विश्व विख्यात बिजनेस टायकून रतन टाटा ने टाटा संस की नींव रखी थी और उसे कामयाबी के शिखर तक पहुंचाने में बहुत परिश्रम किया. रतन टाटा ने अब इस कंपनी की कमान अपने बेहद भरोसेमंद व्यक्ति नटराजन चंद्रशेखरन को सौंपी है. रतन टाटा के राइट हैंड कहे जाने वाले चंद्रशेखरन आज जिस कंपनी की बागडोर संभाले हुए हैं, कभी वो वहीं पर इंटर्नशिप किया करते थे. हालांकि, यह बात ज्यादा लोगों में चर्चा में नहीं है. रतन टाटा का नटराजन पर अटूट विश्वास का कारण नटराजन का कंपनी के लिए अपनापन, बिजनेस प्लानिंग और कारोबार के लिए उनकी समझ है.
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चंद्रशेखरन का जीवन परिचय
बिजनेसमैन रतन टाटा के राइट हैंड कहे जाने वाले एन चंद्रशेखरन का जन्म सन् 1963 में तमिलनाडु के एक गांव में गरीब किसान परिवार में हुआ था. पैसों की किल्लत के कारण नटराजन के जीवन में कई उतार चढ़ाव आए, लेकिन वह मेहनत करने से पीछे नहीं हटे. वह रोज अपने भाई,बहनो के साथ तीन किमी गांव से दूर पैदल चलकर स्कूल जाते थे. स्कूल की पढ़ाई खत्म करके उन्होंने कोयंबटूर के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक किया. इसके बाद उन्होंने तमिलनाडु के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर एप्लिकेशंस से मास्टर्स की डिग्री हासिल की.
एन नटराजन को वर्ष 2007 में टीसीएस बोर्ड में शामिल कर लिया गया था. इसके बाद उन्हें मुख्य परिचालन अधिकारी की जिम्मेदारी सौंप दी गई.अक्टूबर 2009 में उन्हें टीसीएस बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया. वह महज 46 वर्ष की उम्र में सीईओ बनने वाले कंपनी के सबसे युवा सीईओ रहे.
एन चंद्रशेखरन की फैमिली
चंद्रशेखरन की फैमिली में सिर्फ तीन सदस्य है. उनकी पत्नी का नाम ललिता और बेटे का नाम प्रणव चंद्रशेखरन है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चंद्रशेखरन का 2019 में वार्षिक वेतन 65 करोड़ था. जिसे वर्ष 2021-2022 में बढ़ाकर 109 करोड़ रुपए सालाना कर दिया गया था. उन्होंने 2020 को मुंबई के रिहायशी इलाके में 98 करोड़ रुपए का ड्यूप्लेक्स फ्लैट खरीदा था.
चंद्रशेखरन के सीईओ के पद पर रहते हुए 2022 में टाटा ग्रुप को मोटा मुनाफा मिला था. टाटा इंडस्ट्री के मुनाफे की रकम 64267 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी. चंद्रशेखरन के कार्यकाल के दौरान पांच वर्षों में टाटा ग्रुप का राजस्व 6.37 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 9.44 करोड़ रुपए हो गया.
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