Sikhism in America: दिसंबर 2022 में, एक अमेरिकी अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में अमेरिकी मरीन (US Marine Corps Beard turban law) को सिख धर्म के अनुयायियों को दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की अनुमति देने का निर्देश दिया था। यह फैसला उन सिखों के लिए एक बड़ी जीत साबित हुआ जो अमेरिकी मरीन में शामिल होने के बावजूद अपनी धार्मिक मान्यताओं को छोड़ने को तैयार नहीं थे। इस निर्णय के बाद, अमेरिकी सेना में सेवा करने के इच्छुक सिख समुदाय के सदस्य अब अपने धार्मिक प्रतीकों को हटाए बिना भर्ती और प्रशिक्षण प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे।
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अदालत का महत्वपूर्ण निर्णय- Sikhism in America
दरअसल इस फैसले के वक्त अदालत ने यूएस मरीन की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि धार्मिक छूट देना सैन्य एकजुटता को कमजोर करेगा। मरीन का यह तर्क था कि प्रशिक्षण के दौरान सैनिकों को सामूहिक त्याग और एकजुटता की भावना में समाहित होना जरूरी है, लेकिन न्यायाधीशों ने इसे अस्वीकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मरीन द्वारा यह साबित करने में नाकामी रही कि दाढ़ी और पगड़ी से सुरक्षा या प्रशिक्षण में कोई बाधा उत्पन्न होती है।
यूएस मरीन के लिए एक कठिन स्थिति
यूएस मरीन के नियमों के अनुसार, भर्ती होने वाले सैनिकों को न सिर्फ अपने व्यक्तिगत पहचान के प्रतीकों को त्यागने के लिए कहा जाता था, बल्कि उन्हें 13 हफ्ते के कठोर प्रशिक्षण के दौरान दाढ़ी रखने या पगड़ी पहनने की अनुमति भी नहीं थी। हालांकि, अन्य अमेरिकी सैन्य शाखाओं जैसे यूएस आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और कोस्ट गार्ड में सिखों को इस प्रकार की धार्मिक छूट दी जाती थी, लेकिन मरीन ने इस मामले में सिख सैनिकों के धार्मिक अधिकारों को मान्यता नहीं दी थी।
इस निर्णय के बाद, सिखों के लिए एक नया रास्ता खुला है। वे अब बिना किसी धार्मिक समझौते के मरीन में भर्ती हो सकते हैं और अपनी धार्मिक आस्थाओं का पालन करते हुए पूरी ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजर सकते हैं।
सिख धर्म के प्रतीकों के साथ भर्ती: एक महत्वपूर्ण जीत
2022 का अदालत का यह फैसला सिख समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। अमेरिका में सिखों (Sikh soldiers in America) के लिए इस तरह के फैसले पहले भी आए, लेकिन मरीन जैसी विशेष और कठिन शाखाओं में धार्मिक आस्थाओं के पालन की स्वीकृति एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। कोर्ट ने कहा कि मरीन का कोई तर्क यह साबित करने में सफल नहीं रहा कि दाढ़ी और पगड़ी से ट्रेनिंग या युद्ध में कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस फैसले ने यह साबित किया कि अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जाती है, और कोई भी धर्म, विशेष रूप से सिख धर्म, अपने अनुयायियों को अपने विश्वासों का पालन करने से नहीं रोक सकता।
विरोध और समर्थन: मरीन के भीतर और बाहर
इस फ़ैसले पर मरीन के भीतर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कुछ का मानना था कि धार्मिक छूट देने से सेना की एकता और अनुशासन पर असर पड़ेगा, जबकि दूसरे पक्ष का कहना था कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करने वाला कदम है। मरीन नेतृत्व की दलील थी कि सैनिकों को अपनी पहचान छोड़ देनी चाहिए, लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए साफ़ किया कि दाढ़ी और पगड़ी रखने से न तो सैनिकों की सुरक्षा को कोई ख़तरा है और न ही इससे प्रशिक्षण में कोई बाधा उत्पन्न होती है।
अदालत का निर्णय: दूसरे देशों में स्थिति
अमेरिका में इस प्रकार के धार्मिक अधिकारों के मामले पहले भी अदालतों में उठ चुके हैं, और इस फैसले ने यह साबित किया कि अमेरिका की न्यायपालिका धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को गंभीरता से लेती है। दुनिया भर में कई देशों की सेनाएं, जैसे ब्रिटेन, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया, सिख सैनिकों को धार्मिक छूट देती हैं। इसके अलावा, भारतीय सेना में भी सिख सैनिकों को धार्मिक मान्यताओं के पालन के लिए विशेष अनुमति दी जाती है।