सिखों के बाल न काटने के पीछे का ये है वैज्ञानिक कारण
By: Shikha Mishra
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सरदार अपने लंबे बालों और दाढ़ी के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। ये केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि इसके पीछे स्वास्थ्य और प्राकृतिक कारण भी छिपे हैं।
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गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को समझाया था कि जब शरीर के किसी अन्य अंग को काटने की आवश्यकता नहीं होती, तो फिर हम अपने बालों को क्यों काटें?
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उन्होंने कहा कि बाल और दाढ़ी प्रकृति का उपहार हैं और इन्हें काटकर हम प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करते हैं।
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गुरु गोविंद सिंह जी ने केशों को एक "प्राकृतिक हेलमेट" की संज्ञा दी थी, जो मस्तिष्क को बाहरी प्रभावों से सुरक्षित रखता है।
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प्राचीन ऋषि-मुनि और संत भी अपने बालों को बढ़ाकर जूड़ा बनाते थे, जिससे उनकी ऊर्जा केंद्रित रहती थी और मानसिक शक्ति बढ़ती थी।
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वैज्ञानिक दृष्टि से भी लंबे बाल शरीर की ऊर्जा को संतुलित रखने में सहायक होते हैं।
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ह न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं बल्कि आत्मविश्वास और धैर्य को भी मजबूत करते हैं।
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इस प्रकार, सरदारों द्वारा केशों को न काटने की परंपरा सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शक्ति से भी जुड़ी हुई है।