का ध्यान रखने वाली वॉर्डन को परवीन की चिंता हुई.
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क्योंकि परवीन मुस्लिम धर्म से थीं. वॉर्डन ने सोचा परवीन को उनके जानकार पंकज झावेरी के घर पहुंचाया जाए. लेकिन बिगड़े माहौल में ये आसान नहीं था, इसलिए उन्होंने दरी और कंबल से भरे एक ट्रक में परवीन को छुपाकर भेजा. इस घटना का जिक्र परवीन ने महेश भट्ट से भी किया था. अपने दिल में दबी दहशत को बयां करते हुए परवीन ने कहा था- तुम नहीं जानते कि कंबलों के बीच छुपे रहना कैसा होता है. जब हर पल ये डर रहे कि किसी भी वक्त कोई सारे कंबल उठाकर मुझे बाहर खींच लेगा और मेरे साथ रेप कर देगा.
जिन्दगी के आखिरी पल में भी रही अकेली
परवीन के दिल में ये दहशत हमेशा कैद रही. इसके बाद जब उनकी सगाई टूटी और उन्हें उनका प्यार नसीब नहीं हुआ, तो वो मानसिक तौर से कमजोर होने लगीं. वहीं बंटवारे में उनका सारी रियासत लुट गई थी. वो ना ही पाकिस्तान जा पाईं और ना ही उन्हें उनका प्यार मिला.इन सारे माम्लातों का असर परवीन पर गहरा असर हुआ. परवीन अपनी आखरी पल में भी अकेली ही रहीं. 72 घंटों तक उनकी बॉडी कमरे में पड़ी रही. जब बदबू बाहर आने लगी, तब पड़ोसियों ने पुलिस को खबर की और पता चला कि परवीन बाबी इस दुनिया से जा चुकी हैं.