प्रेमानंद जी के सत्संग – कहते हैं किसी को पाना प्रेम नहीं बल्कि उसमे खो जाना प्रेम है. प्यार किसी से प्यार किसी से भी किसी भी वक़्त हो सकता है लेकिन आज के समय में इस प्यार कि परिभाषा सिर्फ पाना बन गयी है और इस वजह से रिश्ते टूटने, बिछड़ने जैसी चीजें होती हैं. वहीं प्रेम को लेकर प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) ने एक बात बात्यी है और ये बात प्रिया प्रियतम से कैसे प्रेम होगा ये बात है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
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प्रेम पाना है तो उन्हें समझों अपना
प्रेम को लेकर प्रेमानंद जी महाराज जी कहते हैं कि हमें जिससे प्रेम करना होता है पहले हम उसको अपना मानेंगे उसके बराबर किसी को न माने. दूसरी बात कुछ समय बाद उन्हें देखने कि आदत ये प्रेम बढ़ाने के जरिए हैं. इसी के साथ प्रेमानंद जी महाराज जी ये भी कहते हैं कि प्रिया प्रियतम से प्रेम बढ़ाने के लिए बातें करे जिससे प्रिया प्रियतम से प्रेम बढेगा. वहीं जिससे प्रेम बढ़ाना हो उसको लेकर हमेशा अपने मन में रखे कि वो ही सबकुछ है उसके अलावा कुछ नही है. प्रिया प्रियतम से बढ़ाने के जो बाते आप उससे करें और उसकी बातें उसे सुनाएं.
प्रिय जानो से करें मुलाकात
वहीं प्रेमानंद जी महाराज जी ये भी कहते हैं प्रिया प्रियतम से प्रेम बढ़ाने के लिए उनके प्रिय जानो से मिले ऐसा करने से और प्यरा बढता है. और साथ ही अपनी प्रिया प्रियतम से प्रेम बढ़ाने के लिए उनकी एक छवि रखें ये प्रेम को बढ़ाने में सबसे सहायक होगी.
प्रेमानंद जी रोजाना करते हैं सत्संग
आपको बता दें, श्री प्रेमानंद महाराज जी का नाम राधा रानी के परम भक्तों में से एक हैं और दिन रात उनकी जुबान पर राधा रानी का नाम होता है और कहा जाता है कि जो भी श्री प्रेमानंद महाराज जी का सत्संग सुनता हैं उन्हें राधारानी के दर्शन होते हैं. जहाँ प्रेमानंद जी अपने सत्संग में राधा रानी का जिक्र करते हुए लोगों को जीवन सही तरीके से जीने का पाठ पढ़ाते हैं तो वहीं इसी सत्संग के जरिए वो लोगों को ज़िन्दगी जीने के खास सन्देश भी देते हैं.
महाराज प्रेमानंद जी (Premanand ji Maharaj ke Pravachan) के दर्शन करने के लिए उनके भक्त देश-विदेश से वृंदावन आते है और उनका बहुत सम्मान भी करते हैं. जहाँ महाराज जी को किडनी कि समस्या है तो वहीं इस बीमारी के बावजूद वो सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा उसके बाद संकीर्तन राधा वल्लब और बांके बिहारी जी के दर्शन और परिक्रमा करते हैं साथ ही वो सत्संग भी करते हैं.
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