एक कहावत है कि दुनिया में जितने भी रंग हैं, वे सारे किसी न किसी रूप में इंसान के शरीर में मौजूद हैं. उसी तरह इंद्रधनुष के सातों रंग शरीर के भीतर मौजूद सात चक्रों से जुड़े हैं.
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पहला चक्र मूलाधार लाल रंग को दर्शाता है. यह काम ऊर्जा सहित सफलता, उत्साह, शक्ति, सौभाग्य एवं ताकत को दर्शाता है.
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दूसरा चक्र स्वाधिष्ठान खुशी, आशीर्वाद, सफलता और शालीनता को दर्शाता है. ये समस्त गुण नारंगी रंग से संतुलित होते हैं.
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पीला रंग तीसरे महत्वपूर्ण चक्र मनिपुर पर आधारित है. यह इंसान की रचनात्मक क्षमता, ज्ञान, बुद्धिमता, विद्या, आत्मविश्वास, डर, निराशा जैसे गुण-दोषों को नियंत्रित करता है.
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चौथा और अत्यंत महत्वपूर्ण चक्र अनाहत शांति, विश्वास, दया, अकेलेपन और ईष्र्या को दर्शाता है. हरा रंग इन मनोभावों में संतुलन स्थापित करता है. यह रंग स्फूर्ति व समृद्धि यह प्रकृति और अध्यात्म का प्रतीक है.
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पांचवां चक्र विशुद्ध संवाद की शक्ति, समझदारी, न्याय के अलावा धैर्य, सम्मान, इच्छाशक्ति और नम्रता को दर्शाता है. इस चक्र को नीला रंग संतुलित करता है। मनोविज्ञान के अनुसार नीला रंग बल, पौरुष व धीरता का प्रतीक है.
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छठा चक्र आज्ञा अंतज्र्ञान के अलावा निडरता और वफादारी को दर्शाता है, जो जामुनी रंग की कमी या अधिकता पर निर्भर है.
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सातवां चक्र सहस्नार आध्यात्मिकता, ध्यान, विवेक, आत्मत्याग और मनुष्यता को दर्शाता है. ये गुण बैंगनी रंग के संतुलन से आते हैं.