Rights under Article 22 – देश का कानून नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करता है. मजबूत सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून व्यवस्था का सक्षम और सशक्त होना बहुत जरूरी है. लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी होता है संविधान में नागरिकों को दिए हुए अधिकारों के बारे में जाना समझना और उस अधिकार के तहत आप क्या- क्या कर सकते हैं क्या नहीं कर सकते, देश का प्रशासन क्या कर सकता है और क्या नहीं. ठीक ऐसे ही पुलिस थाना और पुलिस को लेकर डरने की आवश्यकता नहीं बल्कि समझदारी से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है.
अगर कभी भी गिरफ्तारी की नौबत आए तो ये बात जाननी बेहद जरूरी है कि पुलिस को आपको गिरफ्तार करने से पहले क्या जानकारी देनी जरूरी है या फिर किस आधार पर वो आपको गिरफ्तार करने में सक्षम हैं. आइए आज जानते हैं गिरफ्तारी से जुड़े 10 संवैधानिक नियमों के बारे में…
संविधान में गिरफ्तारी से जुड़े ये अनुच्छेद
भारतीय संविधान भारत के आम नागरिकों से लेकर खास नागरिकों के लिए एक सामान है. लेकिन कभी कभी इनकी जानकारी का आभाव आपके लिए भरी पड़ जाता है. इसीलिये भारतीय संविधान ने गिरफ्तारी से जुड़े कुछ विशेषाधिकार दिए हुए हैं जिनके तहत अगर कभी भी आपकी गिरफ़्तारी होती है तो आप इन बातों को जाने का पूरा अधिकार रखते हैं.
संविधान के अनुच्छेद 22, 22(1) और अनुच्छेद 22(2) जिसके तहत आपको अरेस्ट से पहले पुलिस से इन बातों को जानने का अधिकार रखते हैं.
क्या है अनुच्छेद 22?
अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने पर उसके विरुद्ध संरक्षण का अधिकार.
‘अनुच्छेद 22 में आपको यह अधिकार प्राप्त होता है कि आपको ये जाने का पूरा हक़ है कि हिरासत के विरुद्ध आपके संरक्षण का अधिकार क्या है?’
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Rights under Article 22
अनुच्छेद 22 (1): यह अनुच्छेद गिरफ्तार हुए और हिरासत में लिए गए व्यक्ति को विशेष अधिकार प्रदान करता है. विशेष रूप से गिरफ्तारी का आधार सूचित किया जाना कि किस वजह से हिरासत में लिया जा रहा है.
अपनी पसंद और सहूलियत के एक वकील से सलाह करने का अधिकार आपको देता है.
आप यह जान सकते हैं कि किस आधार पर कौन सी धारा लगा कर आपको हिरासत में लिया गया है.
‘ जब भी गिरफ्तारी की नौबत आती है और आपको किसी वजह से पुलिस स्टेशन जाना पड़ता है तो आप अधिकारी से अपने अधिकारों को लेकर बोल सकते हैं और उनका उपयोग कर सकते हैं.’
अनुच्छेद 22 (2): Rights under Article 22 in Hindi – गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर एक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने का अधिकार है. मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना तय अवधि से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रखे जाने का अधिकार प्रदान करता है. आप अपनी बात मजिस्ट्रेट के आगे रख सकते हैं.
‘आपको कानून अधिकार देता है कि आप अपनी गिरफ्तारी के विषय में जान सकते हैं.
अगर पुलिस आपको गिरफ्तार करने आती है तो आपके पास क्या- क्या अधिकार हैं?
पहला अधिकार:
- सीआरपीसी की धारा 50 (1) के तहत पुलिस अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उसका कारण बताना होगा. यह जानना उसका अधिकार है.
- जब पुलिस गिरफ्तारी के लिए आए तो उसे यूनिफॉर्म में होना चाहिए.
दूसरा अधिकार
- जब पुलिस गिरफ्तारी के लिए आए तो उसे यूनिफॉर्म में होना चाहिए.
- वर्दी पर नेमप्लेट लगी होनी चाहिए, उस पर नाम स्पष्ट लिखा होना चाहिए.
- अगर महिला की गिरफ्तारी है तो महिला पुलिस साथ होनी चाहिए.
तीसरा अधिकार
- सीआरपीसी की धारा 41 (बी) के अनुसार पुलिस को अरेस्ट मेमो यानी गिरफ्तारी का विवरण तैयार करना होगा.
- जिसमें गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी की रैंक
- गिरफ्तार करने का समय क्या है
- पुलिस अधिकारी के अतिरिक्त जो प्रत्यक्षदर्शी (eyewitness) के हस्ताक्षर भी शामिल होंगे.
चौथा अधिकार
- जो अरेस्ट मेमो होता है उसमें गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से भी हस्ताक्षर करवाना जरूरी होता है. उस हस्ताक्षर के बिना वह अधूरा माना जायेगा.
पाँचवाँ अधिकार
- जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है उसकी हर 48 घंटे के अंदर मेडिकल जांच जरूर होनी चाहिए. उसकी मेडिकल जांच की रिपोर्ट पूरी होनी चाहिए.
- सीआरपीसी की धारा 54 के मुताबिक अगर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति अपनी मेडिकल जांच कराने की मांग करता है, तो पुलिस को उसकी मेडिकल जांच करानी होगी.
छठवां अधिकार
- सीआरपीसी की धारा 50(A) के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अधिकार,
- अपनी गिरफ्तारी की जानकारी वह अपने परिवार या रिश्तेदार को दे सकता है.
- अगर उसको अपना अधिकार पता नहीं है तो यह पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि वह इसकी जानकारी उसके परिवार और उसको दें.
सातवां अधिकार
सीआरपीसी की धारा 41D के अनुसार हिरासत में लिए गए व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह पुलिस जांच के दौरान कभी भी अपने वकील से मिल सकता है और बात कर सकता है. अपने परिजनों से भी मुलाकात कर सकता है और बातचीत कर सकता है.
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गिरफ़्तारी का आठवां अधिकार
- असंज्ञेय अपराधों के मामले में जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है उसको वारंट देखने का अधिकार होता है.
- मगर असंज्ञेय अपराधों के मामले में पुलिस बिना वारंट दिखाए भी गिरफ्तार कर सकती है.
नौवां अधिकार: महिला से संबंधित
- सीआरपीसी की धारा 46(4) अनुसार किसी भी महिला को सूरज ढलने के बाद और सूरज निकलने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
- सीआरपीसी की धारा 46 के अनुसार महिला को सिर्फ महिला पुलिसकर्मी ही गिरफ्तार कर सकती है.
- किसी भी महिला को पुरुष पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं कर सकता है.
10वां अधिकार
- सीआरपीसी की धारा 55 (1) के अनुसार जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जायेगा उसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान पुलिस की जिम्मेदारी होगी.
- ‘सीआरपीसी की धारा 57 के तहत पुलिस किसी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती है, अगर पुलिस किसी को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में रखना चाहती है तो उसको मजिस्ट्रेट से ही इजाजत लेनी होगी और मजिस्ट्रेट इस संबंध में इजाजत किस आधार पर दे रहा है उसका विवरण कारण सहित भी बताएगा’.
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