Top 7 Gurdwaras in Tamil Nadu: तमिलनाडु न केवल अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां कई ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित गुरुद्वारे भी हैं जो सिख समुदाय की आध्यात्मिकता और विरासत को दर्शाते हैं। दरअसल गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली उदासी (धार्मिक यात्रा) के दौरान भारत के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। इस यात्रा के दौरान वे दक्षिण भारत भी पहुंचे और तमिलनाडु के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर रुके। गुरु नानक की शिक्षाओं और उनके पदचिह्नों को संरक्षित करने के लिए इन स्थानों पर कई गुरुद्वारे स्थापित किए गए। आइए, तमिलनाडु के प्रमुख गुरुद्वारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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1. गुरुद्वारा गुरु नानक धाम (Rameshwaram) – Top 7 Gurdwaras in Tamil Nadu
स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु
रामेश्वरम हिंदू तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां एक महत्वपूर्ण सिख गुरुद्वारा भी स्थित है जिसे गुरु नानक धाम कहा जाता है। यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी की यात्रा की स्मृति में बनाया गया है। सिखों का मानना है कि गुरु नानक यहां 500 साल पहले आए थे।
इतिहास:
- 1511 में, गुरु नानक श्रीलंका से लौटते समय रामेश्वरम आए और यहां 19 दिन तक रहे।
- उन्होंने राजा शिवनाभ और अन्य 18 लोगों को सामाजिक बंधनों से मुक्त होने की शिक्षा दी।
- जब उन्होंने देखा कि द्वीप पर पानी खारा है, तो उन्होंने एक कुआँ खोदा, जिससे मीठा पानी प्राप्त हुआ।
- भक्तों ने गुरु नानक के ठहरने के स्थान को मंडपम के रूप में संरक्षित किया है।
2. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Kanchipuram)
स्थान: कांचीपुरम, जिला चंगलपट्टू, तमिलनाडु
कांचीपुरम, जिसे ‘मंदिरों का शहर’ कहा जाता है, में स्थित यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी के प्रथम आगमन की याद में बनाया गया है।
महत्व:
- यह स्थान गुरु नानक की पहली उदासी का साक्षी है।
- यहाँ गुरु नानक जी ने स्थानीय संतों और विद्वानों से भेंट की।
- गुरुद्वारे का निर्माण सिख संगतों ने उनके सम्मान में किया।
3. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Trichanapalli)
स्थान: तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु
गुरु नानक जी की यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में एक गुरुद्वारा बनाया गया था। हालांकि, समय के साथ यह गिर गया और अब कोई गुरुद्वारा वहाँ नहीं है।
4. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Trivanmalay)
स्थान: तिरुवन्नामलाई, अरकत जिला, तमिलनाडु
तिरुवन्नामलाई, जो कि शैव पंथ का प्रमुख केंद्र है, में गुरु नानक देव जी का आगमन हुआ।
महत्व:
- गुरु नानक यहाँ योगियों और साधुओं से मिलने आए थे।
- यहाँ मंजी साहिब नामक स्मारक बनाया गया है।
- यह स्थान बेंगलुरु से 210 किमी और चेन्नई से 185 किमी दूर स्थित है।
5. गुरुद्वारा टी नगर (Chennai)
स्थान: जी.एन. चेट्टी रोड, टी नगर, चेन्नई, तमिलनाडु
चेन्नई में स्थित यह गुरुद्वारा ऐतिहासिक नहीं है, लेकिन सिख समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
इतिहास:
- 1949 में लेफ्टिनेंट कर्नल गिल (पूर्व जेल महानिदेशक) द्वारा स्थापित किया गया।
- यहाँ गुरु नानक, गुरु गोबिंद सिंह और गुरु अर्जुन देव के प्रकाश पर्व पर विशेष समारोह होते हैं।
- यहाँ गुरु का लंगर (सामुदायिक भोजन सेवा) चलता है।
- एक नि:शुल्क चिकित्सा केंद्र भी संचालित है।
संपर्क विवरण:
- पता: 127/A, G.N. Chetty Road, T Nagar, Chennai – 600017, Tamil Nadu, India
- फोन: 2834 3519 / 9509
6. गुरुद्वारा तिलगंज साहिब (Tilganji Sahib)
स्थान: पल्लीपुरम और कोट्टायम के पास, तमिलनाडु
गुरु नानक देव जी की यात्रा के दौरान इस स्थान का महत्व बढ़ा। यहाँ स्थानीय साधुओं ने गुरु जी को एक तिल का बीज दिया और कहा कि इसे कैसे साझा करेंगे। गुरु नानक ने उसे पानी में घोलकर सभी को बाँट दिया, जिससे उन्होंने साझेदारी और सामूहिकता का संदेश दिया।
7. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Rameshwaram)
स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु
गुरु नानक देव जी की याद में यहाँ गुरुद्वारा गुरु नानक उदासी मठ बनाया गया है।
महत्व:
- यह गुरुद्वारा गुरु नानक जी के प्रथम आगमन की स्मृति को बनाए रखने के लिए बनाया गया।
- यह स्थल सिखों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि गुरु नानक देव जी ने यहाँ अपने प्रवचनों के माध्यम से समानता और भाईचारे का संदेश दिया था।
तमिलनाडु में सिख गुरुद्वारों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
तमिलनाडु में स्थित ये गुरुद्वारे सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि गुरु नानक जी की शिक्षाओं और उनके संदेशों को संरक्षित करने वाले ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान सामाजिक समरसता, जातिगत भेदभाव के खिलाफ उपदेश दिए और लंगर जैसी परंपराएँ शुरू कीं।
कैसे पहुँचे?
- सड़क मार्ग: चेन्नई और कांचीपुरम तक आसानी से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: अधिकांश स्थान प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़े हैं।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई (Madras) है।
तमिलनाडु में स्थित ये ऐतिहासिक गुरुद्वारे सिख धर्म के विस्तार और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के प्रमाण हैं। इन स्थानों पर जाकर भक्त उनकी शिक्षाओं को याद कर सकते हैं और सिख परंपरा को समझ सकते हैं। इन गुरुद्वारों का संरक्षण और प्रचार आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ गुरु नानक देव जी के उपदेशों से प्रेरणा ले सकें।