Tajinder Singh Jammu Kashmir: अनंतनाग जिले के स्वतंत्र संगीत कलाकार तेजिंदर सिंह, जिन्हें उनके मंच नाम अरुण के नाम से जाना जाता है, घाटी में संगीत के लिए उम्मीद की किरण लेकर आए हैं। वह हिंदी, पंजाबी और कश्मीरी तीन अलग-अलग भाषाओं में गाते हैं और अपनी आवाज़ के ज़रिए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। पिछले दशक में कश्मीर घाटी में स्वतंत्र संगीत कलाकारों का उदय हुआ है। हालांकि इस क्षेत्र में संगीत के लिए अवसरों की कमी रही है और कुछ सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियां भी रही हैं, लेकिन यहां के युवा अभी भी संगीत के प्रति अपने जुनून को जाहिर कर रहे हैं। कठिन परिस्थितियों, सीमित अवसरों और चुनौतियों के बावजूद, तेजिंदर जैसे युवा संगीत को एक पेशे के रूप में अपना रहे हैं और अपनी आजीविका के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं।
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संगीत की शुरुआत और यात्रा- Tajinder Singh Jammu Kashmir
तेजिंदर सिंह (Singer Tajinder Singh) ने अपने संगीत करियर की शुरुआत 5-7 साल पहले की थी। उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से गाना सीखना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने हुनर को निखारा। आज वह स्थानीय कार्यक्रमों और छोटे-मोटे इवेंट्स में अपनी गायकी प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कश्मीर में स्वतंत्र संगीतकारों के लिए अवसरों की कमी है। तेजिंदर ने कहा: “यहां हमें गाने के बहुत कम मौके मिलते हैं। मुझे अपने दम पर शो आयोजित करने पड़ते हैं।”
सरकार से अपील
तेजिंदर ने सरकार से अपील की है कि स्वतंत्र संगीतकारों को बढ़ावा देने के लिए अधिक अवसर प्रदान किए जाएं। उनका मानना है कि कश्मीर जैसे क्षेत्र में, जहां संगीत को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, नई प्रतिभाओं को पहचान और मंच मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा:
“हमारे जैसे कलाकारों को मंच और अवसर मिलने चाहिए ताकि हम अपनी कला को और लोगों तक पहुंचा सकें।”
युवाओं के लिए संदेश
तेजिंदर ने अपने जैसे अन्य युवा कलाकारों से आग्रह किया कि वे अपने टैलेंट को दबाकर न रखें और इसे दुनिया के सामने प्रस्तुत करें।
“किसी भी कला को छिपाकर रखने से कोई फायदा नहीं। धीरे-धीरे मौके मिलते हैं, लेकिन अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाना जरूरी है।”
उनका यह संदेश घाटी के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कश्मीर में संगीत: चुनौतियां और संभावनाएं
कश्मीर में संगीत को लेकर रुझान बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी यहां संगीतकारों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- सीमित प्लेटफॉर्म: कश्मीर में स्वतंत्र कलाकारों को अपनी कला दिखाने के लिए पर्याप्त मंच नहीं मिल पाते।
- सामाजिक स्वीकृति: संगीत को कई बार मुख्यधारा का करियर विकल्प नहीं माना जाता।
- सरकारी समर्थन: संगीतकारों और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए अभी और सरकारी प्रयासों की आवश्यकता है।
इसके बावजूद, घाटी में संगीतकारों का नया दौर उभर रहा है। तेजिंदर सिंह जैसे युवा कलाकार इस बदलाव का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
तेजिंदर सिंह का दृष्टिकोण
तेजिंदर का मानना है कि संगीत केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि यह संस्कृति और एकता का प्रतीक है। वह चाहते हैं कि उनकी आवाज कश्मीर के हर कोने में गूंजे और लोग उनकी कला के माध्यम से प्रेरित हों।
तेजिंदर सिंह की कहानी कश्मीर घाटी में उभरते स्वतंत्र कलाकारों की चुनौतियों और उनकी संभावनाओं का प्रतीक है। उनके जैसे कलाकार न केवल अपनी कला के जरिए लोगों का दिल जीत रहे हैं, बल्कि अन्य युवाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं।
सरकार और स्थानीय प्रशासन के समर्थन से, तेजिंदर जैसे कलाकारों को नई ऊंचाइयां छूने का मौका मिल सकता है। कश्मीर में संगीत की यह नई लहर एक दिन घाटी की सांस्कृतिक पहचान को और समृद्ध कर सकती है।
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