पाकिस्तान के लाहौर जिले में झामन नाम का एक गांव है, यह पाकिस्तान-भारत सीमा (Pakistan India Border) से 2-3 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा रोरी साहिब (Pakistan Historical Gurdwara Rori Sahib) की मौजूदा हालत चिंता का विषय बनी हुई है। यह गुरुद्वारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) जी से जुड़ा है और इसका गहरा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। कहा जाता है कि बाबर के हमले के दौरान गुरु नानक देव जी ने कुछ समय इसी जगह बिताया था। यहां उन्होंने पत्थरों की शय्या (रोरी) बनाकर ध्यान लगाया था और उसी की याद में यह गुरुद्वारा बनाया गया था।
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हालांकि, यह महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल अब जर्जर स्थिति में है और इसकी देखभाल और मरम्मत की सख्त जरूरत है। कई रिपोर्टों के अनुसार, गुरुद्वारे की इमारत में दरारें आ गई हैं, और संरचना कमजोर होती जा रही है। इसके अलावा, उचित रखरखाव के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल समय के साथ धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रहा है।
गुरु नानक देव तीन बार यहां आए थे- Gurdwara Sahib in Pakistan
यह गुरुद्वारा साहिब गुरु नानक देव जी से जुड़ा हुआ है। यह स्थान, जो उनके पैतृक गांव (Guru Nanak Dev ancestral village) डेरा चहल के करीब था, माना जाता है कि गुरु जी ने तीन बार यहां यात्रा की थी। कहा जाता है कि गुरु जी झामन के बाहर एक पहाड़ी पर सोए थे। उन्होंने एक पुराने खंडहर में चीनी मिट्टी के टुकड़े खोजे, जिसके कारण वहां के मंदिर का नाम बदलकर गुरुद्वारा रोरी साहिब रख दिया गया। पंजाबी में “रोरी” शब्द का अर्थ है “टुकड़े।”
वैसाखी और जेठ महीने में लगते थे मेले
इस गुरुद्वारे का निर्माण भाई वधवा सिंह (Bhai Wadhawa Singh) ने शुरू करवाया था और इसे एक खूबसूरत दरबार में बनाया गया था। उस समय यहाँ एक छोटा तालाब हुआ करता था जिसे बाद में उनके एक अनुयायी ने तालाब में बदल दिया था। यहाँ हर वैसाखी और जेठ महीने की 20 तारीख को मेले लगते थे।
जीर्ण-शीर्ण अवस्था में गुरुद्वारा
आज यह गुरुद्वारा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। जिस फर्श पर कभी गुरु ग्रंथ साहिब रखा जाता था और पाठ होता था, वह अब गड्ढे में तब्दील हो चुका है। गुंबद की मरम्मत की जरूरत है। दीवारों पर इस्लामी शब्द लिखे हुए हैं। तालाब भी सूख चुका है। अगर समय रहते इसकी मरम्मत नहीं की गई तो यह धूल का ढेर बन जाएगा। इस गुरुद्वारे की तस्वीर सिख समुदाय का दिल तोड़ सकती है, क्योंकि अब इस पर असामाजिक तत्वों/नशेड़ी/लुटेरों का कब्जा है।
बारिश के कारण गुरुद्वारे का एक हिस्सा ढह गया
लाहौर में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण गुरुद्वारा श्री रोरी साहिब की दीवार गिर गई थी, जिसका केवल एक हिस्सा ही बचा है। विभाजन के बाद से ही इसकी उपेक्षा की गई है। अविभाजित पंजाब में सिख समुदाय का गौरव माने जाने वाले गुरुद्वारा रोरी साहिब की हालत अब बेहद खराब है। इसे उन लोगों ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है, जिन्होंने कथित तौर पर छिपे हुए खजाने की तलाश में यहां खुदाई की थी।
क्या है मुख्य कारण
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने एक मीडिया आउटलेट को दिए इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान में कई गुरुद्वारे खंडहर हो चुके हैं, इस समस्या को कई बार उठाया जा चुका है। अगर ऐसे गुरुद्वारों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो वे जल्द ही ढह जाएंगे। ऐतिहासिक स्थलों को पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी या उसकी सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस गुरुद्वारे की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा है क्योंकि अब इस क्षेत्र में कोई सिख संगत नहीं है।
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