11 July ki Murli in Hindi – प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में रोजाना मुरली ध्यान से आध्यात्मिक संदेश दिया जाता है और यह एक आध्यात्मिक सन्देश है. वहीं इस पोस्ट एक जरिये हम आपको 11 जुलाई 2023 (11 July ki Murli) को दिये ये सन्देश की जानकारी देने जा रहे हैं. 11 July ki Murli
“मीठे बच्चे – अन्तर्मुखी बन पढ़ाई में तत्पर रहो, श्रीमत पर सदा चलते रहो तो तुम्हारी तकदीर बहुत ऊंच बन जायेगी, यह समय है अपनी तकदीर बनाने का”
प्रश्नः- तुम बच्चों की ऊंची तकदीर कौन सी है जिसके आधार पर तुम सारे सृष्टि की तकदीर को जान लेते हो?
उत्तर:- स्वदर्शन चक्रधारी बनना – यह है सबसे ऊंचे ते ऊंची तकदीर। तुम ब्राह्मण अभी स्वदर्शन चक्रधारी बने हो। तुम अपनी भी तकदीर को जानते हो तो सारे सृष्टि की भी तकदीर को जानते हो। बाबा आये हैं तुम बच्चों की हीरे समान तकदीर बनाने। स्मृति में रहे स्वयं भगवान हमारी तकदीर बनाने लिए पढ़ा रहे हैं तो तकदीर बनती रहेगी।
गीत:- आने वाले कल की तुम……..
11 July ki Murliओम् शान्ति। बच्चों ने गीत के दो शब्द सुने। सुनने से ही अपनी तकदीर का नशा चढ़ जाना चाहिए। यह है अविनाशी नशा, उतरना नहीं चाहिए। कोई मनुष्य साहूकार पदमपति होते हैं तो उनको रात-दिन नशा रहता है – हम बड़े धनवान, जागीरवान हैं। नशा चढ़ता ही है सम्पत्ति का। तो बाप है तकदीर बनाने वाला। अभी तो तकदीर फूटी हुई है। कौड़ी मिसल तकदीर है वा हीरे मिसल तकदीर है, यह तुम जज कर सकते हो। बेहद का बाप सम्मुख बैठ तकदीर बनाते हैं। सो तुम देखते हो, जानते हो। परमपिता परमात्मा को देखते हो वा जानते हो? बच्चे जानते हैं हम आत्मा हैं। भल आत्मा को देखते नहीं हैं परन्तु निश्चय है हम आत्मा हैं, स्टार मिसल हैं। भ्रकुटी के बीच में रहते हैं। इस समय तुम बच्चों को आत्म-अभिमानी बनना है। इस देह में रहने वाले को आत्मा देही कहा जाता है। आत्मा को अभिमान है कि हमको परमपिता परमात्मा आकर मिला है। बच्चे बाप के पास जन्म लेते हैं तो वारिस होते हैं। फिर कोई तो पाई पैसे की तकदीर पा लेते हैं, कोई तो कुछ भी नहीं पाते। सिर्फ जन्म ही पाते हैं। कोई कोई हैं जिनके 5-6 बच्चे हैं। तलब (नौकरी) कम मिलती है तो समझते हैं हमारी तकदीर में यह था। औरों को देखते हैं – उन्हों की तकदीर में कितने महल-माड़ियाँ, ताज व तख्त हैं। मनुष्य के तकदीर की वैराइटी है ना। तो अब तुम अपनी तकदीर को जानते हो कि किस तकदीर के लिए हम पुरुषार्थ कर रहे हैं। धन के लिए, सुख के लिए। मनुष्य पुरुषार्थ तो करते ही हैं। धनवान मनुष्य बीमार पड़ते हैं तो अच्छे-अच्छे डॉक्टरों की दवाई करते हैं। समझते हैं धन से अच्छी दवाई होगी। तो धन की बात है ना। तुम बड़ी जबरदस्त तकदीर बनाते हो श्रीमत से। बच्चे जानते हैं बाबा ऊंच ते ऊंच तकदीर बनाते हैं क्योंकि खुद ऊंच ते ऊंच है। अब तुम उनके सम्मुख बैठे हो ना। माँ-बाप के घर में बैठे हैं। कोई राजा-रानी है तो समझते हैं हमने ऐसे कर्म किये हैं जो राजाई की तकदीर मिली है। अब तुम जानते हो हम जो यह लक्ष्मी-नारायण का चित्र देखते हैं उन्होंने भी जरूर अगले जन्म में तकदीर बनाई है। तुमको यह बुद्धि मिली है। मनुष्यों की बुद्धि में यह नहीं आता। इतने धनवान मनुष्य हैं, उन्हों को यह तकदीर कैसे मिली? कहेंगे पास्ट जन्म में ऐसे कर्म किये हैं जो इतना धनवान बने हैं। कर्मों का फल है ना। गाते भी हैं कर्मों की गति न्यारी है। मनुष्य पास्ट के कर्मों अनुसार ही भोगते हैं। अभी तुम बड़े ते बड़े लक्ष्मी-नारायण के तकदीर की भेंट करते हो। यह जो सतयुग के मालिक बनें उन्हों की ऐसी कर्म गति किसने बनाई जो विश्व के मालिक बनें। तुम सारे चक्र को जान चुके हो।
