POK (पीओके) Pakistan Occupied Kashmir ये वो हिस्सा है जो भारत (India) का हिस्सा है लेकिन पाकिस्तान (pakistan) ने इस हिस्से पर अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुए हैं. जहाँ इस हिस्से पर पाकिस्तान अपनी हुकूमत करता है. तो वहीं इस हिस्से में रहने लोगों ने बताया कि कैसे पाकिस्तान उनका शोषण कर रहा है और इस बात का जिक्र UN में हुआ है जहाँ पर पाकिस्तान को बेनकाब किया गया है.
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UN के सामने बेनकाब हुआ पाकिस्तान
दरअसल, मंगलवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (united nations human rights council) के 52वें सत्र के दौरान मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम को यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) ने जिनेवा के जॉन नॉक्स सेंटर में आयोजित किया था. यहां के बुद्धिजीवियों और शोधकर्ताओं समेत अन्य लोगों ने कट्टरवाद, संसाधनों के शोषण, लोगों के लापता होने समेत कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. इसी बीच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में मानवाधिकार को लेकर लोगों के बीच आक्रोश है और ऐसा गिलगित बाल्टिस्तान का भी है. वहीं अब बिगड़ती मानवाधिकार की स्थिति पर वहां के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया गया.
POK की स्थिति है खराब
इस मीटिंग में यूकेपीएनपी (यूरोप जोन) के अध्यक्ष अमजद यूसुफ ने कहा कि पीओके (POK) में मानवाधिकारों की स्थिति बहुत खराब है और पाकिस्तान पूरे क्षेत्र पर अपनी पकड़ बनाए हुए है. यहां इस्लामाबाद ने अपने अधिकारियों को नियुक्त किया है जिन्हें लेंट अधिकारी कहा जाता है और उनमें कोई सहानुभूति नहीं है.
किताबों और नक्शों पर लगा प्रतिबंध
इसी एक साथ कार्यकर्ताओं ने लोगों के इतिहास और संस्कृति को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि सरकार ने कई किताबों और नक्शों पर प्रतिबंध लगा दिया है और लोगों को उनके इतिहास के बारे में पढ़ने की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना स्थानीय लोगों को परेशान करने के लिए क्षेत्र में आतंकवादियों का इस्तेमाल कर रही है, खासकर छात्रों को जो अपने मौलिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं.
स्थानीय छात्र संगठनों पर हमला
वहीं अमजद यूसुफ ने ये भी कहा आतंकवादियों ने हाल ही में स्थानीय छात्र संगठनों पर हमले किए थे. ये छात्र संगठन सस्ते उत्पाद के लिए भारत के साथ सीमा मार्ग खोलने की मांग कर रहे थे. यूसुफ ने बताया कि इन आतंकवादियों को सेना का समर्थन है और स्थानीय लोगों पर हमला करने के लिए इन्हीं का इस्तेमाल किया जाता है.
आतंकवादी संगठनों पर नहीं लगा प्रतिबंध
वहीं यूकेपीएनपी के केंद्रीय प्रवक्ता नासिर अजीज ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम यह बताया चाहते हैं कि हमारे लोगों के पास बुनियादी अधिकार नहीं हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान कहता है कि उसने आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन इसके बावजूद वह आज़ादी से घूम रहे हैं. पाकिस्तान का यह दोहरापन अंतरराष्ट्रीय मंच पर सामने आना चाहिए.इसी के साथ नासिर अजीज ने बताया कि पाकिस्तान उन कश्मीरियों की आवाज़ सुनने को तैयार नहीं हैं, जो उनके प्रशासन के अधीन रह रहे हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करने की मांग करते हैं.
POK के लोगों की मांगे
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK के लोग अपनी आजादी के लिए भारत से मदद मांग रहे हैं. इसी के साथ यहाँ के लोग भारत के संविधान के तहत नामांकन करना चाहते हैं वो चाहते हैं कि पीओके में जन्मे नागरिकों को भी भारत सहूलियतें दें. सिर्फ यही नहीं, पीओके के लोगों को लोकसभा-राज्यसभा में भी जगह दें. इसी के साथ PoK का कहना है कि हम महाराजा हरिसिंह के समझौते को मानते हैं, पाकिस्तान इसमें कहां से आ गया? उसे भारत ही भगा सकता है.
POK का इतिहास
आपको बता दें, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में 8 जिले हैं: नीलम, मीरपुर, भीमबार, कोटली, मुजफ्फराबाद, बाग, रावलकोट और सुधनोटी. वहीं कहा ये भी जाता है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) मूल कश्मीर क्षेत्र का एक अभिन्न अंग है, जो 1947 से पाकिस्तान के गैरकानूनी नियंत्रण में है और अगर अब भारत सरकार इस हिस्से को पाकिस्तान से वापस लेने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रही है .