भारतीय वन राज्य द्वारा वर्ष 2021 में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 7,13,789 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। जो पूरे देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.72 प्रतिशत है। वहीं देश के 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 33 प्रतिशत से अधिक भूमि पर वन हैं, लेकिन पंजाब जैसे राज्यों की स्थिति अलग है। पंजाब में सिर्फ 3.52 प्रतिशत भूमि पर ही वन हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो पंजाब में बहुत कम जंगल हैं। सिर्फ 3.52 प्रतिशत भूमि पर ही जंगल है। हालांकि अब राज्य के युवाओं ने जंगल बढ़ाने का बीड़ा उठा लिया है। दरअसल पंजाब के फरीदकोट में युवाओं ने मिलकर अपने दम पर एक जंगल तैयार कर दिया है और इस जंगल में एक-एक कर अब तक 10 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं।
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पंजाब के फरीदकोट में बना ये छोटा सा जंगल पर्यावरण को बचाने के मानवीय प्रयासों का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस जंगल को बीर सोसायटी ने विकसित किया है। सोसायटी ने पांच हजार वर्ग फीट में 10 हजार पौधे लगाए हैं। कुछ समय पहले फरीदकोट जिले के बीर घुगियाना गांव में एक जंगल था। यहां के युवा इस जंगल को नया जीवन देने की कोशिश कर रहे हैं।
इस पहल के तहत बना फ़रीदकोट में मिनी जंगल
पर्यावरण कार्यकर्ता गुरप्रीत सिंह ने इस जंगल के बारे में बीबीसी से बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि फ़रीदकोट के राजा के अधीन चार जंगल थे- घुगियाना, सिखांवाला, बीड़ चेहल और बीड़ भोलूवाला। यह घुगियाना जंगल करीब पांच हज़ार वर्ग फ़ीट में फैला हुआ है। यह जंगल महारावल खेवा जी ट्रस्ट की देखरेख में है, इसलिए हमने जंगीर सिंह से इस बारे में बात की। इसके बाद हमने ‘रुख मेला’ नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया। तो हमने पर्यावरण के उद्देश्य से इस मेले का आयोजन किया। इस मेले में 600 से 800 लोग आए, तो उसके बाद हमने 10 एकड़ ज़मीन को पौधारोपण के लिए तैयार किया।
जंगल बनाने का काम नहीं था आसान
गुरप्रीत सिंह आगे कहते हैं कि इस जगह पर पौधे लगाने का काम बिल्कुल भी आसान नहीं था। क्योंकि यहां पौधे लाने का काम मुश्किल हो गया था, लेकिन हम किसी तरह पौधे ले आए लेकिन उसके बाद भी दिक्कतें खत्म नहीं हुईं क्योंकि यहां की जमीन पौधे लगाने के लिए काफी सख्त थी। इतना ही नहीं हमने यहां गड्ढे खोदने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया और सख्त जमीन होने की वजह से इस जगह पर पानी भी भरा हुआ था, इसलिए हमने किसी तरह पानी का इंतजाम किया। इसके बाद जब पौधे लगाने का काम शुरू हुआ तो जंगली जानवरों ने पौधों को नष्ट करना शुरू कर दिया, हालांकि समय के साथ सभी दिक्कते दूर हो गईं और आज यहां हरा-भरा जंगल खड़ा है।
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