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भारतीय-अमेरिकी सिख पुलिस अधिकारी Sandeep Singh Dhaliwal के नाम पर डाकघर का नामकरण

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भारतीय-अमेरिकी सिख पुलिस अधिकारी Sandeep Singh Dhaliwal के नाम पर डाकघर का नामकरण
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Who is Sandeep Singh Dhaliwal: वेस्ट ह्यूस्टन में एक डाकघर का नाम बदलकर भारतीय-अमेरिकी सिख पुलिस अधिकारी संदीप सिंह धालीवाल के नाम पर रखा गया है। धालीवाल ने 2015 में टेक्सास में पगड़ी और दाढ़ी के साथ सेवा करने की अनुमति पाने वाले पहले सिख पुलिस अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया था, जिनकी 2019 में ड्यूटी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनके सम्मान में यह कदम उनके उल्लेखनीय जीवन और समुदाय के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा को श्रद्धांजलि देता है।

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एक महान अधिकारी की प्रेरक कहानी- Who is Sandeep Singh Dhaliwal

42 वर्षीय संदीप सिंह धालीवाल (Sandeep Singh Dhaliwal post office name)  को 27 सितंबर 2019 को ड्यूटी के दौरान गोली मार दी गई थी। वह अपने समुदाय में न केवल एक पुलिस अधिकारी के रूप में बल्कि एक नेता और प्रेरणा स्रोत के रूप में भी विख्यात थे। धालीवाल को उनके शांत और दयालु स्वभाव के लिए जाना जाता था।

Who is Sandeep Singh Dhaliwal Sikhism
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2015 में उन्होंने टेक्सास में पगड़ी पहनने और दाढ़ी रखने का अधिकार प्राप्त कर इतिहास रचा। यह उपलब्धि न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश थी – अपने धर्म और विश्वास को अपनाते हुए भी एक सार्वजनिक सेवा अधिकारी के रूप में उत्कृष्ट कार्य करना संभव है।

धालीवाल के नाम पर डाकघर का नामकरण

ह्यूस्टन में आयोजित एक विशेष समारोह में, 315 एडिक्स हॉवेल रोड स्थित डाकघर का नाम बदलकर ‘डिप्टी संदीप सिंह धालीवाल पोस्ट ऑफिस’ रखा गया। यह प्रस्ताव अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सांसद लिज़ी फ्लेचर द्वारा पेश किया गया था।

समारोह में फ्लेचर ने कहा, “धालीवाल ने अपने जीवन को दूसरों की सेवा और समानता के लिए समर्पित किया। यह डाकघर उनके निस्वार्थ जीवन और महान योगदान की याद दिलाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक को पारित करने के लिए सिख समुदाय और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर काम करना उनके लिए गर्व की बात है।

सिख समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि

धालीवाल का जीवन और उनकी उपलब्धियां न केवल भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए बल्कि पूरे सिख समुदाय के लिए गर्व का विषय हैं। उन्होंने दिखाया कि कैसे अपनी धार्मिक पहचान को बरकरार रखते हुए भी सामाजिक दायित्व निभाए जा सकते हैं।

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यह पहल सिख समुदाय के उन प्रयासों का हिस्सा है जो समाज में उनके योगदान को मान्यता देने और विविधता का सम्मान करने के लिए किए जा रहे हैं।

सिख-अमेरिकी नौसैनिक को मिला पगड़ी पहनने का अधिकार

धालीवाल के बाद अमेरिका में सिख समुदाय की पहचान और अधिकारों को और मजबूती मिली है। हाल ही में अमेरिकी नौसेना में लेफ्टिनेंट 26 वर्षीय सुखबीर तूर को पगड़ी पहनने की अनुमति दी गई। भारतीय नौसेना के 246 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी नौसेना अधिकारी को यह अधिकार दिया गया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि तूर ने वर्षों तक अपने धर्म और ड्यूटी के बीच संतुलन बनाए रखा और आखिरकार उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता का यह अधिकार प्राप्त किया। यह धालीवाल जैसे अग्रणी व्यक्तियों की बदौलत संभव हो पाया है, जिन्होंने धार्मिक विविधता को अपनाने का मार्ग प्रशस्त किया।

धालीवाल की विरासत: प्रेरणा और समर्पण

धालीवाल का नाम केवल एक डाकघर पर लिखा जाना नहीं है, बल्कि यह उनके द्वारा दिए गए संदेश को आगे बढ़ाने का प्रतीक है। उन्होंने दिखाया कि समुदाय की सेवा करते हुए अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बरकरार रखना संभव है।

उनके इस योगदान को याद रखना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना जरूरी है। उनका नाम आज न केवल एक डाकघर पर है, बल्कि उन लोगों के दिलों में भी जीवित है, जो समानता, सेवा और समर्पण में विश्वास रखते हैं।

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