तुम ब्राह्मण अभी स्वदर्शन चक्रधारी बने हुए हो। दूसरे ब्राह्मण तो स्वदर्शन चक्रधारी नहीं होंगे। वह भी ब्राह्मण, तुम भी ब्राह्मण हो। परन्तु तुम जानते हो कि हम हैं सच्चे ब्राह्मण। ब्रह्मा की मुख वंशावली। जरूर ब्रह्मा भी किसका बच्चा होगा। वह है शिवबाबा का बच्चा। शिवबाबा तो रचयिता है, उसका कोई बाप नहीं। तो अब तुम्हारी तकदीर परमपिता परमात्मा बनाते हैं। बाप से ही तकदीर बनती है। काका, चाचा, मामा आदि से नहीं बनती। हाँ, कोई की बन सकती है। अगर वह एडाप्ट करे तो। तुम बच्चों को भी एडाप्ट किया है, ड्रामा अनुसार कल्प पहले मुआफिक। उनसे ऊंचा कोई है नहीं। प्रजापिता ब्रह्मा को इतने बच्चे हैं, ढेर के ढेर। उनको बाप से क्या वर्सा मिलता होगा। तुम समझते हो कि शिवबाबा है सभी आत्माओं का बाप और ब्रह्मा है सभी जीव आत्माओं का बाप। तुम इसमें भाई-बहन हो जाते हो। बाप तो तुम बच्चों को कहते हैं – देखा, तुम्हारी तकदीर कितनी ऊंची है! हम तुमको पढ़ाकर कितना तकदीरवान बनाता हूँ। बरोबर सतयुग आदि में श्री लक्ष्मी-नारायण वा इन स्वर्गवासियों की राजधानी थी। कितनी उन्हों की ऊंच तकदीर बनाई है। यह तुम बच्चों की बुद्धि में राज़ है कि शिवबाबा ने ही उन्हों की ऊंच तकदीर बनाई थी। वह तकदीर भोग 84 जन्म पूरे किये। अब फिर वही तकदीर बना रहे हैं। यह तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान है। ज्ञान सागर शिवबाबा के सिवाए कोई भी समझा न सके। ऐसा बाप कितना लवली है। बाप भी कहते हैं तुम भी लवली बच्चे हो। तुमको मैं फ़रमान करता हूँ कि निरन्तर मुझे याद करने का अभ्यास करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। तुम जानते हो कि शिवबाबा अभी इस ब्रह्मा तन में सम्मुख हैं। बाप ने समझाया है मैं तो सदैव निराकार हूँ। मेरा नाम शिव ही है। मैं साकार में आकर पुनर्जन्म नहीं लेता हूँ। अभी मैं आया हुआ हूँ। तुम जानते हो कौन बात कर रहा है! तुम्हारी बुद्धि ऊपर में चली जाती है। वह निराकार परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर है। वही तकदीर बनाने वाला है। हेविनली गॉड फादर हेविन की स्थापना करेगा ना। तुम जानते हो बाप कैसे ब्रह्मा तन में सम्मुख बात कर रहे हैं। कहते हैं – लाडले बच्चे, अब ड्रामा पूरा हुआ। आत्मा सुनती है। आत्मा ही जानती है कि यह यथार्थ बात है। बाप कहते हैं जितना हो सके मुझे याद करो और सारे सृष्टि चक्र की नॉलेज तुमको ही दी है। कोई को अच्छी रीति धारणा होती है, कोई भूल जाते हैं। अभी तुम बैठे हो, तुमको यह ज्ञान अमृत दे रहे हैं अथवा नॉलेज पढ़ा रहे हैं। सम्मुख शिवबाबा बैठा है। वह जन्म-मरण में नहीं आता है। तुम्हारा तो जन्म बाई जन्म नाम, रूप, देश, काल बदलता जाता है। फीचर्स सदैव न्यारे मिलते हैं। यह कितनी गुह्
