1962 की वो सुबह जो लता मंगेशकर के तीन महीने निगल गया.
हर रोज की तरह उस सुबह भी लता मंगेशकर जी अपने रिकॉर्डिंग के लिए तैयार होती है घर से निकलने से पहले नाश्ते की टेबल पर उन्हें नाश्ता परोसा जाता है खाने के सिर्फ दो निवाले और अचानक लता जी को उल्टियाँ शुरू हो जाती है देखते ही देखते लता मंगेशकर बेहोश हो गयी और जब आंख खुली तो तीन महीने बीत चुके थे आखिर ऐसा क्या हुआ था 1962 की उस सुबह को, लता मंगेशकर जी थाली में क्या परोसा गया था जिससे वो मरते मरते बची. कौन था वो लता मंगेशकर का दुश्मन जिसने दिया था लता जी को जहर
स्वर कोकिला लता मंगेशकर के लिए बुना गया slow poision जैसा जाल
जब आप शोहरत की बुलंदियों को छूते हो तो लोग इसके पीछे की मेहनत नहीं बल्कि लोग इस शोहरत से जलने लगते हैं. जब आपके सारे कदम सफलता की और बढ़ते हैं और एक के बाद एक कामयाबी आपको मिलने लगती है. तो कुछ लोग इस सफलता से खुश नहीं होते ऐसा ही एक किस्सा है स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी का….
लता मंगेशकर, हिंदी सिनेमा का वो चेहरा जो हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके गाए हुए गाने आज भी अमर है. अपनी आवाज में गाए हुए गानों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाली स्वर कोकिला लता मंगेशकर के गाने आज भी उतने फेमस हैं जितना की उस समय पर थे जब उन्हें गाया गया था. इन गानों से लता मंगेशकर को कामयाबी तो मिली लेकिन साथ ही कई दुश्मन भी बन गये. और इस दुश्मनी के चलते उनके लिए slow poision जैसा जाल बुना गया.
रिकॉर्डिंग पर जाने से पहले हुई थी तबियत खराब
ये किस्सा है साल 1962 का जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं, तब किसी ने उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश करी. एक दिन जब लता मंगेशकर अपने गाने की रिकॉर्डिंग कार्यक्रम में जाने के लिए उठी तो उन्हें कुछ कमजोरी-सी महसूस हुई लेकिन अपने तय कार्यक्रम की वजह से उन्हें तैयार होकर रिकॉर्डिंग के लिए जाना था. रिकॉर्डिंग के जाने से पहले उन्होने नास्ता किया लेकिन खाना खाने के तुरंत बाद उन्हें उल्टी हो गयी और वो बेहोश होकर गिर गयी.
लता मंगेशकर के बेहोश होने के बाद डॉक्टर को बुलाया गया और वो होश में आ गयी. वहीं डॉक्टर से पूछा गया कि लता जी को क्या हुआ तो उन्होंने बताया कि उन्हें जहर दिया गया है।
कुक हो गया था गायब
लता मंगेशकर को किसने जहर दिया, उन्हें इस बात की जानकारी थी। लेकिन शक गया उनके कुक पर, कहा जाता है कि उनके बीमार होने के बाद उनका कुक अचानक गायब हो गया। बिना अपनी सैलरी लिए और बिना बताए लता जी का घर छोड़ कर चला गया लता ने बताया कि जहर देने वाले के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया जा सका क्योंकि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। इस घटना के बाद लता का परिवार काफी परेशान हो गया। तब लता मंगेशकर की छोटी बहन ऊषा मंगेशकर ने उनकी रसोई की कमान संभाल ली।
तीन महीने बाद हुई लता जी ठीक
लता जी को दिया जा रहा धीमा जहर उनके तीन महीने खा गया. इस जहर के कारण उनका शरीर काफी कमजोर हो गया और ट्रीटमेंट के बाद वो धीरे-धीरे ठीक हुईं। वहीं लता मंगेशकर के ठीक होने में मजरूह सुल्तानपुरी ने अहम भूमिका निभाई थी। मजरूह साहब हर शाम घर आते और लता जी के बगल में बैठकर कविताएं सुनाकर उनक दिल बहलाया करते थे। वहीं मजरूह बीमारी के दौरान लता जी का डिनर पर भी साथ देते और लता जी के लिए बना सिंपल खाना खाते थे और वो मजरूह साहब ही थे जिन्होंने लता जी को मुश्किल वक्त से उबरने में मदद करी.
ठीक होने के बाद गाया एक हिट गाना
इस मुश्किल दौर से गुजरने के बाद लता जी का पहला गाना गया जिसे हेमंत कुमार ने कंपोज किया था। हेमंत कुमार लता से खुद का कंपोज़ किया हुआ गाने की रिकॉर्डिंग कराना चाहते थे और इसलिए हेमत कुमार लता जी के घर आये और उनकी माँ की इज़ाज़त लेकर साथ ही ये वादा करके किसी भी तरह के तनाव के लक्षण दिखने के बाद वे तुरंत मुझे घर वापस ले आएंगे` और फिर लता जी घर से बाहर निकली और ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ गाना गया जो हिट साबित हुआ और लोगों के दिलों में बस गया और इसी गाने के लिए लता जी ने फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता.
33 साल की लता को कौन मारना चाहता था इस कहानी का अंत तो नहीं हुआ लेकिन कहते हैं कि जब आप नेक दिल से काम करो करो तो तमाम मुश्किल आने के बाद भी आपको मंजिल जरुर मिलती है.