स्टार्टअप इंडिया जैसी पहल से, भारत में और अधिक लोगों को अपना बिजनेस शुरू करने और एक उद्यमी बनने की प्रेरणा मिली है। हालांकि, यह हमारे देश के लिए कोई नई बात नहीं है। यहां के उद्यमी सालों से दुनिया भर में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं। एक या दो नहीं, बल्कि कई ऐसी कंपनियां हैं जो शुरू भले भारत में हुईं, लेकिन आज विदेशों में भी पहचानी जाती हैं
टाटा ग्रुप और अमूल का नाम तो आज हर कोई जानता ही है. इक्की-दुक्की नहीं, बल्कि कई ऐसी कंपनियां हैं जिनकी सेवाएं और प्रोडक्ट्स देश के साथ-साथ, विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जिनकी शुरुआत काफी छोटे स्तर पर हुई थी, लेकिन मालिकों और कर्मचारियों ने अपनी मेहनत और गुणवत्ता से अपने काम को ब्रांड बना दिया.
पारले-जी (Parle-G)
भारत में नुक्कड़ की दुकान से लेकर सुपरमार्ट तक में बिकता है पारले-जी का बिस्कुट। साल 1929 की बात है, जब सिल्क व्यापारी मोहनलाल दयाल ने मुंबई के विले पारले इलाके में एक पुरानी बंद पड़ी फैक्ट्री खरीदकर इसे एक कन्फेक्शनरी की तरह शुरू किया। दरअसल, मोहनलाल स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित थे. कुछ साल पहले वह जर्मनी गए और कन्फेक्शनरी बनाने की कला सीखी. 1929 में ही वह कन्फेक्शनरी मेकिंग मशीन लेकर भारत वापस लौटे और परिवार के ही 12 लोगों के साथ काम शुरू किया.
भारत में, भारत के लोगों के लिए बना यह बिस्कुट जल्द ही आम जनता में लोकप्रिय हो गया। आज पारले-जी के पास देश भर में 130 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. हर महीने पारले-जी 100 करोड़ से ज्यादा बिस्कुट के पैकेट का उत्पादन करता है और 21 से ज्यादा देशों में पारले के प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
वाडीलाल (Vadilal)
साल 1907 में Vadilal की शुरुआत, अहमदाबाद के वाडीलाल गांधी ने की थी. गुजरात का वाडीलाल ब्रांड, चार पीढ़ियों से ज्यादा का सफर तय कर चुका है. यह ब्रांड, आज देश का जाना-माना आइसक्रीम ब्रांड है. इस ब्रांड ने परंपरागत कोठी (हाथ से चलने वाली देसी आइसक्रीम मशीन) तकनीक का इस्तेमाल करके आइसक्रीम बेचने की शुरुआत की थी, वहीं आज इनके पास अपने ग्राहकों के लिए आइसक्रिम के 200 से ज्यादा फ्लेवर्स मौजूद हैं.
कल्याण ज्वैलर्स (Kalyan Jewellers)
छोटे से कारोबार से अपने काम की शुरुआत करने वाले कल्याण ज्वेलर्स के चेयरमैन और एमडी, टी एस कल्याण रमण (T.S. Kalyanaraman) आज देश के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं. केरल के तिरुसुर जिले में साल 1993 में कल्याण ज्वैलर्स की स्थापना हुई थी.
टीएस कल्याणरमण (T.S. Kalyanaraman) ने अपने करियर की शुरुआत, एक कपड़ें की छोटी सी दुकान से की थी. दुकान संभालने के साथ-साथ वह अपनी पढ़ाई भी करते रहे और इस समय कल्याण ज्वैलर्स के करीब 105 शोरूम हैं, जो पूरे भारत और पश्चिम एशिया में मौजूद हैं.
हाईडिज़ाइन (Highdesign)
एक शौक के रूप में शुरू हुआ लेदर की चीजें बनाने का काम, आज करोड़ों रुपये का व्यवसाय बन गया है, जिसके भारत सहित 23 देशों में शोरूम मौजूद हैं. हाईडिज़ाइन एक प्रीमियम ब्रांड है, जो लेदर के बैग्स और बेल्ट्स बनाता है.
पांडिचेरी के दिलीप कपूर ने साल 1978 में एक वर्कशॉप के रूप में इस काम की शुरुआत की थी. लेकिन आज हाईडिजाइन अपनी गुणवत्ता और कस्टमाइज़्ड चीजों के लिए वैश्विक ब्रांड के रूप में विकसित हुआ है.
