साल 2000 की बात है, जब मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन स्कूल टूर्नामेंट का फाइनल चल रहा था। उस मैच को देखने के लिए पूर्व भारतीय क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई आए हुए थे। बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज हरमीत सिंह मुंबई के स्वामी विवेकानंद स्कूल की ओर से खेल रहे थे। उन्होंने इस मैच में काफी अच्छी गेंदबाजी की, जिसे देखकर दिलीप सरदेसाई हरमीत की गेंदबाजी से काफी प्रभावित हुए। बाद में इस साधारण से क्रिकेटर हरमीत सिंह ने महज 17 साल की उम्र में मुंबई की टीम में जगह बना ली। यहीं से हरमीत के अच्छे दिन शुरू हुए। उन्हें कई बड़े मैचों में खेलने का मौका मिला, इतना ही नहीं हरमीत भारत की अंडर-19 विश्व कप विजेता टीम का भी हिस्सा रहे और फिर उनकी जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि उनका करियर खत्म होने की कगार पर आ गया। दरअसल हम उस वक्त की बात कर रहे हैं जब हरमीत सिंह का नाम स्पॉट फिक्सिंग में आया था। आइए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं।
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IPL का हैंगओवर खत्म हो चुका है अब टी20 वर्ल्ड कप का क्रेज क्रिकेट प्रेमियों पर है। वर्ल्ड कप 1 जून 2024 से शुरू हो चुका है जो करीब एक महीने तक चलेगा। इस बार वर्ल्ड कप में 20 टीमें खेल रही हैं और 3 नई टीमें अमेरिका, युगांडा, कनाडा पहली बार टूर्नामेंट खेलने जा रही हैं। नई टीम के साथ एक खिलाड़ी ऐसा भी है जो अपनी वापसी से फिर सुर्खियों में है। दरअसल स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों के बाद क्रिकेट की दुनिया से गायब हुए खिलाड़ी हरमीत सिंह जिन्होंने भारत के लिए आईपीएल, वर्ल्ड कप खेला जो एक भारतीय हैं अब भारत के खिलाफ खेलेंगे। दरअसल हरमीत अब अमेरिका की क्रिकेट टीम के सदस्य हैं। हरमीत के लिए क्रिकेट का ये सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है।
कौन हैं हरमीत सिंह?
हरमीत का जन्म सात सितंबर 1992 को मुंबई के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। हरमीत ने सबसे पहले मुंबई में स्कूली क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनका हुनर ऐसा था कि उन्हें मुंबई की अंडर-14, अंडर-16 और अंडर-19 टीम के लिए भी चुना गया। 17 साल की उम्र में हरमीत का चयन मुंबई रणजी टीम के लिए हो गया। हरमीत ने बतौर प्रथम श्रेणी क्रिकेटर अच्छी शुरुआत की, लेकिन उन्हें मुंबई के लिए ज़्यादा मैच खेलने का मौका नहीं मिला। एक सीजन में जब वे घर बैठे थे, तो उन्हें जम्मू-कश्मीर टीम के लिए खेलने का ऑफ़र मिला। 2012 में उन्होंने भारत के लिए अंडर-1 वर्ल्ड कप खेला था। इस टूर्नामेंट में उन्होंने चार मैचों में छह विकेट लिए थे। इसके अलावा वे आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स का हिस्सा रह चुके हैं। उन्मुक्त चंद की कप्तानी में भारतीय टीम ने 2012 में अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता था। हरमीत इसी टीम का हिस्सा थे। हालांकि, बेहतर क्रिकेट अवसरों की तलाश में वे अमेरिका चले गए जहां उन्हें माइनर लीग क्रिकेट में सिएटल के लिए खेलने का मौका मिला।
क्रिकेट के स्ट्रगल में मां को खोया
हरमीत सिंह कहते हैं कि बतौर क्रिकेटर भारत में उन्होंने जो संघर्ष किया, जो ताने सुने और जो दर्द सहा, उसे वे कभी नहीं भूल सकते। भारत से निराश होकर क्रिकेटर अमेरिका चला गया। वहां उन्होंने छोटे-मोटे क्रिकेट टूर्नामेंट खेले और गुजारा करने के लिए मजदूरी भी करनी पड़ी। क्रिकेटर बताते हैं, ‘कोरोना काल में मेरी मां कोरोना से संक्रमित हो गईं। वह आईसीयू में थीं और उनके इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत थी, जिसे मैंने खरीदा लेकिन भारत नहीं भेज सका। कोरोना के कारण माँ की मौत हो गई, लेकिन इससे ज्यादा दुख तब हुआ जब मैं कोरोना के कारण भारत नहीं आ सका। मैंने अपनी मां का अंतिम संस्कार भी वीडियो कॉल पर देखा। उनका सपना था कि मैं क्रिकेटर बनूं। वह मुझे क्रिकेट के मैदान पर ले जाती थीं।’
फेक न्यूज़ का शिकार हो चुके हैं हरमीत सिंह
हरमीत सिंह अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि 2013 के स्पॉट फिक्सिंग कांड में उनका नाम भी शामिल रहा है। वे आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते थे, लेकिन स्पॉट फिक्सिंग में नाम आने से उनकी काफी बदनामी हुई। उनका स्पॉट फिक्सिंग से कोई लेना-देना नहीं था, वे बस किसी की राजनीति का शिकार हुए थे। एक आरोपी ने उनका नाम लिया और जांच की सुई उनकी ओर घूम गई। जिसके बाद ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई कि हरमीत ने स्पॉट फिक्सिंग की है। हालांकि बाद में जब मामले की पूरी जांच हुई तो जांच अधिकारी ने भी कहा कि आपने कुछ नहीं किया है, हम BCCI से बात करेंगे। यहां तक कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने भी बयान दिया कि हरमीत निर्दोष है। हम उसकी बेगुनाही का सबूत देने के लिए तैयार हैं। सट्टेबाजों ने उससे संपर्क किया था, लेकिन उसने ऑफर ठुकरा दिया।
बहरहाल अब कोई कुछ भी कहे हरमीत का करियर बर्बाद हो चुका था, फर्जी आरोपों के बाद भी उन्हें क्रिकेट की दुनिया में वो इज्जत नहीं मिली जो पहले मिलती थी। साथ ही इन झूठे आरोपों की वजह से उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में भी जगह नहीं मिली। जिसके बाद उसने अमेरिका जाना ही बेहतर समझा और अब वो अमेरिका के लिए खेल रहा है।
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