बॉलीवुड में बहुत कम सितारे हैं जो सफलता मिलने के बाद इंडस्ट्री छोड़ने का साहस रखते हैं। इन्हीं सितारों में से एक थे विनोद खन्ना। विनोद खन्ना का अंदाज फिल्मों में जितना अलग था, असल जिंदगी में भी उतना ही अलग था। उन्होंने खुद को सिर्फ एक्टर और फिल्मी दुनिया तक सीमित नहीं रखा, बल्कि जिंदगी के हर रंग का लुत्फ उठाया। विनोद खन्ना ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय करियर की शुरुआत में कई नेगेटिव रोल निभाए। अपनी डेब्यू फिल्म ‘मन का मीत’ के बाद एक्टर ने ‘आन मिलो सजना’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘एलान’, ‘सच्चा झूठा’ और ‘मस्ताना’ जैसी फिल्मों में भी नेगेटिव रोल किए। इन फिल्मों से उन्हें डाकू की भूमिका निभाकर पहचान मिली। लेकिन फिर उन्होंने एक ऐसी फिल्म की जिसने उनकी खलनायक वाली पूरी इमेज ही बदल दी।
चांदीनी फिल्म ने तोड़ी खलनायक वाली इमेज
पाकिस्तान से भारत आए विनोद खन्ना की लंबाई-चौड़ाई, तेज दिमाग और हाव-भाव हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचते थे। बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखने के बावजूद उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अपनी मंजिल बनाया। विनोद खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत बतौर विलेन की थी। लेकिन 1989 की वो सुपरहिट फिल्म, जिसमें रिलीज से पहले कई बड़े बदलाव किए गए। इस फिल्म में कोई भी एक्टर काम करने को तैयार नहीं था। लेकिन विनोद खन्ना ने इस फिल्म में काम कर इतिहास रच दिया। दरअसल हम बात कर रहे हैं साल 1989 में आई यश चोपड़ा की फिल्म चांदनी की। चांदनी बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल रही थी। भले ही इस फिल्म में ऋषि कपूर और श्रीदेवी ने मुख्य भूमिका निभाई थी, लेकिन विनोद खन्ना के किरदार के बिना यह फिल्म अधूरी होती।
डिस्ट्रीब्यूटर नहीं लगाना चाहते थे पैसा
खबरों के मुताबिक यश चोपड़ा ने इस फिल्म में विनोद खन्ना का रोल कई एक्टर्स के पास लेकर गए थे। लेकिन कोई भी इस रोल को करने के लिए तैयार नहीं था। रोल छोटा था और साइड हीरो का था। लोगों को इस फिल्म की सफलता पर भी संदेह था। इस वजह से डिस्ट्रीब्यूटर्स भी यश चोपड़ा की फिल्म में पैसा नहीं लगाना चाहते थे। सभी ने यश को यह फिल्म न बनाने की हिदायत दी। लेकिन यश चोपड़ा ने कई बदलाव किए और बाद में विनोद खन्ना भी इस फिल्म से जुड़ गए। इस फिल्म में विनोद खन्ना ने ललित नाम के शख्स का किरदार निभाया था। साथ ही, इस फिल्म से पहले विनोद खन्ना की छवि एक एक्शन हीरो की थी। लेकिन यश चोपड़ा ने जोखिम उठाया और विनोद खन्ना को साइन कर लिया। इस फिल्म के बाद विनोद खन्ना की पूरी छवि बदल गई। इस फिल्म के बाद उन्हें रोमांटिक हीरो के तौर पर भी पहचाना जाने लगा।
दौलत, शौहरत और रुतबे से आगे है जिंदगी
इसके बाद विनोद खन्ना ने जीवन में दौलत, शोहरत और रुतबा सब कमाया। लेकिन एक्टर के जीने का अंदाज कुछ अलग ही था, इसीलिए जब वो अपने करियर के पीक पर थे तो उन्होंने सबकुछ छोड़ने का फैसला कर लिया। विनोद खन्ना के सामने फिल्मों की लाइन लगी हुई थी, उन्हें साइन करने के लिए डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स में होड़ मची हुई थी। एक वक्त तो उन्होंने अमिताभ बच्चन की चमक को भी फीका कर दिया था, लेकिन सुपरस्टार बन चुके विनोद खन्ना को चैन नहीं था।
अपने चरम पर करियर, खुशहाल परिवार और समाज में रुतबा, एक्टर के पास सबकुछ था, लेकिन एक दिन उन्होंने सबकुछ छोड़कर संन्यासी बनने का ऐलान कर दिया। इस तरह से उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया।