2019 में काम के दौरान कटा था हाथ, अब जोड़ा गया लड़की का हाथ
जैसे बिना आँखों के जिंदगी अंधेरी हो जाती, ठीक वैसे ही बिन हाथों के जिंदगी अपाहिज बन जाती है। ऐसी ही एक कहानी 22 वर्षीय राहुल अहिरवार की है। 2021 में मुंबई के KEM हॉस्पिटल में राहुल का हाथ ट्रांसप्लांट हुआ था। उसके बाद से राहुल KEM हॉस्पिटल के ऑक्यूपेशनल थेरेपी डिपार्टमेंट में जाकर हर दिन दो-दो घंटे अपने हाथों के मूवमेंट की प्रैक्टिस करते हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपी डिपार्टमेंट के सभी एक्सरसाइज राहुल के लिए बड़े महत्वपूर्ण हैं। राहुल 2019 में अपने दोनों हाथों को खो चुके थे, पर एक डोनर से मिला हाथ राहुल की जिंदगी में नई रौशनी लेकर आई। दरअसल, वह हाथ एक लड़की की थी जिसके मृत्यु के बाद उसके माता पिता ने दान किया था।
राहुल कहते हैं की जब से उनकी हाथ कटी थी वो कोई भी काम करने में सक्षम नहीं थे , पर जब से सर्जरी के जरिए उन्हें नया हाथ मिला है वो बहुत खुश हैं। उन्होंने आगे कहा कि हाथ की सर्जरी के बाद जब उन्होंने पहली बार खाना खाया था तब उन्हें बहुत ख़ुशी हुई थी। उनके अंदर हाथ कटने के बाद से पहली बार यह आत्मविश्वास आया था की वह कुछ भी कर सकते हैं।
क्या हुआ था राहुल के साथ ?
2019 में काम करते समय एक हादसे में राहुल के दोनों हाथ कट गए थे। हाथ कटने के बाद राहुल तक़रीबन डेढ़ साल तक अपने किसी भी काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहते थे। इसके बाद राहुल ने अपने हाथ के इलाज के लिए मुंबई (MUMBAI) के KEM HOSPITAL में संपर्क किया। जहां लगभग 5 से 6 महीने तक उनका कोई इलाज नहीं हुआ था। राहुल बताते है की इस समय तक उनकी सारी उम्मीदें टूट चुकी थी और वह आगे जीना भी नहीं चाहते थे। बाद में उन्हें एक डोनर हाथ मिला जिसने राहुल की अँधेरी जिंदगी में एक रौशनी का काम किया।अब राहुल अपने एक हाथ से संतुष्ट और खुश भी हैं। उनका कहना है की अब कम से कम उनके पास एक हाथ तो है जिसके कारण वह आम जिंदगी की बहुत सारी कामों को कर पाते हैं।
राहुल एक बहुत ही साधारण परिवार से आते हैं जो अपने भाई के साथ मुंबई में किराए के मकान में रहते हैं। राहुल के मुताबिक उन्हें सर्जरी से पहले डर भी लग रहा था। राहुल के डर के बहुत सारे कारण थे। जिसमे सबसे ऊपर, सर्जरी में होने वाली दर्द थी। राहुल का परिवार भी बहुत साधारण था जिस कारण उनके मन में एक डर पैसों का भी लगा रहता था।
डॉ ने कहा राहुल अब बिलकुल आत्मनिर्भर हैं
KEM हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग की प्रमुख डॉ विनीता पुरी ने अपनी पूरी टीम के साथ राहुल के हाथों की प्लास्टिक सर्जरी के काम को अंजाम दिया है। 11 अगस्त को राहुल की 14 घंटे लंबी सर्जरी हुई। यह महाराष्ट्र में सार्वजनिक रूप से संचालित संस्थान (Public Hospital) में किया जाने वाला पहला हाथ ट्रांसप्लांटेशन था। वह बताती है कि राहुल को अब दूसरों की ज्यादा जरूरत नहीं है। वह अब बिलकुल आत्मनिर्भर है। उनके हाथों में अब सेंसेशन भी महसूस होते है और किसी चीज को सही से पकड़ भी सकते हैं। डॉ विनीता पुरी ने सर्जरी की बात करते हुए कहा कि यह सर्जरी बहुत ही मुश्किल थी। उन्होंने आगे बताया कि हाथों की नशें बहुत ही पतली होती है जिसे जोड़ कर उनमें खून संचालित करना बहुत ही मुश्किल काम था। उन्होंने आगे बताया कि जोड़ी गई नशों को हाथों में बढ़ने में अभी समय लगेगा। जैसे-जैसे नशें हाथ में बढ़ेगी वैसे-वैसे उनकी हाथ की सेंसेशन और भी सही होते जाएगी।
तेज़ हो रही हाथ ट्रांसप्लांटेशन की सर्जरी
अगर हाथों की ट्रांसप्लांटेशन की बात करे तो यह ट्रांसप्लांटेशन और भी किसी ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन से ज्यादा मुश्किल होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में दोनों हाथों के कुल ट्रांसप्लांटेशन की एक सर्जरी हुई थी जबकि 2021 में दोनों हाथों के ट्रांसप्लांटेशन की एक सर्जरी हुई थी और एक हाथ के ट्रांसप्लांटेशन की एक सर्जरी हुई थी। वहीं 2022 में दोनों हाथों के ट्रांसप्लांटेशन की दो सर्जरी हुई हैं।
राहुल जो अपने जीने की सारी उम्मीदों को छोड़ चुके थे अब अपने घर जाने की तैयारी कर रहे हैं। अब राहुल भी बस दूसरों की मदद करना चाहते हैं ठीक वैसे ही जैसे उस लड़की के परिजनों ने अपनी लड़की के मृत्यु के बाद राहुल की मदद की थी।