water fasting: फास्टिंग हमारे शरीर के लिए सेहतमंद होता है. फास्टिंग से हमारा शरीर डीटोक्स हो जाता है. हमारा पाचन तंत्र अच्छा रहता है. हमारे शरीर को मानसिक और शारीरक दुरुस्त रहता है. सदियों से लोग उपवास या फास्टिंग करते आ रहे है. वैसे तो फास्टिंग को धार्मिक तौर पर भी देखा जाता है पहले देवी देवताओं में अपनी श्रधा के लिए लोग फास्टिंग करते थे, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. फास्टिंग करने से हमारे पाचन तंत्र को आराम मिलता है. पाचन तंत्र अच्छा रहता है. अब लोग फास्टिंग वजन कम करने के लिए भी करते है.
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आजकल वाटर फास्टिंग काफी ट्रेंड में है. लोग अपना वजन कम करने के लिए वाटर फास्टिंग करते है. वाटर फास्टिंग में खाना नहीं खाते है. इस फास्टिग में सिर्फ पानी, बिना सुगर की ब्लैक कॉफ़ी का ही सेवन कर सकते हो. इस वाटर फास्टिंग से हमार वजन काफी कम होता है. कई वैज्ञानिकों ने वाटर फास्टिंग को हमारे शरीर के लिओये अच्छा बताया है. इससे हमारे शरीर की कई समस्याओं का निवारण होता है. हमारा पाचन तन्त्र भी अच्छा रहता है. वाटर फास्टिंग से हमारे शरीर की पूरी और डेड कोशिकाएं डेवेलप हो जाती है.
वाटर फास्टिंग शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
वाटर फास्टिंग का समय 24 घंटे से 72 घटो तक का होता है. वाटर फास्टिंग हमारे शरीर को कंडिशन करता है. फास्टिंग का मस्य आपकी सेहत पर भी निर्भर करता है. वाटर फास्टिंग दिल, किडनी रोग, माइग्रेन, गाउट, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज और प्रेग्नेंट महिलाओं को नहीं करना चाहिए.
वाटर फास्टिंग के बाद क्या खाना चाहिए ?
हम आपको बता दे कि पहली बार वाटर फास्टिंग कम समय के लिए करना चाहिए. वाटर फास्टिंग के बाद एकदम से ज्यादा खाना नहीं खाना चाहिए. धीरे धीरे और लाइट वेट का खाना खाना चाहिए. वाटर फास्टिंग के बाद भी बहुत सारा पानी पीना चाहिए. इससे हमारा पाचन तंत्र अच्छा रहता है.
वाटर फास्टिंग के नुकसान
वाटर फास्टिंग करने से कुछ फायदों के साथ नुकसान भी होते है. वाटर फास्टिंग में हम सिर्फ पानी पीते है. अगर हमने कम पानी पिया तो हमे डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है. वाटर फास्टिंग के समय कम कम कैलरी में रहना पड़ता है जो हमारे शरीर के लिए सही नहीं होती. साथ ही वाटर फास्टिंग का समय हमे हमारी सेहत के अनुसार भी रखना चाहिए. बीमार इंसानों को वाटर फटिंग नहीं करनी चाहिए. जिससे वह ओर भी अधिक बीमार हो सकता है.
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