Sikhism in South Korea: दक्षिण कोरिया में सिख धर्म का इतिहास देश की स्वतंत्रता के बाद शुरू हुआ। 1945 में जापानी उपनिवेश से मुक्त होने के बाद, शुरुआती सिख व्यापारी और व्यवसायी के रूप में कोरिया आए। इन व्यापारियों ने भारत और मध्य पूर्व से वस्त्र निर्यात किया, लेकिन उस समय के कड़े निवास कानूनों के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा।
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सिख समुदाय का विस्तार और बस्तियां– Sikhism in South Korea
विकिपीडिया और अन्य वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, 1980 के दशक में भारत में अवसरों की कमी के चलते सिख मजदूर दक्षिण कोरिया में बसने लगे। धीरे-धीरे, समुदाय का आकार बढ़ा और कुछ सिख परिवार पिछले 50 वर्षों से दक्षिण कोरिया में रह रहे हैं। हालांकि, सांस्कृतिक और धार्मिक पूर्वाग्रहों के कारण सिखों को अपनी धार्मिक पहचान छुपानी पड़ी।
गुरुद्वारों का इतिहास
दक्षिण कोरिया में पहला गुरुद्वारा 1998 में सुंगरी में स्थापित किया गया, लेकिन डेढ़ साल बाद एक आग में यह नष्ट हो गया। इसके बाद, स्थानीय सिख समुदाय ने धन जुटाकर एक नया गुरुद्वारा बनाने की योजना बनाई।
- गुरुद्वारा श्री सिंह सभा:
यह गुरुद्वारा 2004 में ग्योंगगी-डो प्रांत के पोचेन-सी में स्थापित किया गया। यह एक दो मंजिला परिसर है, जहां समुदाय के लगभग 500 सदस्य नियमित रूप से पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। - ग्वांगजू का गुरुद्वारा:
ग्वांगजू में भी एक गुरुद्वारा है, जो स्थानीय सिख समुदाय की धार्मिक जरूरतों को पूरा करता है। - योजना:
पंजाबी एसोसिएशन ऑफ कोरिया (PAOK) राजधानी सियोल में एक नया गुरुद्वारा स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। यह कदम सिख समुदाय के लिए न केवल धार्मिक स्थल प्रदान करेगा बल्कि भारत-कोरिया संबंधों को भी मजबूत करेगा।
सिखों की सामाजिक और धार्मिक स्थिति
दक्षिण कोरिया में सिखों की कुल संख्या लगभग 550 है। इनमें से अधिकांश पुरुष हैं, क्योंकि प्रवासी पुरुष ही अधिकतर वहां बसते हैं। हालांकि, धार्मिकता का स्तर कम है।
- लगभग 30 सिख ही पारंपरिक दस्तार (पगड़ी) पहनते हैं।
- अधिकांश सिख सहजधारी हैं, जो बिना कटे बाल नहीं रखते।
स्थानीय कोरियाई लोगों के साथ सिखों की बातचीत कम होती है। अधिकांश कोरियाई लोग सिख धर्म या संस्कृति के बारे में जानकारी रखने में रुचि नहीं दिखाते। हालांकि, सिख पुरुषों को उनकी कार्य नैतिकता के लिए सराहा जाता है। कई सिख स्थानीय महिलाओं से शादी कर स्थायी निवास हासिल कर लेते हैं।
आर्थिक योगदान
सिख समुदाय कृषि, व्यापार, कॉर्पोरेट, और रेस्तरां जैसे क्षेत्रों में काम करता है। इनमें से कई सिख प्रवासी पहले पर्यटक वीजा पर आते हैं और फिर स्थायी निवास के लिए प्रयास करते हैं।
पंजाबी एसोसिएशन ऑफ कोरिया
स्थानीय सिख और पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व पंजाबी एसोसिएशन ऑफ कोरिया (PAOK) करता है। वर्तमान में इसका नेतृत्व लकविंदर सिंह कर रहे हैं। एसोसिएशन सियोल में एक नया गुरुद्वारा स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।
लोकप्रिय संस्कृति में सिख धर्म
2024 में, ब्रिटिश सिख अभिनेता ताज सिंह (तरसविंदर सिंह सिहरा), कोरियाई पॉप बैंड बीटीएस के सदस्य आरएम के संगीत वीडियो ‘लॉस्ट!’ में दिखाई दिए। इस वीडियो में सिंह ने कोरियाई भाषा में संवाद बोले।
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भविष्य की चुनौतियां और उम्मीदें
दक्षिण कोरिया में सिख समुदाय धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रहा है। हालांकि, धार्मिकता का स्तर कम है और समुदाय को सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। सियोल में नए गुरुद्वारे की स्थापना से न केवल सिख समुदाय को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह कोरियाई समाज के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में भी मदद करेगा।
दक्षिण कोरिया में सिखों की उपस्थिति भारतीय प्रवासियों की मेहनत और उनकी संस्कृति का प्रतीक है। हाल के वर्षों में गुरुद्वारों की स्थापना और स्थानीय सिख संगठनों के प्रयासों से सिख धर्म कोरिया में अपनी जगह बना रहा है।
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