देश के सबसे अनोखे गांवों में से एक मलाणा गाँव यहाँ घूमने आने वाले व्यक्ति को यहां कि किसी भी चीज को छूने की इजाजत नहीं होती है. यदि उन्होंने ऐसा किया तो 1,000 से 2,500 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
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इसके अलावा यहां मौजूद दुकानों पर रखें हुए सामान को भी पर्यटक हाथ नहीं लगा सकते हैं. दुकानदार खुद सामान को जमीन पर रख देते और खरीदार पैसे जमीन पर रखकर सामान उठा लेते हैं.
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मलाणा गांव का संविधान सबसे पुराना माना जाता है. यहां के नियम और कानून इतने ज्यादा सख्त हैं कि अपराधी भी खौफ खाते हैं.
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इस गांव को दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक गांव कहा जाता है. इसकी अपनी अलग संसद है, जिसमें छोटे और बड़े 2 सदन हैं.
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बड़े सदन में 11 सदस्य होते हैं, जिसमें गांव वाले 8 सदस्यों का चुनाव करते हैं. वहीं बाकी 3 स्थायी सदस्य कारदार, गुर और पुजारी होते हैं.
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इस अनोखे गांव के संसद की कार्रवाई चौपाल के तौर पर होती है. इसमें बड़े सदन के सभी सदस्य ऊपर की तरफ बैठते हैं, वहीं छोटे सदन के सदस्य नीचे बैठते हैं.यदि सदन में किसी मामले का फैसला नहीं हो पाता तो जमलू देवता इसका फैसला करते हैं.
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यहां के लोग जमलू ऋषि को ही देवता मानते हैं और उन्हें पूजते हैं. गांव के निवासियों के लिए उनका फैसला अंतिम होता है. बना हुआ है और लगता है कि जैसे सांप ने इसे लपेट रखा हो.