न्याय का मंदिर में कहे जाने वाले कोर्ट में एक घटना हुई है और इस घटना की वजह से दिल्ली पुलिस की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं. दरअसल, शुक्रवार सुबह साकेत कोर्ट में एक महिला को गोली मार दी गई. ये महिला कोर्ट में गवाही देने के लिए आई थी और इस कोर्ट के बाहर इस महिला को गोली मार दी गयी जिसके बाद एनएससी थाना अध्यक्ष ने महिला को अपनी गाड़ी से अस्पताल में भर्ती कराया है। वहीं इस घटना के बाद दिल्ली पुलिस में हड़कंप मच गया तो वहीं दिल्ली पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि इससे पहले भी कोर्ट में firing इन की कई सारी घटना हो चुकी है.
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6 बार हो चुकी है कोर्ट में फायरिंग
जानकारी के अनुसार, सबसे पहले 23 दिसंबर 2015 को चार हमलवारों ने कड़कड़डूमा कोर्ट के अंदर घुसकर फायरिंग की जिसमें गोली लगने से दिल्ली पुलिस के एक जवान की मौत हो गई। इसी के साथ तीन नवंबर 2019 को तीस हजारी कोर्ट में पार्किंग विवाद में पुलिसकर्मियों और वकीलों में झड़प के दौरान गोली चली थी और गोली वकील को लग गई थी जिसके बाद जमकर बवाल हुआ था. वहीं 24 सितंबर 2021 को रोहिणी कोर्ट में गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी और पुलिस की जवाबी कार्रवाई में दोनों हमलावर ढेर कर दिया गया था. 9 दिसंबर 2021 को रोहिणी कोर्ट परिसर के अंदर कोर्ट नंबर 102 में बम धमाका हुआ था. इसके बाद 3 दिसंबर 2022 को अरमान नाम के गैंगस्टर ने कड़कड़डूमा कोर्ट के गेट नंबर चार पर की हवाई फायरिंग और उसके बाद 22 अप्रैल 2022 को रोहिणी कोर्ट में वकील और सुरक्षाकर्मी के बीच बहस के दौरान गोली चली और इस घटना में दो वकील घायल हुए.
कड़ी सुरक्षा के बाद हुई थी घटना
जहाँ सितंबर 2021 में रोहिणी कोर्ट में हुए शूटआउट के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से न्यायालयों की सुरक्षा पर रिपोर्ट मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि जिला न्यायालयों में 1000 सुरक्षाकर्मी (इसमें दिल्ली पुलिस के 261, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 243 व अन्य शामिल हैं), 2700 सीसीटीवी कैमरों के साथ ही 85 स्कैनर, 242 मेटल डिटेक्टर, 146 मल्टी प्वाइंटर मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं लेकिन इसके बाद भी साकेत कोर्ट ने हुई की गोलीबारी की इस घटना ने एक बार फिर पुलिस के दावों झूठा साबित कर दिया है.
जाँच न होने के कारण हुई कोर्ट में गोलीबारी
जहाँ रोहिणी शूटआउट के बाद दिल्ली पुलिस ने सभी न्यायालयों में जांच और तलाशी पर विशेष जोर दिया था और एसीपी स्तर के अधिकारियों के जिम्मे सुरक्षा दी गई, लेकिन न्यायालयों में प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मी जांच नहीं करते हैं क्योंकि पुलिस वाले वकील के जान-पहचान होती है जिसकी वजह से वकील की तलाशी नहीं होती है. वहीँ साकेत कोर्ट में शुक्रवार को हुई घटना में आरोपित वकील कोर्ट में दाखिल हुआ और जांच नहीं हुई और आसानी से ये हमला हो गया.
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