कैफ़े कॉफी डे (Cafe Coffee Day)
कर्नाटक में चिकमंगलूर के रहनेवाले कॉफी किंग वी.जी. सिद्धार्थ, अपना करियर इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर बनाना चाहते थे. वी.जी., कर्नाटक के चिकमंगलुरु जिले में एक ऐसे परिवार में पैदा हुए थे, जो सालों से कॉफी की खेती कर रहा था और वह भी ज्यादा समय तक कॉफी से दूर नहीं रह सके. उन्होंने कुछ कॉफी फार्म खरीदे और इसके बाद कैफे कॉफी डे की शुरुआत की.
ठण्ड के मौसम में हर भारतीय की पहली पंसद मोंटे कार्लो का स्वेटर और जैकेट होता है. लुधियाना में मोंटे कार्लो का इतिहास ओसवाल वूलन मिल्स से शुरू हुआ, जिसे 1949 में स्वतंत्रता के बाद स्थापित किया गया था. 1984 में, मोंटे कार्लो को लॉन्च किया गया था. इसने ओसवाल वूलन मिल्स के तहत एक ब्रांड के रूप में नाम कमाया.
फ्लाईंग मशीन (Flying Machine)
स्वदेशी आंदोलन का भाग रही अहमदाबाद की अरविन्द मिल्स ने देश को पहला घरेलू जीन्स ब्रांड भी दिया है. इसे 1980 में लॉन्च किया गया, ऐसे समय में जब हम केवल बाहर के देशों की जींस खरीदकर पहनते थे. कम दाम में भारतीयों के लिए इसे बनाया गया, जो 1994 तक भारत में ब्रांडेड जींस में अग्रणी हो गया था और अभी भी इसे ट्रेंडी और प्रीमियम ब्रांड के रूप में देखा जाता है.
मोंटे कार्लो (Monte Carlo)
ठण्ड के मौसम में हर भारतीय की पहली पंसद मोंटे कार्लो का स्वेटर और जैकेट होता है. लुधियाना में मोंटे कार्लो का इतिहास ओसवाल वूलन मिल्स से शुरू हुआ, जिसे 1949 में स्वतंत्रता के बाद स्थापित किया गया था. 1984 में, मोंटे कार्लो को लॉन्च किया गया था. इसने ओसवाल वूलन मिल्स के तहत एक ब्रांड के रूप में नाम कमाया.
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सर्वाना भवन (Sarvana Bhawan)
होटल सर्वाना भवन, दुनिया की सबसे बड़ी दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट चेन है, जिसकी स्थापना 1981 में चेन्नई, तमिलनाडु में हुई थी. इनके भारत में 33 आउटलेट्स और दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मध्य पूर्व, यूरोप और उत्तरी अमेरिका सहित 22 देशों में 78 आउटलेट्स मौजूद हैं.
लेकिन इसकी शुरुआत, पी राजगोपाल ने की थी, जो बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. चेन्नई के पास एक गांव में किराने की दुकान के साथ उन्होंने काम की शुरुआत की थी, उनका बनाया सर्वाना भवन आज देश का जाना माना शाकाहारी रेस्टोरेंट है.
9. ओल्ड मॉन्क(Old Monk)
ओल्ड मॉन्क रम एक प्रतिष्ठित इंडियन डार्क रम है, जिसे 1954 में लॉन्च किया गया था. यह देश में ही नहीं, विदेशों में भी पसंद की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में होता है.
10. लूम सोलर (Loom Solar)
लूम सोलर, भारत की अग्रणी सोलर पैनल कंपनी है, जिसकी स्थापना ब्रदर जोड़ी अमोल और आमोद आनंद ने की है. देश में सोलर प्रोडक्ट्स की मांग जिस तरह से बढ़ रही है, ऐसे में सोलर से जुड़ा यह छोटा सा ब्रांड जिसकी शुरुआत भले ही छोटी हुई लेकिन कम समय में ही उन्होंने देश भर में ख्याति हासिल की है.
इन दो भाइयों ने 2018 में फरीदाबाद में लूम सोलर लॉन्च किया, जिसने सिर्फ एक साल में 25 करोड़ रुपये का कारोबार किया. आज देश के हजारों घरों में लूम सोलर लगे हुए हैं.