
पुलिस का नाम आते ही अधिकतर लोगों के दिमाग में रौबदार, भ्रष्ट और दागदार छवि ही बनती है। क्योंकि पुलिस के कारनामे के कई किस्से अक्सर ही हमें सुनने को मिलते हैं। हालांकि इन सबके बीच कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं, जो पुलिस की दागदार छवि के बीच मिसाल पेश करने वाले काम करते हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के इंदौर से सामने आया। इंदौर पुलिस ने दरियादिली दिखाते हुए एक गरीब फूड डिलीवरी बॉय को बाइक दिलाने में मदद की।
मामला कुछ ऐसा है कि इस चिलचिलाती हुई गर्मी में जोमैटो का एक फूड डिलीवरी बॉय साइकिल पर घर-घर जाकर खाना सप्लाई करता था। उसके पास बाइक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में पुलिसकर्मी उसकी मदद के लिए आगे आए और डिलीवरी बॉय को नई बाइक दिलवाई। ये मामला सामने आने के बाद हर कोई इंदौर पुलिस के इस नेक काम की तारीफ कर रहा है।
शानदार मिसाल इंदौर के विजय नगर थाने पुलिस ने पेश की। दरअसल, विजय नगर के टीआई तहजीब काजी की एक दिन गश्त के दौरान नजर जय हल्दे पर पड़ी, जो साइकिल से खाने की डिलीवरी करता था। इस दौरान वो पसीने से तर-बतर था। ऐसे में थाना प्रभारी ने उसे रोक कर पूछा कि वो बाइक क्यों नहीं ले लेता। जिस पर जय ने कहा कि उसके पास इसके लिए पैसे नहीं है। उसकी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। ये सबकुछ देखकर टीआई का दिल पसीज गया और उन्होंने जय की मदद करने का फैसला लिया।
इसके बाद अगले दिन टीआई तहजीब काजी ने ये बात अपने विजय नगर थाने के पुलिसकर्मियों को बताई। फिर थाने के सभी स्टॉफ ने मिलकर अपनी सैलरी से कुछ पैसा जुटाए और 32 हजार रुपए डाउन पेमेंट इकट्ठा कर डिलीवरी बॉय को नई बाइक दिलाई।
फिर पुलिसकर्मियों ने जय को थाने बुलाया, तो वो डर गया। उसने ऐसा क्या कर दिया, जो थाने से फोन आया। जय किसी तरह हिम्मत जुटाकर वहां पहुंचा, तो पता चला कि पुलिसकर्मियों ने पैसा जुटाकर उसे बाइक दिलाई। जय भी खुद्दार इंसान था। इसलिए उसने पुलिसकर्मियों से कहा कि आप लोग बस डाउन पेमेंट कर दीजिए। बाकी का पैसा मैं खुद कमाकर भर दूंगा। पुलिसकर्मियों ने भी ऐसा ही किया।
जय बाइक पाकर बेहद ही खुश हुआ। नई बाइक मिलते ही वो सीधे फूड डिलीवरी करने के लिए निकल गया। रात को अपना काम करने के बाद वो पहले सीधा थाने गया और टीआई को बताया कि उसने एक हजार रुपये की कमाई कर ली। पहले वो रोजाना 200 से 300 रुपये ही कमा पाता था। जय हल्दे ने बताया कि पहले वो साइकिल से दिन में 6 से 8 फूड पार्सल ही पहुंचा पाता, जबकि अब बाइक पर रात में 15-20 फूड पार्सल पहुंचा रहा है।
बता दें कि जय के घर में मां और एक छोटा भाई हैं। वो मालवी नगर में रहता है। पिता मजदूरी करने के लिए नासिक गए हुए हैं। जय 10वीं तक ही पढ़ा है। एक्सीडेंट में हाथ टूटने के बाद उसका स्कूल जाना बंद हो गया। फिर घर के आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के चलते जय ने आगे की पढ़ाई नहीं की। अभी जय का छोटा भाई पांचवीं क्लास में पढ़ रहा है। जय जब साइकिल पर डिलीवरी करने जाता था, तो कई बार थाना लेट पहुंचने की वजह से उसे ग्राहकों की डांट भी सुननी पड़ती थीं। हालांकि अब टीआई और पुलिसकर्मियों की नेक पहल ने उसकी इस समस्या का समाधान कर दिया।
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