गुरुवार को भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की
टी-20 सीरीज का चौथा मुकाबला खेला गया। इस मैच में भारत ने जीत दर्ज कर सीरीज में
खुद को जीवित रखा। अब भारत-इंग्लैंड के बीच शनिवार को इस सीरीज का आखिरी मैच खेला
जाएगा, ये जो
डिसाइड करेगा कि सीरीज किसके पाले में जाएगी।
‘सॉफ्ट सिग्नल’ पर खड़े हुए सवाल
बीते दिन खेले गए मैच से फैंस का काफी मनोरंजन
हुआ। मुकाबले में टीम इंडिया ने जबरदस्त जीत हासिल की। लेकिन इसी बीच इस दौरान कुछ
ऐसी चीजें भी हुई, जिसको
लेकर विवाद शुरू हो गया। चौथे टी 20 मैच में अंपायर के कुछ फैसलों पर सवाल उठ रहे
हैं। चाहे वो धमाकेदार अंदाज में डेब्यू मैच में खेले सूर्यकुमार यादव को आउट देना
हो या फिर वॉशिंगटन सुंदर को, इन दोनों फैसलों को लेकर ही
काफी विवाद होता हुआ दिख रहा है।
दरअसल, दोनों ही खिलाड़ियों को सॉफ्ट सिग्नल के नियम के चलते
आउट दिया गया। लेकिन सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों का ये मानना है कि
सूर्यकुमार यादव और वॉशिंगटन सुंदर आउट नहीं थे। उनको इस नियम की वजह से पवेलियन
लौटना पड़ा।
क्या होता है ‘सॉफ्ट सिग्नल’ का नियम?
सबसे पहले आपको बता देते हैं कि आखिर सॉफ्ट सिग्नल
का ये नियम क्या है, जिसको
लेकर ये पूरा बवाल खड़ा हुआ। दरअसल, मैच में जब भी कोई कैच
या फिर विकेट को लेकर असमंजस की स्थिति बनती है, तो इसको
लेकर मैदान पर मौजूद अंपायर को अपना एक फैसला लेना होना है। इसके बाद मैदानी
अंपायर, थर्ड अंपायर से उसको दोबारा चेक करने की मांग करते
हैं। थर्ड अंपायर हर एंगल से देखते है। अगर उनको लगता है कि खिलाड़ी आउट नहीं तो
वो मैदानी अंपायर के फैसले को पलट देते हैं। लेकिन अगर कई कोशिशों के बावजूद थर्ड
अंपायर भी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाता, तो वो अंपायर
को उसके सॉफ्ट सिग्नल यानी की पुराने फैसले पर ही बरकरार रहने को कहते हैं।
इन दो फैसलों को लेकर हो रहा विवाद
गुरुवार को खेले गए मैच में भी यही हुआ। बात पहले
सूर्यकुमार यादव की करते हैं। सूर्यकुमार यादव ने चौथे टी-20 मैच में टीम इंडिया
के लिए पहला मैच खेला। पहले मुकाबले में ही वो शानदार अर्धशतक लगाने में कामयाब
हुए। अच्छी फॉर्म में दिख रहे सूर्यकुमार ने 14वें ओवर में सैम कुरेन की बॉल पर डेविड
मलान को कैच थमा दिया। रिप्ले में ऐसा देखने को मिल रहा था कि बॉल ग्राउंड को टच
हो रही हैं। लेकिन सॉफ्ट सिग्नल के इसी नियम के चलते उनको आउट दे दिया गया। वहीं अगर मैदानी अंपायर ने सूर्यकुमार को सॉफ्ट सिग्नल में नॉटआउट दिया
होता, तो थर्ड अंपायर भी अपना फैसला नॉट आउट ही देते।
वहीं वॉशिंगटन सुंदर के साथ भी ऐसा ही हुआ। जोफ्रा
आर्चर की बॉल पर सुंदर ने एक अच्छा शॉट लगाया। लेकिन इस दौरान बांउड्री लाइन पर
खड़े आदिल राशिद ने कैच ले लिया। कैच लेते समय ऐसा लग रहा था कि राशिद का पैर बाउंड्री
लाइन को छुआ था। लेकिन इसके बावजूद इस नियम के चलते उनको भी पवेलियन लौटना पड़ा।
कप्तान कोहली ने दी ये प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस वक्त इस नियम को लेकर काफी बहस
छिड़ी हुई है। कई लोग अंपायर को गलत ठहरा रहे हैं, तो कुछ लोग ICC से नियम में बदलाव करने की मांग भी करते नजर आ रहे हैं। वहीं मैच के
बाद टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली से इस पर सवाल किया गया, तो उन्होनें अपनी राय भी दी।
कोहली ने कहा कि मैदानी अंपायर के पास ‘मुझे नहीं पता’ का ऑप्शन क्यों नहीं होता।
विराट ने कहा कि टेस्ट सीरीज में भी ऐसी ही एक
घटना घटी थीं। अजिंक्य रहाणे के बगल में मैं फील्डिंग कर रहा था। तब रहाणे ने कैच
पकड़ा, लेकिन वो
इसको लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे। जब फील्डर को ही संदेह है, तो स्क्वायर लेग पर खड़ा अंपायर कैसे स्पष्ट तौर पर देख सकता है? कुछ फैसले ऐसे होते हैं, जो
पूरे गेम की दिशा को ही बदल सकते है। खासकर अगर हम बात करें बड़े मैचों की तो।
मुझे ये बात नहीं समझ आती कि अंपायर के पास ‘मुझे नहीं पता’ का ऑप्शन मौजूद क्यों नहीं हो सकता?
खैर, गुरुवार को
खेले गए मैच को जीतकर टीम इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज को बराबरी पर लाकर
खड़ा कर दिया है। अब शनिवार को दोनों टीमें सीरीज के आखिरी मैच के लिए अहमदाबाद के
नरेंद्र मोदी स्टेडियम आमने सामने होगीं। जो भी टीम ये मैच जीतेगी वो सीरीज पर
अपना कब्जा जमा लेगी। देखना होगा कि कौन सी टीम इस मैच और सीरीज को अपने नाम करने
में कामयाब हो पाती है…?