हुनर की कोई सीमा नहीं होती और न ही कोई उम्र होती है, हुनर के लिए अगर सबसे पहले किसी चीज की जरूरत होती है तो वह है जुनून और जज्बा, जो हमें जम्मू के तालाब तिल्लो इलाके के रहने वाले ओंकार सिंह से सीखने की जरूरत है। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में दो विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। साथ ही स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें ISRO और NASA जैसे बड़े संगठनों से नौकरी के ऑफर भी मिले हैं। अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये जनाब कौन है और इन्होंने ऐसा क्या कारनामा कर दिखाया है कि दुनिया की सबसे बड़ी-बड़ी कंपनियां इन्हें नौकरी ऑफर कर रही है। आइये आपका परिचय करवाते हैं ओंकार सिंह से।
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अवार्ड्स की लिस्ट है लंबी
16 साल की उम्र में ओंकार को इतने अवॉर्ड मिल चुके हैं जितने शायद कुछ बॉलीवुड सेलिब्रिटी को नहीं मिले होंगे। ओंकार एक विश्व रिकॉर्ड धारक हैं। साल 2020 में ओंकार को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था। इससे पहले, 3 अक्टूबर, 2018 को ओंकार ने अपनी पहली किताब ‘वेन द टाइम स्टॉप्स’ लिखी। इसके लिए उन्हें रिकॉर्ड धारक रिपब्लिकन यूनाइटेड किंगडम द्वारा दुनिया में सबसे छोटी उम्र के थियोरेटिकल ऑथर का खिताब दिया गया। इस सम्मान के साथ उन्हें 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा भी ओंकार के नाम कई रिकॉर्ड हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, 20 अगस्त 2022 को दुबई के मैरियट अल जद्दाफ में एक पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया, जिसमें दुनिया भर की शीर्ष 100 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। सौ में से, जम्मू के 16 वर्षीय ओमकार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनकी उपलब्धियों के लिए 2022 के चाइल्ड प्रोडिजी के रूप में सम्मानित किया गया।
अमेरिका से की पढ़ाई
जम्मू के रहने वाले ओंकार सिंह ने अमेरिका से स्कॉलरशिप पर रिमोट लर्निंग से 12वीं की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने अमेरिका के एवन्यूज स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की है। इतना ही नहीं, जब ओंकार ने 7 साल की उम्र में वेबसाइट बनाई थी जिसके लिए उन्हें सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक का अवॉर्ड मिला। हाल ही की बात करें तो ओंकार ने साल 2023 में नैनो टेक सैटेलाइट बनाया था, इसके लिए उन्हें अवॉर्ड भी मिला था।
भारत की पहली ओपन सोर्स नैनो सैटेलाइट
ओंकार सिंह ने 12वीं में पढ़ाई के दौरान नैनो सैटेलाइट तैयार किया है। एक किलो से भी कम वजनी इस छोटे उपग्रह को बनाने वाले ओंकार का दावा है कि यह भारत का पहला ओपन सोर्स नैनो उपग्रह है, जिसके प्रक्षेपण के लिए वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की नोडल एजेंसी स्पेस-इन के साथ लगातार संपर्क में हैं। ओंकार के मुताबिक, इनक्यूब नाम का यह नैनो सैटेलाइट देश का पहला ओपन सोर्स सैटेलाइट होगा, जिसका कोई पेटेंट नहीं है। यानि की कोई भी इसके मॉडल का उपयोग बिना इसकी जानकारी के और बिना कोई बदलाव किए कर सकता है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इस नैनो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च करने की तैयारी की जाएगी।
ओंकार सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि, ‘अन्य देशों में कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर ऐसे सैटेलाइट लॉन्च किए जाते हैं, लेकिन भारत में अभी तक लॉन्च नहीं किए गए हैं। मोदी सरकार द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में पीपीपी दृष्टिकोण लागू करने के बाद से संभावनाएं उभरी हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के उपग्रह को अन्यत्र लॉन्च करना महंगा है। उन्हें सरकारी सहायता भी मिल रही है, जिससे उनकी रुचि बढ़ी है और उन्होंने इसे इसरो से लॉन्च करने का अनुरोध करने के लिए प्रेरित किया है।’
वहीं, स्पेस टेक्नोलॉजी में उनकी बढ़ती रुचि को देखते हुए उन्हें NASA से नौकरी का ऑफर भी मिला है, लेकिन ओंकार के पिता का कहना है कि वह अभी ओंकार की पढ़ाई पूरी करवाएंगे और उसके बाद ही उसकी नौकरी के बारे में फैसला लेंगे।