य सूक्ष्म बातें हैं। तुम्हारी आत्मा घड़ी-घड़ी एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है। इस समय जो तुम्हारा रूप है, दूसरे जन्म में यह नहीं रहेगा। एक न मिले दूसरे से। आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है तो उनकी एक्टिविटी, ख्यालात आदि सब बदल जाते हैं। आत्मा को कितना भिन्न-भिन्न पार्ट बजाना पड़ता है। भिन्न नाम, रूप, देश, काल एक्टिविटी से पार्ट बजाती है। एक्टिविटी भी बदलती रहती है – कभी राजा की, कभी रंक की। ऐसे नहीं कभी कुत्ता-बिल्ली भी बनेंगे। नहीं। अभी तुम जानते हो हम भविष्य में प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने के लिए पुरुषार्थ करते हैं। मनुष्य से देवता बन रहे हैं। यह मम्मा-बाबा भी पुरुषार्थ कर रहे हैं। फिर भविष्य में जाकर लक्ष्मी-नारायण बनेंगे। हम भी जितना अपनी तकदीर बनाने लिए पुरुषार्थ करेंगे उतना बहुत सुख मिलेगा। कितनी जबरदस्त कमाई है! वह तो करके अल्पकाल सुख के लिए पढ़कर इसी ही जन्म में बैरिस्टर आदि बनेंगे। दूसरे जन्म की बात ही नहीं। सो भी बनें, न भी बने, हो सकता है। तुम तो समझते हो कि हम भविष्य में स्वर्ग में जरूर जायेंगे। फिर वहाँ देवी-देवता कहलायेंगे। यह कभी भूलना नहीं है कि बाप से हम स्वर्ग के ताउसी तख्त का वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे। ऊंच ते ऊंच बनकर ही दिखलायेंगे। गॉड फादर पढ़ाते हैं वह भी तो बुद्धि में आता है। हम अच्छी रीति पढ़कर 21 जन्म के लिए अपनी प्रालब्ध बनाते हैं। इस समय जितना पुरुषार्थ करेंगे उतना ऊंच तकदीर बनायेंगे। वह तकदीर कल्प-कल्प कायम रहेगी इसलिए इस समय तकदीर के लिए अच्छा पुरुषार्थ करना चाहिए। बड़ी भारी तकदीर है। बहुत सुख है। भल यहाँ कोई के पास करोड़ हैं परन्तु पाई का भी सुख नहीं है। वहाँ तो बिल्कुल शान्ति आराम से प्रालब्ध भोगेंगे। यहाँ तो कितनी आफतें आती रहती हैं। थोड़े टाइम में बहुत देवाला निकालेंगे। मरते जायेंगे। भल इनश्योर करते हैं परन्तु इनश्योरेंस कम्पनी भी क्या कर सकेगी? हिरोशिमा का क्या हाल हुआ! कितने आदमी मरे! इनश्योर कम्पनी ने भी देवाला मारा। यहाँ भी ऐसे ही होगा। सब खत्म हो जायेंगे। इनश्योरेन्स वाले किसको पैसा देंगे? कौन एक-दो का दीवा जलायेंगे?
11 July ki Murli मनुष्यों में अन्ध-विश्वास कितना है! बड़े आदमी का शो करते हैं। ऋषि-मुनियों को उनसे भी बड़ा समझते हैं। भल रिलीजन को नहीं मानते, परन्तु संन्यासियों को नमन जरूर करते होंगे। साधुओं के आगे जाकर दण्डवत प्रणाम करेंगे। साधू उनके आगे नहीं करेंगे क्योंकि समझते हैं मैं ऊंच पवित्र हूँ। यह बाप तो कहते हैं मेरे लाडले बच्चों – हम बच्चों को नमस्ते करते हैं। तुम तो हमारे सिर के मोर हो। तुम विश्व के मालिक बनेंगे। ब्रह्माण्ड के भी तुम मालिक हो। तुम डबल मालिक हो। मैं सिंगल सिर्फ ब्रह्माण्ड का मालिक हूँ। ऐसी बातें सिवाए बाप के कोई समझा न सके। तो ऐसे बाप को कितना याद करना चाहिए, जिससे ऐसा वर्सा मिलता है। बाप कहते हैं – देखो, कितने बच्चे यहाँ से होकर जाते हैं। फिर 6 मास में भी बाप को मुश्किल पत्र लिखते हैं। अरे, प्राण देने वाले प्राणों से प्यारे बाप को पत्र नहीं लिखते। स्त्री-पुरुष एक-दो को चिट्ठी लिखते हैं तो कहते हैं प्राणेश्वर फलाना, वास्तव में वह कोई प्राणेश्वर तो है नहीं। प्राणेश्वर तो एक ही बाप है। सभी प्राणों का ईश्वर