When Congress Banned BajrangDal – मध्य प्रदेश के जबलपुर में कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ की गई, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस विरोधी नारे लगे और नेताओं का पुतला दहन किया गया. इसके अलावा तेलंगाना, उत्तराखंड और कुछ दूसरे राज्यों से भी विरोध-प्रदर्शन की ख़बरें हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में दिए गए भाषण में कांग्रेस के इस कथित क़दम को ‘सारे बजरंगबली बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प क़रार दिया.’
बजरंग दल को बैन करने का मतलब, कांग्रेस के द्वारा सीधे-सीधे हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास है… pic.twitter.com/p3V08jLJTX
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 6, 2023
जब से कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव को लेकर अपने मैनिफेस्टो में बजरंग दल को आतंकी संगठन पीएफआई से तुलना कर सरकार आने के बाद बैन कर का वडा कर दिया है तब से कांग्रेस की राजनीति में ऐसा भूचाल आया है जैसे कि समुद्र के किनारे पहुंचते ही ज्वार-भाटा. कांग्रेस सोच रही थी इसपर बैन को लेकर हम कुछ वोट बटोर लेंगे लेकिन उनका ये दांव इन्ही के ऊपर उल्टा पड़ता दिखाई पड़ रहा है.
#Congress– if we are voted to power, We will put a ban on organisation like Bajrang Dal & PFI#Modi– Congress announces today that they will put BAJRANG BALI in jail if they come to power.
Kejriwal rightly said “Country needs an educated PM, who can understand things properly’ pic.twitter.com/XJapchPjYO
— Mahua Moitra Fans (@MahuaMoitraFans) May 2, 2023
बीजेपी को बजरंग दल के बहाने बजरंग बली का मुद्दा मिल गया है और अब पार्टी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के सामने परोस दिया है जिसे लेकर कांग्रेस को हिन्दू के खिलाफ वाली छवि इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजरंग दल क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी.
कब हुई थी बजरंग दल की स्थापना?
हिंदुत्व पर अपना स्वामित्व और कथित तौर पर हिन्दुओं की रक्षा करने वाले इस संगठन की स्थापना 8 अक्तूबर 1984 में उत्तरप्रदेश में हुई थी. बजरंग दल (Bajrang Dal) विश्व हिंदू परिषद (VHP) की युवा इकाई है.
इसका संस्थापक विनय कटियार को माना जाता है.विनय कटियार (Vinay Katiyar) को बजरंग दल का संस्थापक माना जाता है, जो लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. बजरंग दल की स्थापना राम-जानकी रथ यात्रा (Ram Janki Rath Yatra) को सुरक्षा देने के लिए की गई थी.
किस उद्देश्य से संगठित हुआ बजरंग दल?
हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के आधार पर स्थापित बजरंग दल (Bajrang Dal) का मुख्य उद्देश्य था हिंदू समाज को संरक्षित करना और हिंदू धर्म और संस्कृति को बचाना है. बजरंग दल अक्सर हिंदू धर्म से जुड़ी मुद्दों पर अपने विचारों को प्रगट करता है और हिंदू समुदाय के उद्धार के लिए संघर्ष करता है.
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बजरंग दल का नारा ‘सेवा, सुरक्षा और संस्कृति’ है. बजरंग दल के मुख्य उद्देश्यों में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, मथुरा कृष्ण जन्मभूमी मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का प्रसार शामिल है.
बजरंगबली का कर्नाटक कनेक्शन
दरअसल बजरंग दल का नामकरण भी हिन्दू के परमपूज्य देवता बजरंगबली के नाम पर हुआ और शायद यही वजह है कि जब से कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के लिए अपना मैनिफेस्टो जारी कर बजरंग दल को आतंकवादी संगठन पीएफआई से जोड़कर बैन करने की बात की है तब से कर्नाटक का चुनाव भी बजरंगबली के इर्द-गिर्द ही घूमता दिखाई दे रहा है.
बीजेपी ने अब कर्नाटक में बजरंगदल पर बैन को बजरंगबली के अपमान से जोड़ दिया है. बीजेपी बजरंग दल पर बैन के मुद्दे को हर स्तर पर उठा रही है. फिर चाहे वो पीएम मोदी हों या फिर पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता बीजेपी ने बजरंगबली को प्रचार का प्रमुख मुद्दा बना लिया है.
क्या कहती है वीएचपी?
