सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव मूर्ति पूजा को निरर्थक मानते थे और हमेशा रूढ़ियों और बुरी परंपराओं के खिलाफ रहे। नानक जी के अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर ही है। यहां तक कि उन्होंने हिंदू भगवान शिव को भगवान मानने से भी इनकार कर दिया। उनके अनुसार शिव भगवान नहीं बल्कि एक देवता हैं जिन्होंने परमात्मा से अपनी आयु बढ़ाने का वरदान मांगा था। नानक देव जी के अनुसार जब शिव की आयु पूरी होगी तब उन्हें भी 84 के चक्र में आना होगा। 84 के चक्र में अर्थात जिस चक्र में मनुष्य 84 लाख योनियों को भोगता है, उसमें मनुष्य जन्म दुर्लभ है। आइए अब जानते हैं कि गुरु नानक ने भगवान शिव के बारे में ऐसा क्यों कहा।
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गुरु नानक देव का प्रारंभिक जीवन
गुरु नानक देव का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ था। नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था।16 वर्ष की उम्र में उनका विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी नामक स्थान की लड़की सुलखनी से हुआ। उनके दो बेटे थे, श्रीचंद और लखमी चंद। दोनों पुत्रों के जन्म के बाद गुरु नानक देवी जी अपने चार साथियों मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े। वह चारों ओर घूमकर उपदेश देने लगे। 1521 तक उन्होंने तीन यात्रा चक्र पूरे किये, जिनमें उन्होंने भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के प्रमुख स्थानों का दौरा किया। इन यात्राओं को पंजाबी में “उदासियाँ” कहा जाता है।
गुरु नानक देव के भगवान शिव पर विचार
गुरु नानक देव ने कभी भी हिंदू धर्म की आलोचना नहीं की और न ही कभी किसी धर्म का अपमान किया। गुरु नानक तो बस धर्मों की बुरी परंपराओं के विरोधी रहे। अपने उपदेशों में भी वे सदैव हिन्दू धर्म से प्रेरणा लेकर प्रवचन दिया करते थे। यहां तक की गुरु नानक के समय से लेकर अब तक हिंदू और सिख एक-दूसरे के ईष्टों और गुरुओं का सम्मान करते आए हैं। हिंदुओं के घर में आपको गुरु नानक की तस्वीर मिलेगी और सिखों के घर में आपको भगवान शिव की तस्वीर मिलेगी।
हालांकि अपने उपदेशों में श्री गुरु नानक देव जी ने त्रिदेवों अर्थात ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी की पूजा करना व्यर्थ बताया है। गुरु नानक ने यहां तक कहा कि शिव भगवान नहीं हैं। दरअसल, एक बार तीर्थयात्रा करते समय भाई मर्दाना ने गुरु नानक से पूछा था कि हिंदू धर्म के लोग सदियों से शिव की पूजा करते आ रहे हैं और उन्हें सबसे बड़ा भगवान मानते हैं, तो क्या शिव वास्तव में भगवान हैं? भाई मरदाना के इस प्रश्न पर गुरु नानक देव जी ने कहा कि शिव भगवान नहीं, देवता हैं। देवी-देवता, भगवान नहीं होते हैं। देवता अनेक हैं लेकिन परमात्मा तो एक ही है, जिसने संपूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना की है। जबकि देवी-देवताओं ने तो कठोर तपस्या कर परमात्मा से लंबी उम्र का वरदान मांगा है। जब इन देवताओं की आयु पूरी हो जाएगी तब इन्हें भी 84 वर्ष के चक्र में प्रवेश करना होगा। गुरु नानक जी ने आगे कहा, परमात्मा तो अमर है। वे सृष्टि बनने से पहले भी थे और आज भी हैं और सृष्टि खत्म होने के बाद भी रहेंगे।
गुरु नानक ने बताया कौन है शिव जी
गुरु नानक के ऐसे वचन सुनकर भाई मरदाना ने नानक जी से पूछा कि शिव कौन हैं? मरदाना का यह प्रश्न सुनकर गुरु नानक जी ने कहा कि जब परमात्मा ने सृष्टि की रचना की तो सबसे पहले उन्होंने ब्रह्मा जी को बनाया जो सभी को जन्म देते हैं, इसके बाद परमात्मा ने विष्णु जी को बनाया जो सभी का ख्याल रखते हैं, इसके बाद परमात्मा ने शिव को बनाया। जो मृत्यु देते हैं इसलिए उन्हें महाकाल भी कहा जाता है। इसके बाद परमात्मा ने सभी देवी-देवताओं को वरदान दिया और इंद्रदेव को बारिश का वरदान दिया। यह सुनकर शिव जी ने भी परमात्मा से यह वरदान देने का अनुरोध किया कि जब भी वह डमरू बजाएं, बारिश हो। इसके बाद परमात्मा से यह वरदान पाकर शिव जी पृथ्वी पर आते हैं, जहां वह एक किसान को धूप में खेत जोतते हुए देखते हैं। इसके बाद शिव जी किसान से कहते हैं कि 13 साल बाद बारिश होगी, तुम जाकर आराम करो। खेत जोतने से कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि शिव जी जानते थे कि जब तक वह डमरू नहीं बजाएंगे तब तक बारिश नहीं होगी इसलिए शिव जी किसान को अपनी बात कहकर आगे बढ़ गए। अपनी यात्रा से लौटते समय शिव जी देखते हैं कि किसान अभी भी खेत में हल चला रहा है। ऐसा करते-करते 2-3 दिन बीत जाते हैं लेकिन किसान शिव जी की बातों से प्रभावित हुए बिना अपना काम जारी रखता है, जिसके बाद शिव जी किसान से पूछते हैं कि मैंने तुमसे कहा था कि 13 साल तक बारिश नहीं होगी, तुम फिर भी मेहनत क्यों कर रहे हो।
भगवान शिव की बात सुनकर किसान कहता है कि यदि मैं 13 वर्षों तक वर्षा न होने के कारण हल चलाना बंद कर दूंगा तो मैं हल चलाना भूल जाऊंगा और परिणामस्वरूप हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हल नहीं चला पाएंगी। किसान की यह बात सुनकर भगवान शिव भी सोचने लगे कि यदि मैं 13 वर्ष तक डमरू नहीं बजाऊंगा तो मैं भी डमरू बजाना भूल जाऊंगा। इसी असमंजस में भगवान शिव ने डमरू बजाया और फिर डमरू की आवाज के साथ बारिश होने लगी। इसके बाद शिव जी को समझ आ गया कि परमपिता जो चाहते हैं होता वही हैं। शिव जी तो परम पिता के सेवक हैं। इसी प्रकार नानक देव जी ने मरदाना को बताया कि शिव जी कौन थे।