नौ साल की उम्र में बन गए थे राजा
भारत शुरू से ही अपने राजाओं-महराजाओं के लिए प्रसिद्ध था। इनमे से कुछ राजा अकबर और अशोक जैसे भी हुए जो अपने राज्य को विकास की तरफ ले गए, तो दूसरी तरफ अलाउद्दीन खिलजी जैसे भी राजा हुए जो सिर्फ देश को लूटने का और कटटरवाद बढ़ाने का काम करते थे। वहीं कुछ राजा ऐसे भी थे जो अपने शौक की वजह से भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। ऐसे ही पटियाला रियासत के एक राजा थे महाराजा भूपिंदर सिंह, जो अपनी रंगीन मिजाजी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे। 12 अक्तूबर 1891 को जन्मे भूपिंदर सिंह आठ नवंबर 1900 को महज नौ साल की उम्र में ही राजा बन गए थे। हालांकि जब वो 18 साल के हुए, तब उन्होंने अपना कार्यभार संभाला था और पटियाला पर 38 सालों तक राज किया। आइए जानते हैं महाराजा भूपिंदर सिंह की जिंदगी के बारे में कुछ रोचक बातें, जो आपको हैरान कर सकती हैं।
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महा शौक़ीन राजा भूपेंद्र सिंह की थी 365 महारानियां
महा शौक़ीन राजा भूपेंद्र सिंह ऐसे ही नहीं अपने रंगीन मिजाजों के लिए प्रसिद्ध हुए, उन्होंने अपने जीवन काल 365 शादिया की थी और वो अपने सभी पत्नियों के साथ एक बड़े से महल में रहते थे। महाराजा भूपिंदर सिंह की रंगीन मिजाजी के किस्सों का जिक्र दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब ‘महाराजा’ में विस्तार से किया है। जरमनी दास के मुताबिक, राजा ने पटियाला में ‘लीला-भवन’ या रंगरलियों का महल बनवा रखा था, जहां सिर्फ बिना कपड़ों के ही लोगों को प्रवेश मिलती थी। यह महल पटियाला शहर में भूपेंदरनगर जाने वाली सड़क पर बाहरदरी बाग के करीब बना हआ है।
हिटलर से थे अच्छे संबंध
अगर आप एक किताब ‘Freedom at midnight’ को पढ़े तो आपको राजा भूपेंद्र सिंह के बारे में एक और तथ्य मिलगे। ‘Freedom at midnight’ में भूपेंद्र सिंह के बारे में कहा गया है कि वो अक्सर अपनी जनता को निर्वस्त्र होकर मतलब की बिना कपड़ों के सम्बोधित करते थे। दूसरी तरफ जनता भी पूरी उत्साह के साथ अपने नग्न राजा का स्वागत करती थी । भूपेंद्र सिंह के रंग मिजाजियों की आगे बात करे तो वो भारत के पहले राजा था या फिर कहे की पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने एयरोप्लेन ख़रीदा था और अपने राज्य में रनवे बनवाया था। कुछ रिपोर्टों की माने तो राजा भूपेंद्र सिंह के संबंध हिटलर से काफी अच्छे थे। उन दोनों की पहली मुलाकात 1965 में बर्लिन दौरे के समय हुई थी, जहां हिटलर राजा से इतने प्रभावित हुए थे की हिटलर ने अपनी ‘my bag’ कार राजा को गिफ्ट कर दी थी। भूपेंद्र सिंह के बारे में ये भी कहा जाता है कि उनके पास उस समय ही 44 रॉल्स रॉयस गाड़ियां थी, जिनमे से लगभग 20 रॉल्स रॉयस गाड़ियां राज्य के दौरे के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
पार्टी करने के लिए बनवाया था ‘प्रेम मंदिर’
दीवान जरमनी दास अपनी किताब में राजा का जिक्र करते हुए आगे बताते है कि उनके महल में एक खास कमरा बना हुआ था, जो ‘प्रेम मंदिर’ के नाम से जाना जाता था। इस कमरे में महाराजा के अलावा या फिर उनके इजाजत के बिना कोई नहीं जा सकता था। ये कमरा केवल राजा के भोग-विलास और इन सब चीजों के इंतजामों के लिए था। जरमनी दास अपनी किताब में आगे बताते है कि भूपेंद्र सिंह के महल के अंदर एक बड़ा सा तालाब भी था, जिसे आज-कल की भाषा में हम स्विमिंग पूल कह सकते हैं। इस तालाब में लगभग 150 लोगों एक साथ नाहा सकते थे। राजा आये दिन इस प्रेम मंदिर में पार्टियां दिया करते थे, जिसमें वो सिर्फ अपने चाहने वालों और प्रेमिकाओं को ही बुलाते थे।
भूपेंद्र सिंह ने देश को दिया था रंजी ट्रॉफी और पटियाला पेग
राजा भूपेंद्र सिंह सिर्फ अपनी पत्नियां और रंग-रलिया के लिए ही नहीं जाने जाते थे। राजा को क्रिकेट का भी बड़ा प्रेमी बताया जाता था, भूपेंद्र सिंह ने 1911 में लंदन में भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधत्व भी किया था। भूपेंद्र सिंह ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की दुनिया में ‘रंजी ट्रॉफी’ की शुरुआत की थी। इसके अलावा उनके पास विश्व प्रसिद्ध ‘पटियाला हार’ भी था, जिसे उस समय की आभूषण बनाने वाली मशहूर कंपनी कार्टियर ने बनाया था। कहते हैं कि इसमें 2 हजार 900 से ज्यादा हीरे और कीमती रत्न जड़े हुए थे। इस हार में उस समय का विश्व का सातवां सबसे बड़ा हीरा जड़ा था। अगर आप इन सब चीजों से उतने वाकिफ नहीं है तो भी आपने अपने जिंदगी में ‘पटियाला पैग’ का तो नाम सुना ही होगा। ये पटियाला पेग भी राजा भूपेंद्र सिंह की ही देन है। इन सब तथ्यों से आपको ये तो पता चल गया होगा की किस तरह से अपने शौक़ीन व्यक्तित्व के कारण राजा भूपेंद्र सिंह विश्व विख्यात हो गए।