पश्चिम बंगाल और देश मे पहली व्यक्ति अनुप्रभा दास मजूमदार को मिला ट्रांसजेंडर वाला टैग
भारत का महत्वपूर्ण पहचान दस्तावेज आधार कार्ड पर अनुप्रभा दास मजूमदार ने अपनी पसंद के लिंग को दर्ज करने में लड़ाई जीत ली है। जिसके बाद अनुप्रभा दास मजूमदार पश्चिम बंगाल (West Bengal news) और देश मे पहली व्यक्ति हैं जिसके आधार कार्ड (Aadhar Card) पर पुरुष और महिला की जानकारी देने वाली जगह पर ट्रांसजेंडर लिखा हुआ है।
आखिर अनुप्रभा दास मजूमदार क्यों चाहिए था ट्रांसजेंडर वाला टैग ?
29 साल के अनुप्रभा दास मजूमदार को इस ट्रांसजेंडर पहचान पाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी और ऐसा करने के लिए उन्हें काफी समस्या भी हुई। अनुप्रभा दास मजूमदार अपने आप को ट्रांसजेंडर मानते हैं लेकिन उनके आधार कार्ड में उनका असली नाम अचिंता दास मजूमदार था और कार्ड में लिंग वाले वाली जगह पर पुरुष लिखा हुआ था। लेकिन अनुप्रभा खुद ट्रांसजेंडर मानते थे इसलिए वे पुरुष की जगह ट्रांसजेंडर (Transgender) लिखवाना चाहते थे।
इस तरह शुरू हुई ट्रांसजेंडर टैग को पाने की प्रक्रिया
ये प्रक्रिया तब शुरू हुई जब यूआईडीएआई (UIDAI) द्वारा जुलाई में वेरिफिकेशन के लिए वैध सहायक दस्तावेजों के रूप में टीजी पहचान पत्रों को शामिल किया गया जिसके बाद अनुप्रभा ने मई में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अपना टीजी कार्ड प्राप्त किया था और यूआईडीएआई अधिसूचना प्रकाशित होते ही नए आधार के लिए आवेदन किया था। लेकिन इससे पहले उन्हें काफी समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके आधार में पुरुष लिखा हुआ था।साल 2020 से पहले अगर कोई ट्रांसजेंडर फोटो या आधार कार्ड में लिंग पहचान बदलवाना चाहता था तो उसे पहले 150 रुपये के कोर्ट पेपर पर एफिडेविट देना होता था साथ ही वकील की फीस जो की काफी महंगी थी। इसके बाद एड देना होता था और इसके लिए भी बहुत पैसे लगते हैं। वहीं इसके बाद दिल्ली में हेड ऑफिस में अप्लाई करना पड़ता है जहाँ से कई बार एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है। लेकिन जब साल 2019 में ट्रांसजेंडर आइडेंटिटी कार्ड जो नेशनल ट्रांसजेंडर पोर्टल पर आवेदन करने पर मिलता है, वो एक ट्रांसजेंडर के लिए किसी भी डॉक्युमेंट में बदलाव करने के लिए एक प्रमाणिक दस्तावेज माना जाएगा। जिसके बाद उनकी यह राह आसन हुई।अनुप्रभा ने जब आस-पास की जानकारी ली कैसे आधार में जेंडर बदला जाए लेकिन उन्हें कोई खास जानकारी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने वेस्ट बंगाल के UIDAI के डायरेक्टर से बात की और उन्होंने इस मामले पर ईमेल करने को कहा। इसके बाद जुलाई को उन्होंने बताया कि हमारे लिस्ट में ट्रांसजेंडर आइडेंटिटी कार्ड को शामिल कर लिया गया है। जिसके बाद उन्हें ट्रांसजेंडर टैग मिल गया।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल, 2019
साल 2019 में तत्कालीन सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री थावरचंद गहलौत ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) बिल लोकसभा में पेश किया था और ये बिल 19 जुलाई, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया। ये बिल पांच अगस्त 2019 को लोकसभा में पास हुआ और 26 नवंबर 2019 को राज्यसभा में पास होते ही ट्रांसजेंडर्स के संरक्षण को लेकर कई कानून बन गए। वहीं इस बिल के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह व्यक्ति है जिसका लिंग जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता। इसमें ट्रांसमेन (परा-पुरुष) और ट्रांस-विमेन (परा-स्त्री), इंटरसेक्स भिन्नताओं और जेंडर क्वीर आते हैं। इसमें सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति, जैसे किन्नर, हिंजड़ा, भी शामिल हैं।
अनुप्रभा दास मजूमदार का जीवन
ट्रांसजेंडर के रूप में अनुप्रभा दास मजूमदार का जीवन काफी कठिन रहा उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ा. इसी के साथ उन्हें कॉलेज भी छोड़ना पड़ा और अन्य शहरों में जाना पड़ा. वहीं अब प्रान्तकथा के साथ काम करती है, जो एक गैर सरकारी संगठन है जो लैंगिक अधिकारों के लिए काम करता है।