क्या आपके बॉडी पर कहीं नीले धब्बे का निशान है? अगर है तो ये बात ध्यान रखिये कि जरूरी नहीं कि वो किसी चोट का निशान हो. हो सकता है कि कोई समस्या भी हो. कई बार बिना चोट के भी शरीर पर नीले धब्बे का निशान बन जाता है. ये एक तरह की ब्लीडिंग है जो स्किन के अंदर वेन्स के फट जाने से होती है. खून स्किन के नीचे जमा हो जाता है और जम जाता है.
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इसे ब्रूसिंग कहा जाता है. लेकिन कई बार बिना किसी चोट के ही शरीर पर नीले निशान नजर आते हैं. हमें पता भी नहीं चलता कि आखिर ये आए कैसे. इनमें ना तो कोई दर्द होता है और ना ही किसी तरह के लक्षण. कई बार शरीर में किसी चीज की कमी होने या किसी बीमारी का लक्षण के रूप में भी ये शरीर में नजर आने लगते हैं. आइए जानते हैं कि शरीर पर नीले निशान आखिर किन कारणों से बनते हैं.
शरीर पर नीले निशान क्यों पड़ते हैं?
नील आमतौर पर टिशू की चोट का परिणाम होते हैं, जिससे त्वचा का रंग खराब हो जाता है. यह तब बनता है जब चोट के बाद त्वचा के नीचे ब्लीडिंग होती है और धमनियों व ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचता है.
चोट का रंग काला और नीला से लेकर भूरा या बैंगनी कुछ भी हो सकता है. कई बार नील पड़ने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जिन लोगों की त्वचा नाजुक होती है, उन्हें इसे दबाने पर हल्का दर्द महसूस हो सकता है.
नीले निशान बनने की वजह
उम्र का असर (Age Effect)
जब हमारी उम्र बढ़ती है तो हमारी त्वचा पतली होने लगती है और त्वचा में कुछ लेयर फैट कम होने लगता है. ये परतें वेन्स को चोट से बचाने का काम करती हैं. लेकिन उम्र बढ़ने पर फैट घटने लगता है और हल्की सी चोट लगने पर भी निशान पड़ने लगते हैं.
विटामिन सी और विटामिन K की कमी (Lack of Vitamin-C & K )
विटामिन सी की कमी से स्कर्वी जैसी बीमारी हो सकती है. जिसके चलते चोट लग जाती है. इसके अलावा विटामिन-के भी ब्लड के जमने में मदद करता है और ब्लीडिंग रोकता है बता दें कि ये पोषक तत्व चोट लगने की किसी भी घटना को रोकने के लिए बहुत जरूरी है. विटामिन के की कमी से शरीर पर नील के निशान बहुत आसानी से पड़ सकते हैं.
प्लेटलेट्स की कमी (lack of Platlates)
जब आपके खून में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं हो तो तो भी शरीर पर ये नीले निशान बनने लगते हैं. इसके लिए आप अधिक से अधिक आयरन युक्त और हेल्दी फूड का सेवन करें.
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ब्लड डिसऑर्डर (Blood disorder)
अगर आपको हीमोफिलिया की समस्या है तो इसकी वजह से ब्लड क्लॉटिंग की समस्या बढ़ जाती है और इसकी वजह से शरीर पर नीले निशान पड़ने लगते हैं.
ब्लड थिनर (Blood Thinner)दवाओं का इस्तेमाल
खून को पतला करने वाली दवाओं के इस्तेमाल से भी ब्लड वेन्स कमजोर होने लगती हैं और हल्का सा प्रेशर पड़ने पर भी ये निशान बनने लगते हैं.
कैंसर (Cancer)
ब्लड और बोन मेरो से जुड़े कैंसर , जिन्हें ल्यूकेमिया कहा जाता है इसके कारण शरीर में जगह-जगह नील पड़ सकते हैं. ल्यूकेमिया से पीडि़त लोगों को नील पड़ने की संभावना सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि उनके शरीर में ब्लड वेसेल्स से खून बहने को रोकने के लिए पर्याप्त प्लेट्लेट्स नहीं बन पातीं.
ऐसा कीमोथैरेपी के कारण होता है. दअसल, कीमोथरैपी होने पर प्लेट्लेट्स बहुत नीचे आ जाते हैं. हालांकि, ल्यूकेमिया से होने वाला घाव किसी अन्य कारण से होने वाले घाव से थोड़ा अलग होता है. लेकिन ये शरीर के किसी भी हिस्से में दिखाई दे सकता है.
कैसे करें बचाव
- डाइट में मल्टी-विटामिन जरूर खाएं.
- अगर चोट की वजह से नील पड़ा है तो तुंरत बर्फ की टकोर करें. इससे नील उसी समय ठीक हो जाएगा.
- नीले निशान ठीक करने में बेकिंग सोडा मददगार साबित हो सकता है. इसके लिए 1 चम्मच बेकिंग सोडा में 3 चम्मच पानी मिलाकर निशान पर लगाएं.
- एलोवेरा की ताजी जैल को निकालकर प्रभावित जगह पर लगाएं.
- खीरे के रस को टोनर की तरह इस्तमाल करें.