क्रिकेट की दुनिया में अपने काबिलियत का लोहा मनवाने वाले दिग्गज पूर्व भारतीय क्रिकेटर किसी पहचान के मोहताज नहीं है। क्रिकेट के मैदान पर विरोधी गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने मे माहिर युवराज सिंह को पूरी दुनिया जानती है। टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान इंगलिश गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के गेंदों पर मारे गए 6 छक्के, आज भी हर क्रिकेट प्रेमी को अच्छे से याद है।
खेल और क्षेत्ररक्षण में महारत हासिल करने वाले युवराज ने अपने काबिलियक के दम पर नाम कमाया है। कैंसर से लड़कर इस खिलाड़ी ने मैदान में वापसी की, लेकिन इतना बेहतरीन और विस्फोटक क्रिकेटर अपने करियर के अंतिम दिनों में वह सम्मान नही प्राप्त कर सका, जो हर एक खिलाड़ी पाना चाहता है।
अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हो चुके है युवराज सिंह
चंडीगढ़ के एक जाट परिवार में जन्मे युवराज ने पूरे करियर में अनेकों उपलब्धियां अपने नाम की। अपने बेहतरीन बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण और गेंदबाजी से सबका दिल जीतने वाले युवराज के नाम कई बड़े रिकार्ड है, उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
बता दें, कैंसर होने के बावजूद वर्ल्ड कप 2011 में अपना अहम योगदान देने वाले, रन और बल्ले से धमाल मचाने वाले युवराज को साल 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भारत के दूसरे सबसे बड़े खेल अवार्ड अर्जुन अवार्ड से नवाजा था। साल 2014 में उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी पुरस्कृत किया गया था। अपनी जिंदगी मे युवराज ने बहुत उतार-चढ़ाव भी देखें, लेकिन सभी परेशानियों को मात देते हुए उन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपने वर्चस्व को बनाए रखा।
2007 टी-20 में लगाए थे 6 बॉल में 6 छक्के
साल 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप और साल 2011 का वर्ल्ड कप युवी के करियर के सबसे बेहतरीन पलों में से एक रहा। इंग्लैंड के साथ हुए टी-20 वर्ल्ड कप मैच में युवराज ने ऐतिहासिक रिकार्ण बनाया, जो अभी तक बरकरार है।
बता दें, टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार बल्लबाजी करते हुए युवी ने 12 गेंदो में अपना अर्धशतक पूरा किया था। इस पारी में उन्होंने इंग्लिश गेंदबाज स्टूअर्ट ब्रॉड के एक ही ओवर में 6 छक्के लगाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया था। साल 2011 वर्ल्ड कप में कैंसर से जूझने के बावजूद उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा। भारत को 2011 वर्ल्ड कप में जीत दिलाने में युवी का सबसे बड़ा योगदान रहा, पूरे वर्ल्डकप में शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द सीरीज का अवार्ड भी मिला था।
2011 वर्ल्डकप के बाद वह कैंसर के इलाज के लिए चले गए, जिसके बाद से उनका क्रिकेट करियर स्थिर नहीं रहा। उन्होंने वापसी की लेकिन इस बार अपनी छाप छोड़ने में नाकाम साबित हुए। 10 जून 2019 को उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। लेकिन युवराज सिंह क्रिकेट के इतिहास का एक वैसा चेहरा है जिसे क्रिकेट प्रेमी सदियों-सदियों तक याद रखेंगे।