यूं तो आज के दौर में समलैंगिक संबंधों को बहुत से समाजों में मान्यता मिलने लगी है। मगर एक दौर ऐसा भी था, जब समलैंगिक संबंध को नफरत की नजर से देखा जाता था। लेकिन आज भी इसे पूरी तरह से समाज में स्वीकारा नहीं गया है। ऐसी ही भारतीय महिला एथलीट दुती चंद के जीवन की कहानी बयां करती है, जिसके समलैंगिक संबंध को समाज के ताने और नफरत से गुजरना पड़ा। उनके ऊपर पुरुष होने का आरोप लगा और फिर बैन होने तक की नौबत का सामना करना पड़ा। आइए दुती चंद की जिंदगी से जुड़े हर पहलु को जानते हैं कि कैसी रही उनकी एथलीट के साथ-साथ फाइटर बनने की कहानी…
दरअसल, दुती चंद (Dutee Chand) पहली भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने अपने समलैंगिक संबंध के बारे में सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था। उनके इस खुलासे के बाद खेल जगत के गलियारों में हलचल मच गई थी। इसके साथ ही दुती को उनके परिजनों से ही कड़ी नाराजगी और धमकियां मिलने लगी थी। हालांकि वे डटी रही और अपने रिश्ते को आज तक अपने पार्टनर के साथ बरकरार रखे हुए है।
पुरुष होने का लगा आरोप
जाहिर है कि उनके खुलासे के बाद खेल जगत में उनके अलग हॉर्मोन को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। उनके शरीर में (टेस्टोस्टेरोन हार्मोन) यानि की पुरुष वाले ज्यादा हार्मोन होने के कारण उन्हें जुलाई 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों के कुछ दिन पहले ही अयोग्य क़रार दिया गया था। उन पर पुरुष होने का आरोप भी लगा था। जिसे साइंटिफिक टर्म में हाइपरैंड्रोजेनिज्म कहते हैं। इसके बावजूद दुती हार नहीं मानी और उन्होंने सर्वोच्च खेल अदालत में गुहार लगाई। जिसके बाद कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन यानि की सर्वोच्च खेल अदालत ने दुती के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और उन्हें हर बड़े खेल की प्रतियोगिताओं में भाग लेने को लेकर योग्य बताया। जिसके बाद दुती ने वापसी की और रिओ ओलिंपिक समेत ऐसी बाकी सभी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। दुती ने 2016 में नई दिल्ली में फेडरेशन कप में हिस्सा लिया और नैशनल रेकॉर्ड बनाया था।
कैसे हुआ प्यार
आपको बता दें कि दुती ओडिशा के जाजपुर ज़िले के चक गोपालपुर गांव की रहने वाली है, वहीं वो जन्मी और पली-बढ़ी। उनकी पार्टनर भी उसी गांव की रहने वाली थी। इस कारण दोनों में दोस्ती हुई, इस दौरान दोनों को एक-दूसरे पसंद करने लगे। अब वे पिछले चार-पांच सालों से रिश्ते में है। हालांकि दुती के मुताबिक, दुती की पार्टनर ने उन्हें पहले प्रपोज किया था।
परिवार ने नहीं कबूला
दुती के इस रिश्ते को उनके परिवार ने नहीं अपनाया। दुती का कहना है कि प्यार सच्चा और गहरा हो तो कठिनाईयों से लड़ने का हौसला मिल जाता है। अब कोई कितना भी विरोध करें वो अपने फैसले पर अटल है। दुती कहती है कि “कई बार एक लड़के और लड़की की शादी को भी समाज स्वीकार नहीं करता है यहां तो बात दो लड़कियों की है। ऐसे में मुश्किल आना तो स्वभाविक है, इससे क्या डरना।”
दुती का मानना है
बता दें कि दुती ने कई मीडिया इंटरव्यू में कहा है कि ”लाइफ पार्टनर बनाने के लिए किसी औरत को लड़की या लड़के को चुनने की जरूरत नहीं है। दिल जिसे चुनता है जिसको मानता है उसके साथ रहने के लिए अच्छा लगना चाहिए”। बहरहाल दुती 100 मीटर में रिकॉर्ड बना चुकी हैं और साल 2018 एशियाई खेलों में दो रजत पदक भी अपने नाम कर चुकी हैं। इसके अलावा दुती चंद प्यूमा की ब्रांड एंबेसडर भी है। खैर उनके इस जज्बे और हौसले को देखकर ही दुनिया उन्हें फाइटर बुलाती हैं।