Sikhism in Sweden: स्वीडन में सिख समुदाय की उपस्थिति ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, बल्कि यह आर्थिक प्रवासियों और शरणार्थियों के रूप में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वीडन में सिखों का आगमन 1970 के दशक में हुआ, जब वे आर्थिक कारणों से और कुछ मामलों में शरणार्थी के रूप में इस देश में आए। इस समय तक स्वीडन में प्रवासियों की संख्या बढ़ने लगी थी और सिखों ने इस प्रवास के जरिए अपनी एक मजबूत पहचान स्थापित की।
और पढ़ें: Sikhism in Georgia: जॉर्जिया में पंजाबी सिख समुदाय की वृद्धि और उनकी सांस्कृतिक पहचान
स्वीडन में सिखों का आगमन और इतिहास- Sikhism in Sweden
Taylor & Francis Group द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक, स्वीडन में सिखों का आगमन 1970 के दशक के प्रारंभ में हुआ था, जब वे मुख्यतः आर्थिक कारणों और शरणार्थी के रूप में देश में आ रहे थे। क्रिस्टिना मिरवोल्ड, लिनियस विश्वविद्यालय की धार्मिक अध्ययन की सहायक प्रोफेसर, के अनुसार, “सिखों का स्वीडन में आना 1970 के दशक में आर्थिक प्रवासियों और शरणार्थियों के रूप में हुआ।” 1980 के दशक तक, स्वीडन में सिखों की संख्या लगभग 600 तक पहुँच चुकी थी। इन सिखों में से कई लोग राजनीतिक शरणार्थी थे, विशेष रूप से 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, जब सिख समुदाय ने शरण की तलाश की थी।
स्वीडन में सबसे पहले सिखों का जमावड़ा स्टॉकहोम, गोथेनबर्ग और माल्मो जैसे प्रमुख शहरों में हुआ। इन शहरों में उन्होंने अपने धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन को बढ़ावा दिया और यहां गुरुद्वारे स्थापित किए। स्वीडन में सिखों की सबसे बड़ी संख्या स्टॉकहोम, गोथेनबर्ग और माल्मो में ही है, और यहां चार प्रमुख गुरुद्वारे स्थापित किए गए हैं, जो सिखों के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों का केंद्र बने हुए हैं।
स्वीडन में गुरुद्वारे और धार्मिक जीवन
स्वीडन में सिख समुदाय ने अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए गुरुद्वारों की स्थापना की। स्वीडन में मुख्य गुरुद्वारे शामिल हैं:
- गुरुद्वारा संगत साहिब फोरनिंग, बोटकिरका, टुलिंगे, स्टॉकहोम
- गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, एंगेरड
- सिख कल्चरल एसोसिएशन, हल्बो, गोथेनबर्ग
- सिख टेम्पल स्वीडन — गुरुद्वारा बीबी नांकी जी, स्टॉकहोम
यह गुरुद्वारे न केवल धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। इन गुरुद्वारों के माध्यम से सिख समुदाय ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को स्वीडन में फैलाने का कार्य किया है। यहां सिखों के लिए एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से समाजिक आयोजन, कीर्तन, और लंगर भी आयोजित किए जाते हैं।
सिख समुदाय का संघर्ष और योगदान
स्वीडन में सिखों के जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू उनका संघर्ष रहा है। कई सिखों ने स्वीडन में शरणार्थी के रूप में प्रवेश किया था, और उनका जीवन कभी आसान नहीं था। हालांकि, समय के साथ, सिख समुदाय ने अपनी पहचान बनाई और देश की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया। उनके योगदान ने न केवल उनके स्वयं के समुदाय को सशक्त किया, बल्कि स्वीडन के समाज में विविधता और समृद्धि की भावना को भी बढ़ावा दिया।
सिखों ने स्वीडन में विभिन्न पेशों में अपनी पहचान बनाई। शुरुआत में, कई सिख रेस्टोरेंट्स में सहायक और कुक के रूप में काम करते थे, और बाद में कई ने अपने रेस्टोरेंट खोल लिए। इसके अलावा, कुछ सिखों ने आईटी क्षेत्र में भी अपने कदम जमाए और बाद में स्वयं का व्यवसाय शुरू किया।
सिखों की सांस्कृतिक पहचान का प्रचार-प्रसार
स्वीडन में सिख समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। इसके तहत, सिखों ने न केवल अपने धार्मिक स्थलों पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि उन्होंने अपनी परंपराओं, कला और संगीत को भी साझा किया। सिख समाज ने स्वीडन में रहने वाले अन्य समुदायों को भी अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी दी और एक सशक्त सांस्कृतिक संवाद की शुरुआत की।
स्वीडन में सिखों की यह सांस्कृतिक और धार्मिक यात्रा अब एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है, और यह समुदाय स्वीडन के समाज में अपनी अहम पहचान बना चुका है। सिख समुदाय की कार्यशक्ति और समर्पण ने न केवल उन्हें एक सम्मानजनक स्थान दिलाया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि किस प्रकार वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए एक नई सामाजिक संरचना में समाहित हो सकते हैं।
और पढ़ें: Sikhism in Jammu Kashmir: जम्मू और कश्मीर में सिख धर्म का ऐतिहासिक प्रभाव! एक अनकहा अध्याय