53 साल बाद इंसानों को चांद पर भेजने की तयारी में NASA, Artemis-1 होगी पहली टेस्ट फ्लाइट
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा डेढ़ महीने के बाद फिर से अपने मून मिशन (Moon mission) ‘आर्टेमिस-1’ (‘Artemis-1’) को फिर से लॉन्च करने वाली है. वहीं मिशन की लौन्चिंग 16 नवंबर को सुबह 11.34 से दोपहर 1.34 के बीच फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से होगी.
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जानिए क्या नासा का आर्टेमिस-1 मून मिशन
जानकारी के अनुसार, अमेरिका नासा के इस मून मिशन आर्टेमिस के जरिये 53 साल बाद इंसानों को चांद पर एक बार फिर से भेजने वाला है और आर्टेमिस-1 इसी दिशा में पहला कदम है और यह मेन मिशन के लिए एक टेस्ट फ्लाइट है, जिसमें किसी एस्ट्रोनाट को नहीं भेजा जाएगा। इस फ्लाइट के साथ वैज्ञानिकों का लक्ष्य यह जानना है कि क्या अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद के आस-पास सही हालात हैं या नहीं। साथ ही एस्ट्रोनाट्स चांद पर जाने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट सकेंगे या नहीं। वहीं नासा का ‘स्पेस लान्च सिस्टम (SLS) मेगाराकेट’ और ‘ओरियन क्रू कैप्सूल’ चंद्रमा पर पहुंचेंगे। क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनाट्स रहते हैं लेकिन इस बार यह खाली रहेगा। ये मिशन 42 दिन 3 घंटे और 20 मिनट का है, जिसके बाद यह धरती पर वापस आ जाएगा। स्पेसक्राफ्ट कुल 20 लाख 92 हजार 147 किलोमीटर का सफर तय करेगा।
आर्टेमिस मिशन का मकसद
यूनिवर्सिटी आफ कोलोराडो बोल्डर के प्रोफेसर और वैज्ञानिक जैक बर्न्स का कहना है कि आर्टेमिस-1 का राकेट ‘हैवी लिफ्ट’ है और इसमें अब तक के राकेट्स के मुकाबले सबसे शक्तिशाली इंजन लगे हैं। यह चंद्रमा के आर्बिट (कक्षा) तक जाएगा, कुछ छोटे सेटेलाइट्स छोड़ेगा और फिर खुद आर्बिट में ही स्थापित हो जाएगा।
2024 में एस्ट्रोनाट्स करेंगे चाँद का दौरा
इस बार ये मिशन बिना एस्ट्रोनाट्स के होगा लेकिन 2024 के आस-पास आर्टेमिस-2 को लान्च करने की प्लानिंग है। इसमें कुछ एस्ट्रोनाट्स भी जाएंगे, लेकिन वे चांद पर कदम नहीं रखेंगे। वे सिर्फ चांद के आर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे। फिलहाल एस्ट्रोनाट्स की कंफर्म लिस्ट सामने नहीं आई है।
आर्टेमिस-3 मिशन के चाँद पर उतरेंगे एस्ट्रोनाट्स
आर्टेमिस-2 के सफल होने के बाद फाइनल मिशन आर्टेमिस-3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतरेंगे। यह मिशन 2025 या 2026 के आस-पास लान्च हो सकता है। पहली बार महिलाएं भी ह्यूमन मून मिशन का हिस्सा बनेंगी। और मिशन के जरिए ये चांद के साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ पर रिसर्च करेंगे।
आर्टेमिस मिशन का बजट
नासा आफिस आफ द इंस्पेक्टर जनरल के एक आडिट के अनुसार, 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्ट पर 93 बिलियन डालर यानी 7,434 अरब रुपए का खर्चा आएगा। वहीं, हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डालर यानी 327 अरब रुपए की पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट पर अब तक 37 बिलियन डालर यानी 2,949 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
2 बार असफल हो चुका है मिशन
आपको बता दें, यह नासा की तीसरी कोशिश है। इससे पहले 29 अगस्त और 3 सितंबर को भी राकेट लान्च करने का प्रयास किया गया था, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते इसे टाल दिया गया था।
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