वो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) जो कभी गुंडाराज और जंगल राज के लिए जाना जाता था जहाँ व्यापारी काम करने से पहले हज़ार बार सोंचते थे. उसे अपराध मुक्त का जिम्मा अपने कन्धों पर उठा चुके हैं राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath). सरकार के आदेश के बाद राज्य से छोटे-मोटे गुंडे-मवाली समेत राज्य के बड़े माफियाओं पर भी लगातार शिकंजा कसा जा रहा है.
जहाँ एक तरफ सपा और बसपा सरकार में सालों तक यूपी में माफिया राज चला चुके अतीक अहमद (Atique Ahmed) और मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के गैंग को कमजोर किया जा रहा है तो दूसरी तरफ अदालत भी इनके गुनाहों के लिए सजा सही ढंग से पैरवी कर रही है. अतीक अहमद को उमेश पाल हत्याकांड मामले में उम्र कैद के बाद साबरमती जेल भेज दिया गया है, तो वहीं अगली बारी हो सकती है मुख्तार अंसारी की.
‘बकरे की माँ कबतक खैर मनाएगी’
जिस तरह से जेल में रहकर अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या करवाई थी उसी तरह मुख्तार अंसारी पर भी कृष्णणानंद राय (Krishnanand Rai) की हत्या के आरोप हैं. मुख्तार अंसारी पिछले 13 साल से जेल में ही है और उन पर एक दो नहीं 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, लेकिन जिस गुनाह की बात हम कर रहे हैं वो जल्द ही माफिया मुख्तार अंसारी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है.
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कृष्णानंद राय हत्या मामले में साल 2012 में गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर एक्ट के तहत शुरू हुए ट्रायल पर आज सुनवाई पूरी हो चुकी है. इस केस में मुख्तार अंसारी, भाई अफजल अंसारी आरोपी हैं. 15 अप्रैल यानी ठीक 15 दिन बाद इसपर अदालत अपना फैसला सुनाएगी.
कृष्णानंद की हत्या पर होगी मुख़्तार को सजा?
कृष्णानंदराय हत्याकांड भी बिलकुल राजू और उमेश पाल हत्या काण्ड की तरह था जिसमे आपसी विवाद चुनावी अटकलों को लेकर था. दोनों में बस फर्क इतना है कि राजू पाल को अतीक अहमद ने मरवाया जबकि कृष्णनानंद की हत्या के आरोप मुख्तार अंसारी पर हैं. मामले की जानकारी से पहले ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर कृष्णानंद राय था कौन?
ये कहानी शुरू होती है यूपी के 2002 विधानसभा चुनाव से. कृष्णानंद राय मोहम्मदाबाद सीट के लिए बीजेपी के विधायक थे. इस सीट पर मुख्तार अंसारी का भाई अफजल अंसारी भी लड़ रहा था. इस सीट पर सालों से मुख्तार अंसारी के परिवार का कब्जा रहा था, लेकिन उस विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक कृष्णानंदराय ने अफजाल अंसारी को मात दी थी.
2005 बीजेपी विधायक समेत 7 लोगों की हत्या
अपने घरेलु सीट पर भाई की हार को मुख्तार अंसारी पचा नहीं पा रहा था. शायद जनता का फैसला यूपी के इस माफिया को रास नहीं आया था. बात है साल 2005 की जब 29 नवबंर के दिन कृष्णानंद राय अपने काफिले के साथ गाजीपुर से लौट रहे थे. वहां उन्होंने एक लोकल क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्घाटन किया था.
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वापस लौटते हुए उनका काफिला बसनिया चट्टी के पास पहुंचा जहां हमलावर पहले से घात लगाए बैठे थे. बीजेपी विधायक के काफिले पर एके 47 से 500 राउंड फायरिंग हुई. कृष्णानंद और उनके साथ चल रहे 7 लोगों को गोलियों से भून डाला गया.
मुख्तार पर लगा जेल से हत्या करवाने का आरोप
इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरा देश दहल गया था. लेकिन खास बात ये थी की जब कृष्णानद की हत्या हुई तो उस वक्त मुख्तार अंसारी जेल में बंद था. दरअसल कुछ दिन पहले ही मुख्तार पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे और फिर मुख्तार ने खुद सरेंडर कर दिया था.
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इसके बाद मुख्तार को जेल भेजा गया था. कहते हैं ये पूरा मुख्तार अंसारी की प्लानिंग का एक हिस्सा था. जेल में बैठकर मुख्तार अंसारी ने लिखी थी कृष्णानंदराय की हत्या की स्क्रिप्ट. मुख्तार अंसारी के कहने पर ही उसके शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतीक उर रहमान ने कृष्णानंद की हत्या करवाई थी. इसी मामले में अब 15 दिन बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.