वीएचपी के केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने बताते हैं कि आजकल कोई भी शख्स अपने आप को बजरंग दल का नेता कह सकता है लेकिन जरूरी नहीं कि वो हमारे संगठन का हिस्सा हो. और ऐसे में अगर कोई व्यक्ति संगठन के नाम पर कुछ गलत काम करता है तो उसका ठीकरा सीधा बजरंग दल पर नहीं फूटना चाहिए. उनका मानना है कि कुछ लोगो के लिए बजरंग दल को बुरा भला कहना उनकी आदत बन गई है.
अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने साल 2018 की अपनी एक संक्षिप्त रिपोर्ट (वर्ल्ड फ़ैक्टबुक) में बजरंग दल और वीएचपी को उग्रवादी धार्मिक संगठन बताया था. आरएसएस को सीआईए की रिपोर्ट में राष्ट्रवादी संगठन बताया गया था. बजरंग दल के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र जैन का कहना है कि वो सीआईए की रिपोर्ट को महत्व नहीं देते.
वो कहते हैं, “सीआईए को अमेरिका में अश्वेतों (कालों) के साथ जो होता रहता है उसपर भी कहना चाहिए.”
कांग्रेस ने साल 1992 में लगाया था बैन
कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में एक बड़ी घोषणा की है जिसमे उन्होंने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कह दी है. ये बैन का बात ही बताती है की कांग्रेस की मानसिकता हिन्दुओं को लेकर कैसी है. लेकिन इससे पहले भी कांग्रेस ने बंजरंग दल पर एक बार बैन लगा दिया था. बात है 6 दिसम्बर 1992 की जब भीड़ ने अयोध्या में बने अवैध बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था जिसके बाद इस मंदिर को ढहाने में आरएसएस और बजरंगदल जैसे संगठनों के सदस्यों के ऊपर ये आरोप लगे थे कि उन्होंने ही इस मस्जिद को ढहाया है.
जिसके बाद कांग्रेस नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने बजरंग दल (When Congress Banned BajrangDal), आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद्, इस्लामिक सेवक संघ और जमात-ए-इस्लामी हिंद पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, प्रतिबंध के 6 महीने में ही Unlawful Activities (Prevention) ट्रिब्यूनल ने बजरंग दल से प्रतिबंध हटा दिया था.
When Congress Banned BajrangDal?
पूरे देश भर में आज बजरंग दल और वीएचपी का नाम कौन नहीं जानता? जिसकी छवि हिन्दुवादी है जिसका कार्य जिसका उद्देश्य समाज में हिन्दुओं को बचाना और अनर्गल तत्वों को समाज से निकाल फेंकना. लेकिन ये उद्देश्य कहीं ना कहीं बजरंग दल के पहले के कार्यों में दिखाई पड़ता था जैसे राम मंदिर को लेकर आवाज़ उठाना. लेकिन आज की तारिख में इसका उद्देश्य थोड़ा भटका हुआ लगता है. आप अनावश्यक तत्वों को पकड़ने में सहायता करें अच्छी बात है लेकिन उसके नाम पर सरेआम कानूनों का उल्लंघन करें लोगों को खुल्ले में गोली मार दें वो भी गौहत्या और गौतस्कारी के नाम पर.
ये अधिकार आपको कौन देता है? उसके लिए देश का संविधान है कानून है न्यायपालिका है. पिछले कुछ महीने पहले ही गुडगाँव के मोनू मानेसर के तमाम वीडियो वायरल हुए थे बन्दूक लेकर खुलेआम सड़क पर घूमते हुए. और वो भी इसलिए क्योंकि इनपर आरोप था कि इन्होने दो मुस्लिम युवकों को बंदी बनाकर आग के हवाले कर दिया था. इसके पहले साल 2002 के दंगों में भी इसका नाम आया था. ये तो ठहरी सिर्फ दो मुद्दों की कहानी लेकिन इसके अलावा भी इनके कई सारे ऐसे काण्ड हैं जो सामने आए हैं. ऐसे में 20वीं सदी से पहले और 20वीं सदी के बाद के बजरंग दल (When Congress Banned BajrangDal) का जो उद्देश्य है उसमे कहीं न कहीं दोगलापन देखने को मिला है. आप संगठन के नाम पर या धर्म के नाम पर किसी को जान से नहीं मार सकते और अगर आप ऐसा करते हैं तो ये कानून के खिलाफ है.