बढ़ रही कनाडा में भारतियों के साथ हिंसा, खालिस्तानी एंगल होने की आशंका

बढ़ रही कनाडा में भारतियों के साथ हिंसा, खालिस्तानी एंगल होने की आशंका

कनाडा में बढ़ी भारतियों के साथ हिंसा

पिछले कुछ दिनों से कनाडा (Canada) में रह रहे भारतीयों (Indian) के खिलाफ नफरती हिंसा बढ़ते ही जा रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 23 सितंबर 2022 की हिंसा के बाद कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों और छात्रों को सतर्क रहने की सलाह दी थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के इस सलाह के केवल 10 दिन बाद ही ब्रैम्पटन में एक हिंदू ग्रंथ के नाम पर बने पार्क को निशाना बनाया गया। भारत सरकार की तरफ से इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया भी दी गई है। इस हिंसा के बाद ऐसा लग रहा है जैसे कनाडा में भारतियों पर हिंसा ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कनाडा में भारतियों के खिलाफ ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है। अगर बीते कुछ महीनों या सालों की बात करें, तो कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ गई हैं। कनाडा में नफरती अपराध, नस्लीय हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों जैसे अपराध भारतीय नागरिकों या भारत से जुड़ी चीजों के खिलाफ बढ़ते जा रही है।

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हाल ही में कनाडा के ओंटारियो में हुई गोलीबारी में एक भारतीय छात्र सतविंदर सिंह की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत सरकार ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कनाडा में रह रहे भारतीय लोगों को सतर्क रहने को कहा था। इस मामले के बाद कनाडा में भारतीय उच्चायोग ने इस संबंध में वहां की सरकार से बातचीत करते हुए उचित कार्रवाई की भी मांग उठाई थी।

ताजा घटना क्या है ?

ब्रैम्पटन स्थिति एक उद्यान में जिसका नाम ‘श्री भगवद गीता पार्क’ है, उसमें तोड़फोड़ की गई। स्थानीय मेयर पैट्रिक ब्राउन ने इस घटना की पुष्टि करते हुए ट्विटर पर इसे शेयर किया। कनाडा में भारतीय उच्चायोग की तरफ से भी इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई है। ब्राउन ने साफ कर दिया है कि ऐसी चीजों पर कनाडा की अथॉरिटी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाती हैं, मतलब की वहां की सरकार ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं करती। पिछली घटनाओं पर अगर एक नजर डालें, तो ब्राउन का यह दावा खोखला नजर आता है।

भारतियों के खिलाफ हुई और भी घटनाएं

इसी साल कनाडा में भारतियों के खिलाफ ऐसी और अनेकों घटनाएं हुई हैं जिसे देख या सुन कर, किसी भी दूसरे देश में रह रहे भारतियों के रूह कांप जायेंगे।

इसी साल फरवरी महीने में ग्रेटर टोरंटो इलाके में स्थित 6 हिंदू मंदिरों में चोरी की खबरें सामने आई थी। ये सारी चोरियां 2-3 महीने के अंतराल में हुई थी। इन चोरियों की शुरुआत हिंदू सभा मंदिर और श्री जगन्नाथ मंदिर से हुई थी, यहां गौर करने लायक बात यह है की ये दोनों मंदिर भी कनाडा के ब्रैंम्पटन में ही स्थित हैं।

कनाडा में मार्च 2022 में पंजाब के कपूरथला के निवासी, 25 वर्षीय हरमनदीप कौर की हत्या कर दी गई थी। कथित तौर पर कौर के सिर पर एक कनाडाई नागरिक ने रॉड से हमला किया था जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई।

कुछ इसी तरीके से अप्रैल 2022 में दिल्ली से सटे गाजियाबाद के रहने वाले 21 वर्षीय छात्र कार्तिक वासुदेव को कनाडा के टोरंटो में गोली मार कर हत्या कर दी गई। कार्तिक सेनेका यूनिवर्सिटी से ग्लोबल मैनेजमेंट की शिक्षा हासिल कर रहे थे।

कनाडा में भारतियों के खिलाफ ऐसी घटनाएं इस साल लगभग हर महीने में हुई है। जैसे की जुलाई में कनाडा के ओंटारियो में रिचमंड हिल सिटी के यॉन्ग स्ट्रीट और गार्डन एवेन्यू इलाके में स्थित विष्णु मंदिर में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा तोड़ दी गई। इसी तरीके की घटनाएं सितम्बर में टोरंटो स्थित स्वामीनारायण मंदिर में हुई थी। इस मंदिर के दीवार पर भारत विरोधी तथा खालिस्तान समर्थन के नारे लिखे हुए था। वहीं दूसरी तरफ अगस्त में पंजाबी मीडिया होस्ट जोती सिंह मान पर हमला हुआ था, हमले की वीडियो पूरे कनाडा में बहुत तेज़ी से वायरल भी हुई थी।

कनाडा के कुछ इलाकों में खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक

वैसे तो कनाडा में सभी प्रकार के लोग रहते हैं। ठीक इसी तरह कनाडा के कुछ इलाकों में खालिस्तान (Khalistan) और पाकिस्तान (Pakistan) समर्थक भी रहते हैं, जिनके द्वारा भारतीयों को निशाना बनाकर हिंसक प्रदर्शन करने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इन हिंसों को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा सरकार से कई बार कार्रवाई की मांग भी उठाई है। अरिंदम बागची जो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हैं, उन्होंने कहा था कि कनाडा में राजनीतिक वजहों से भारत विरोधी हिंसा पर लगाम नहीं लग पा रहा है।

कनाडा में चल रहा अलग खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह

कनाडा में हाल ही में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह हो रहा था। इस जनमत संग्रह के लिए चल रही कार्रवाई को भी बहुत ही आपत्तिजनक और कट्टरवादी व अतिवादी तत्वों की तरफ से किया जाने वाला कदम करार दिया गया था। कनाडा में बहुत सारे खालिस्तानी संगठन एक्टिव हैं। खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों को लेकर भारत सरकार ने अपनी चिंता जताई है, पर कनाडा की सरकार राजनीतिक वजहों से इनके खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठा पा रही है।

दूसरी तरफ कनाडा में रह रहे सिखों की राय अलग खालिस्तान को लेकर बंटी हुई है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार भारत सरकार की एडवाइजरी एक बड़े तबके के लिए दिखावा है। वहीं सिखों का दूसरा तबक़ा इस चेतावनी को “कनाडा में रहने वाले सिखों और पंजाब की आज़ादी का समर्थन करने वालों की अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन” बताते हैं। एक बात और बता दें कि भारत में तीन कृषि कानूनों को लेकर, कनाडा में भी विरोध प्रदर्शन हुआ था।

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