कहते हैं वक्त और हालात इंसान को सबकुछ सिखा देते हैं। इन हालातों की वजह से ही हम मुश्किल वक्त में लड़ना सीखते हैं और एक बेहतर इंसान बनते हैं, कुछ ऐसा ही हुआ पंजाब की गुरबीर कौर के साथ। कम उम्र में ही पिता की मौत के बाद उन्होंने घर की जिम्मेदारी अपने नाजुक कंधों पर ली और खुद को चट्टान की तरह मजबूत बनाया और पिता की खेती की विरासत को भी संभाला और उसे आगे बढ़ाया। पंजाबी महिला किसान गुरबीर कौर की कहानी वाकई प्रेरणादायक है।
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पिता के निधन के बाद संभाला खेत
गुरबीर कौर अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान हैं। पिता की अप्रत्याशित मृत्यु के बाद गुरबीर को पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। चूंकि खेती ही परिवार की आय का मुख्य स्रोत थी, इसलिए गुरबीर ने अपने पूर्वजों की खेती को प्राथमिकता दी और कोई अन्य काम करने के बजाय अपने पिता की खेती की विरासत को आगे बढ़ाया। गुरबीर ने खेती करना शुरू कर दिया। गुरबीर आज यहां अपनी चार एकड़ जमीन पर खेती करती हैं। इसके अलावा उन्होंने गैर-कृषि भूमि भी खरीदी है।
खुद को बेटा मानती हैं गुरबीर कौर
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में वह कहती हैं, ‘मैंने कभी खुद को लड़की नहीं माना। मैंने हमेशा खुद को अपने माता-पिता का बेटा ही माना। घर में गरीबी थी, इसलिए मैंने खेती का काम संभाला ताकि घर की जिम्मेदारी निभा सकूं। आज मैं खेती का काम बखूबी संभाल रही हूं। अब मुझे यह काम अच्छा लगने लगा है। मुझे काम करने में मजा आता है। काम से मुझे खुशी मिलती है। काम से ही इंसान तरक्की कर सकता है।’
गुरबीर आगे बताती हैं, ‘पिता की मृत्यु के बाद मैंने घर संभाला, तभी मेरी माँ बीमार पड़ गईं। मैंने उनकी देखभाल की और उनका इलाज करवाया। उनके इलाज पर मैंने करीब 50-60 हजार रुपए खर्च किए, लेकिन दुर्भाग्य से मैं उन्हें बचा नहीं सकी। पिता की मृत्यु से मैं पहले ही दुखी थी, लेकिन माँ की मृत्यु ने मेरा दिल तोड़ दिया। अब मैंने शादी न करने का फैसला किया और परिवार की देखभाल करने लगी। मेरा भाई पहले से ही सेटल था। मैंने अपनी बहन की शादी कर दी और अब मैं खेती को अपना शौक बना लिया है।’
गुरबीर खेत में खुद चलाती है ट्रैक्टर
गुरबीर कौर खेत में खुद ट्रैक्टर चलाती हैं। समय के साथ-साथ वे खेती में माहिर हो गई हैं। वे खेती का हर काम खुद करती हैं। खेत जोतना हो या कोई और काम। यानी खेत तैयार करने से लेकर फसल बोना, कटाई करना और फसल को मंडी तक ले जाना, वे सारा काम खुद करती हैं।
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