बाप एक है। वह कहते हैं – प्राणेश्वर बच्चे अर्थात् प्राण बचाने वाले ईश्वर के बच्चे। बच्चे भी कहते हैं प्राणेश्वर बाबा, हमारे प्राण बचाने वाले बाबा। यहाँ से ही यह नाम निकला हुआ है। भारत में ही ऐसे प्राणेश्वर, प्राणेश्वरी लिखते हैं। परन्तु हैं नहीं। प्राणों का दान तो बाप ही देते हैं। बाप कहते हैं तुम मेरे बनते हो तो फिर तुमको कोई दु:ख दे नहीं सकते। आत्मा को ही दु:ख मिलता है, आत्मा फील करती है बाप कितना प्यार से समझाते हैं। याद भी उनको करती है, महिमा करती है। मम्मा को भी कितना याद करते। जो बहुतों की अच्छी सर्विस करते हैं उनको कितना ऊंच मर्तबा मिलता है। फिर उनके बाद सेकेण्ड नम्बर में जो सर्विस में बाबा को फॉलो करते हैं। तुम्हें बहुत रहमदिल बनना है। जैसे बाबा ने हमको बनाया है, हम फिर औरों को बनावें। कितनी बड़ी प्रॉपर्टी की प्राप्ति है – स्वर्ग की राजधानी! वहाँ हम इतने साहूकार रहते हैं जो सोने-हीरों के महल बनायेंगे। एक माया मछन्दर का खेल भी दिखाते हैं। उसने देखा सोने की ईटें पड़ी हैं, थोड़ी ले जायें। तुम साक्षात्कार में स्वर्ग में हीरे-जवाहरों के महल देखते हो। सोने की खानियां देखते हो तो समझते हो थोड़ा ले जायें। सूक्ष्मवतन में सोना नहीं मिलता। सोना वैकुण्ठ में रहता है। तुम जानते हो वहाँ खानियों से हम विमानों में जाकर सोना भरकर ले आयेंगे। सोने की बड़ी-बड़ी ईटें भी होती हैं। अभी भी बड़ों-बड़ों के पास सोना तो पड़ा है ना। भारत को सोना-चांदी तो जरूर रखना है। सबके पास बड़ी-बड़ी गुफायें बनी हुई हैं, जहाँ कोई लूट-फूट न सके। आग जला न सके। तो वह सब भविष्य में तुम्हारे हाथ आ जायेगा। जिन एरोप्लेन आदि द्वारा अभी बाम्ब आदि गिराते हैं, विनाश के लिए, वही चीजें फिर सुख के लिए निमित्त बन जायेंगी। सतयुग में यह सब थी फिर प्राय:लोप हो गई। अब फिर बनी हैं। तुम जानते हो कैसे खानियों से जाकर ले आते हैं। खानियां सब नई हो जाती हैं। अभी तो पुरानी हैं। तो ऐसी तकदीर बनाने वाले बाप से पूरी तकदीर लेनी चाहिए। इसमें ग़फलत नहीं करनी चाहिए। बाप और वर्से को याद करो। बाप कहते हैं एक में मोह लगाओ। स्वर्ग को याद करो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
11 July ki Murli धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी ऊंच तकदीर बनाने में ग़फलत नहीं करनी है। श्रीमत पर अच्छी रीति चल पढ़ाई के आधार से ऊंची तकदीर बनानी है।
2) प्राणेश्वर बाप की याद में रह सबको प्राण दान देना है। सबके प्राण बचाने हैं। किसी को भी दु:खी नहीं करना है।
11 July ki Murli वरदान:- मालिकपन की स्थिति में रह प्रकृति द्वारा सहयोग की माला पहनने वाले प्रकृतिजीत भव
प्रकृति आप मालिकों का अब से आह्वान कर रही है, चारों ओर प्रकृति के तत्व हलचल करेंगे लेकिन जहाँ आप प्रकृति के मालिक होंगे वहाँ प्रकृति दासी बन सेवा करेगी सिर्फ आप प्रकृतिजीत बन जाओ तो प्रकृति सहयोग की माला पहनायेगी। जहाँ आप प्रकृतिजीत ब्राह्मणों का पांव होगा, स्थान होगा वहाँ कोई भी नुकसान नहीं हो सकता। तूफान आयेगा, धरनी हिलेगी लेकिन बाहर सूली होगा और यहाँ कांटा। सभी आपके तरफ स्थूल सूक्ष्म सहारा लेने के लिए भागेंगे।
स्लोगन:- अलौकिक सुख व मनरस का अनुभव करना है तो मनमनाभव की स्थिति में रहो।