नीरजा चौधरी ने “हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड” नामक पुस्तक लिखी है, जो छह भारतीय प्रधानमंत्रियों के जीवन की घटनाओं का एक दिलचस्प संग्रह है। विवेचना के इस अंक में रेहान फ़ज़ल ने बताया है कि कैसे इंदिरा गांधी 1977 की चुनावी हार से 2.5 साल से भी कम समय में उबर गईं और कैसे जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम (Suresh Ram) से जुड़े एक स्कैंडल ने उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को खत्म कर दिया। दरअसल, उस समय के उप प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगजीवन राम (Congress senior leader Jagjivan Ram) के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को 1978 में तब गहरा झटका लगा जब भारतीय राजनीति में एक बड़ा सेक्स स्कैंडल सामने आया। इस विवाद में उनके बेटे सुरेश राम भी शामिल थे।
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सेक्स स्कैंडल का विवरण- 1978 sex scandal
1978 में जब देश में जनता पार्टी की सरकार थी और आपातकाल के बाद के राजनीतिक परिदृश्य में कई बड़े नेता राजनीति में सक्रिय थे, जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम से जुड़ा एक सेक्स स्कैंडल सुर्खियों में आया। इंदिरा गांधी की बहू मेनका गांधी द्वारा संपादित एक हिंदी पत्रिका ‘सूर्या’ ने सुरेश राम और एक महिला के अंतरंग संबंधों की तस्वीरें प्रकाशित कीं।
इस कांड की तस्वीरें जैसे ही पत्रिका में छपीं, भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया। इन तस्वीरों में सुरेश राम को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था, जो उस समय भारतीय समाज और राजनीति के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा था।
जगजीवन राम की राजनीतिक स्थिति
जगजीवन राम एक प्रमुख दलित नेता (Prominent Dalit leader Jagjivan Ram) और स्वतंत्रता सेनानी थे, जो इंदिरा गांधी की सरकार में एक महत्वपूर्ण मंत्री थे। उन्होंने देश के कई महत्वपूर्ण विभागों में काम किया और जनता पार्टी की सरकार में उप प्रधानमंत्री भी रहे। आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, तो माना जा रहा था कि जगजीवन राम प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हैं।
हालांकि इस सेक्स स्कैंडल के सामने आने के बाद जगजीवन राम की छवि को बड़ा झटका लगा। इस घटना का उनके राजनीतिक करियर पर गहरा असर पड़ा और प्रधानमंत्री बनने की उनकी संभावनाएं लगभग खत्म हो गईं।
स्कैंडल का राजनीतिक प्रभाव
यह कांड उस समय भारतीय राजनीति में जनता पार्टी और इंदिरा गांधी तथा उनकी कांग्रेस पार्टी के विरोधियों के लिए एक बड़ा हथियार बन गया था। इस घटना ने न केवल जगजीवन राम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया बल्कि उनके समर्थकों और पार्टी के भीतर भी भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। दलित राजनीति के प्रमुख नेता जगजीवन राम ने इस घटना के बाद प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद खो दी थी। हालांकि यह कांड उनके बेटे की निजी जिंदगी के कारण सामने आया, लेकिन इसने जगजीवन राम के राजनीतिक करियर को भी प्रभावित किया।
मेनका गांधी और ‘सूर्या‘ पत्रिका की भूमिका
खबरों की मानें तो, मेनका गांधी (Maneka Gandhi) द्वारा संपादित सूर्या पत्रिका ने तस्वीरें प्रकाशित करके इस सेक्स स्कैंडल को सार्वजनिक कर दिया था। उस समय इसे इंदिरा गांधी और उनके समर्थकों की एक राजनीतिक चाल माना गया था, क्योंकि जगजीवन राम इंदिरा गांधी के खिलाफ प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में से एक थे और उन्हें उनका संभावित प्रतिद्वंद्वी माना जाता था।
जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम से जुड़ा यह सेक्स स्कैंडल भारतीय राजनीति का एक काला अध्याय माना जाता है, जिसने न सिर्फ़ जगजीवन राम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया बल्कि उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को भी खत्म कर दिया। इस घटना ने उस समय की राजनीति को हिलाकर रख दिया और भारतीय समाज में राजनीति, नैतिकता और सार्वजनिक जीवन में शुचिता को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए।