12 साल तक शिखा के पीछे बेला था पापड़
राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastava) का असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव है। हिंदी फिल्म जगत के लोग उन्हें गजोधर भैय्या के रूप में भी जानते थे। कानपुर के बाबूपुरवा में रहने वाले रमेश चंद्र श्रीवास्तव के घर में राजू का जन्म 25 दिसम्बर 1963 में हुआ था। अपनी अदाओं और चुटकुलों से सबको लोटपोट कर देने वाले ‘गजोधर भैय्या’ अपने दूर की रिश्तेदार शिखा (Shikha Srivastava) के प्यार में पूरे 12 सालों तक पागल रहे थे। इन 12 सालों में राजू ने शिखा को पटाने का हर तरीका अपनाया। गजोधर भैय्या की लव स्टोरी किसी फ़िल्मी प्यार से कम नहीं थी। 12 साल तक शिखा के पीछे पापड़ बेलने के बाद उन्हें उनकी मंजिल मिली थी।
शिखा को पहली बार देखा था बड़े भाई की शादी में
राजू ने सबसे पहली बार शिखा को 1981 में अपने बड़े भाई की शादी में बारात के दौरान देखा था। शिखा कोबारात में पहली बार देख राजू को पहली ही नजर में प्यार हो गया। जिसके बाद राजू ने शिखा के बारे में छानबीन की और पता लगाया की शिखा, भाभी के चाचा की बेटी हैं।
राजू ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि शिखा के घर के बारे में पता करने पर उन्हें मालूम हुआ कि वह इटावा में रहती हैं। बाद में शिखा के भाइयों के साथ दोस्ती कर राजू बार-बार इटावा जाने लगे, लेकिन शिखा से कुछ बोलने की उनकी हिम्मत नहीं हुई।
राजू पहुंचे मुंबई
इसके बाद 1982 में राजू अपनी किस्मत आजमाने मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में चले गए। जिसके बाद राजू ने मुंबई में तगड़ा स्ट्रगल किया जब कुछ कमाने-खाने लायक बन गए, तो उन्हें यह महसूस हुआ कि अब शादी कर लेनी चाहिए।
चिट्ठी के जरिए बात करते थे राजू
राजू श्रीवास्तव ने बताया कि वह मुंबई से शिखा से बात करने के लिए बीच-बीच में उनके घर चिट्ठी भेजते थे, लेकिन सीधी- सीधी बात लिखने की उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ती थी। चिट्ठी के जरिए राजू ने शिखा से उनकी शादी के बारे में पता करने की भी कोशिश की थी, पर शिखा ने कभी सीधा-सीधा जवाब नहीं दिया। राजू आगे कहते हैं कि अंत में घर वाले के जरिए शिखा के घर रिश्ते की बात पहुंचाई। कुछ दिनों बाद शिखा के भाई मेरे मलाड मुंबई वाले घर आए। उसी बीच शिखा ने बहुत सारे रिश्तों के लिए मना कर दिया था। कभी उन्हें लडका पसंद नहीं आता तो कभी उसकी नौकरी। इसी बात से राजू को यह एहसास हुआ की शिखा भी उनसे शादी करना चाहती है।
राजू ने अपने दोस्त अशोक को भेजा था शिखा से मिलने
इस दौरान राजू ने अपने दोस्त अशोक मिश्रा को शिखा से मिलने लखनऊ भेजा था। अशोक मिश्रा जो खुद पेशे से कॉमिडियन है उन्होंने बताया की राजू उन पर इतना भरोसा करते थे कि उन्हें अपनी होने वाली बीवी तक को देखने के लिए भेज दिया था। उन्होंने आगे बताया कि ”राजू की जब शादी की बात चल रही थी, तो उन्होंने मुझसे कहा था कि अशोक तुम लखनऊ जाओ और शिखा जो मेरी होने वाली बीवी है, उसे देखकर आओ। उस समय राजू भाई ने मेरा पुष्कर एक्सप्रेस में टिकट भी करवा दिया था। जिसके बाद मैं लखनऊ पहुंचा और वहां भाभी जी से मिला।लखनऊ गया, तो भाभी जी ने पकौड़े खिलाए और राजू भाई के नाम चिट्ठी लिखकर भेजी थी। पहली दफा चिट्ठी लिखी और फाड़ा और फिर दोबारा लिखी। वो मुझसे कहतीं कि भईया को जाकर बता देना मैं कैसी हूं। वो भी राजू भाई से शादी करना चाहती थीं। मैंने उन्हें अश्योरिटी दे दी थी कि डोंट वरी भाभी शादी तो आपसे ही होगी। मैंने आकर राजू को कहा कि भाभी बहुत अच्छी हैं और इसी से शादी करें, आज वो हमारी शिखा भाभी हैं”।
शिखा के भाई तब राजू से मिलने और उनके बारे में पता करने मुंबई पहुंचे। मुंबई में में राजू का घर देख कर उन्हें फिर तसल्ली हो गई थी कि लड़का उनकी बहन को खुश रखेगा। दोनों की शादी 17 मई 1993 को हुई थी। जिसके बाद राजू और शिखा के दो बच्चे हुए तथा 2005 में स्टैंड-अप कॉमेडी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ के बाद उन्हें प्रसिद्धि मिली। जिसके बाद उन्होंने, मैंने प्यार किया, बाजीगर, बॉम्बे टू गोवा, (रीमेक) और आमदानी अठन्नी खर्चा रुपैया जैसे फिल्मों में अभिनय भी किया।
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